वैध हो सकेंगे 30 फीसदी तक अवैध निर्माण
वैध हो सकेंगे 30 फीसदी तक अवैध निर्माण RE-Bhopal

चुनावी साल में मप्र सरकार देगी एक और राहत, फिर पैसा देकर वैध हो सकेंगे 30 फीसदी तक अवैध निर्माण

ILLegal constructions: पहले अनुमति के अतिरिक्त किया दस प्रतिशत तक निर्माण नियमित किया जाता था। इसके एवज में कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से समझौता शुल्क मकान मालिक से लिया जाता था।

भोपाल। प्रदेश के नगरीय निकायों में मकानों, भवनों का 30 फीसदी तक का अवैध निर्माण पैसा देकर वैध करने की राहत लोगों को फिर मिल सकती है। राज्य शासन इस पर विचार कर रहा है। चुनावी साल में यह व्यवस्था दोबारा लागू होने का फायदा आम आदमी, सरकार के साथ ही नगरीय निकायों को भी मिलेगा। निकायों को समझौता शुल्क के तौर पर राशि मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। इसके साथ ही ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) नियमों की मदद से इस तरह के निर्माणों के नियमितीकरण की संभावना का परीक्षण किया जा रहा है।

प्रदेश के नगरों, शहरों में पहले अनुमति के अतिरिक्त किया दस प्रतिशत तक निर्माण नियमित किया जाता था। इसके एवज में कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से समझौता शुल्क (कंपाउंडिंग) मकान मालिक से लिया जाता था। निर्माण के नियमितीकरण की सीमा कम होने की वजह से लोग ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते थे। ऐसे में दो साल पहले शासन ने बड़ी राहत देते हुए नियमितीकरण की सीमा को दस प्रतिशत से बढ़ा कर 30 फीसदी कर दिया। इसके लिए दस प्रतिशत कंपाउंडिंग फीस तय की गई। शासन ने इसके साथ ही मकान मालिक को खुद अतिरिक्त निर्माण का साइज तय करने की छूट दे दी। शुल्क में फरवरी, 2022 तक राहत भी दी। इसका फायदा उठाने के लिए भोपाल व अन्य शहरों में हजारों मकान मालिकों ने कंपाउंडिंग कराई।

इस दौरान कई ऐसी शिकायतें भी सामने आई कि अतिरिक्त निर्माण के स्व निर्धारण में गड़बड़ी की जा रही है। वास्तविक के मुकाबले कम निर्माण दिखा कर कंपाउंडिंग फीस जमा की जा रही है। इस बीच शासन ने अचानक पिछले साल 30 फीसदी अवैध निर्माण के नियमितीकरण की प्रक्रिया को दो हिस्सों में बांट दिया। इसके मुताबिक दस प्रतिशत अतिरिक्त निर्माण पैसे देकर और बाकी 20 फीसदी टीडीआर के जरिए नियमित किया जाएगा।

टीडीआर का उपयोग कैसे होगा, तय नहीं कर पाए, थमी कंपाउंडिंग

राज्य शासन ने टीडीआर के नियम जारी कर दिए , लेकिन इनका उपयोग कैसे होगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया। इतना ही नहीं, निकायों के इंजीनियरों के मौका निरीक्षण के बाद ही अतिरिक्त निर्माण का निर्धारण करने के निर्देश दिए। इसका नतीजा यह हुआ कि भोपाल समेत लगभग सभी निकायों में कंपाउंडिंग की प्रक्रिया थम सी गई। यह स्थिति करीब एक साल से बनी हुई है। अब मास्टर प्लान 2031 के ड्राफ्ट में टीडीआर नियमों को शामिल किया गया है। प्लान लागू होने के बाद टीडीआर का उपयोग शुरू हो सकेगा। इसके मद्देनजर शासन स्तर पर टीडीआर और पैसा देकर नियमितीकरण की प्रक्रिया करने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

निकाय तंगहाल, कंपाउंडिंग-प्रॉपर्टी टैक्स से आएगा सुधार

भोपाल के साथ ही अधिकांश नगरीय निकाय तंगहाल हैं। चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में कटौती से स्थिति और बिगड़ रही है। हालत यह है कि अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों का भुगतान ही समय पर नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पैसा लेकर 30 फीसदी तक कंपाउंडिंग करने से निकायों को शुल्क के तौर पर काफी राशि मिल सकेगी। साथ ही अतिरिक्त निर्माण वैध होने से उस पर भी मकानों, भवनों के अधिकृत निर्मित एरिया में इजाफा हो जाएगा। इससे सीधे तौर पर प्रॉपर्टी टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा। जाहिर है निकायों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

राजधानी के 90 फीसदी मकानों में अवैध निर्माण

राजधानी में हर साल साढ़े तीन हजार से अधिक बिल्डिंग परमिशन जारी की जाती हैं। इसमें से 90 फीसदी मकान, भवन निगम की ओर से जारी अनुमति के हिसाब से नहीं बनते हैं। अधिकांश में 20 से 100 फीसदी तक ज्यादा निर्माण किया जाता है। नगर निगम अवैध निर्माण हटाने और कंपाउंडिंग के लिए नोटिस जारी करता रहता है। हालांकि, इसका खास असर नहीं होता। साल भर में 150-200 अवैध निर्माण ही तोड़े जाते हैं। मौजूदा स्थिति में शहर में पांच हजार वर्गफीट व उससे बड़े आकार के मकानों का सर्वे किया जा रहा है। इसमें भी अनुमति से अधिक निर्माण होने की बात सामने आई है। राजधानी जैसा हाल इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत अन्य शहरों का है।

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