कूलर विक्रेता परेशान
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MP NEWS : मौसम के मिजाज से कूलर-एसी विक्रेता हो रहे हलकान, सबसे ज्यादा बिक्री वाला सीजन ठंडा

Summer Season : व्यापारियों कहना है कि अब मई माह में थोड़ी उम्मीद है, इस माह तापमान नहीं बढ़ा, तो पूरा सीजन ऐसे ही निकल जाएगा।

इंदौर। गत एक पखवाड़े से मौसम के मिजाज को लेकर सभी हैरत में है। कारण अप्रैल माह में लू की लपटे चलने लगती हैं और मई आते-आते यह पूरे शबाब पर गर्मी हो जाती है, लेकिन इस बार अब तक एक बार भी लू की लपटे नहीं चली हैं और वर्तमान में जौ मौसम का मिजाज है, उसने तो वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है। मौसम के मिजाज से किसान तो परेशान हैं, लेकिन साल में एक बार अपना धंधा करने वाले कूलर विक्रेता खासे परेशान हो गए हैं। कारण अप्रैल माह में सबसे ज्यादा कूलर, पंखे और एसी की खरीदी होती है, लेकिन इस बार यह नदारद है। 

आने वाले दिनों से भी खासी उम्मीद नहीं

कूलर, पंखे और एसी के विक्रेताओं ने पूरा माल स्टॉक कर लिया था और वो ग्राहकी का इंतजार कर रहे थे। अप्रैल माह के मध्य में लगा भी था कि जोरदार गर्मी शुरू हो गई है। धूप और गर्मी ने तीखे तेवर दिखाना शुरू कर दिए थे। तामापन भी 36 डिग्री तक पहुंचने लगा था, लेकिन अचानक से मौसम में बदलाव आया और शाम के समय करीब-करीब रोज पानी गिरना शुरू हो गया। दोपहर बादल छाने से तापमान में कमी आने लगी और पिछले तीन दिनों में जो बारिश हुई है, उससे तो इन व्यापारियों के अरमान पर पानी फिर गया। व्यापारियों कहना है कि अब मई माह में थोड़ी उम्मीद है, इस माह तापमान नहीं बढ़ा, तो पूरा सीजन ऐसे ही निकल जाएगा। वहीं दूसरी ओर मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि मई माह में भी इस बार लू के लपेट चलने की उम्मीद नहीं है और मौसम में बदलाव होता रहेगा।

लोगों ने कूलर तक नहीं सर्विस कराए

मालवा-निमाड़ में अप्रैल माह में लोगों के घरों में कूलर लग जाते हैं और लोग अपने पुराने कूलर, एसी की सर्विसिंग करवा लेते हैं। इस बार मौसम के मिजाज के कारण लोगों ने कूलर, एसी की सर्विस भी अब तक नहीं कराई है। ऐसे में इलेक्ट्रीशियन और एसी मैकेनिक का धंधा भी बूरी तरह से प्रभावित हुआ है। वहीं मौसमी ठंड बेचने वाले जैसे फालूदा, गन्ने का रस, आइस्क्रीम, बर्फ गोले के ठेले वालों का भी धंधा जोर नहीं पकड़ पा रहा है। इसका कारण पिछले दिनों शहर में चली वायरल और कोरोना के डर के कारण लोगों ने ठंडी चीजों से परहेज कर लिया था। वहीं दूसरी ओर मौसम ने भी इनका साथ नहीं दिया है। इस बार हर बार की तरह शहरभर में लगने वाले गन्ने, बर्फ के गोले आदि के ठेले भी बहुत ज्यादा नजर नहीं आ रहे हैं।

पहली बार नहीं रही तरबूज की डिमांड

गर्मी शुरू होते ही सबसे ज्यादा डिमांड तरबूज की रहती थी। इस बार हालत यह है कि तरबूज खेरची में 10 रुपए किलो मिल रहा है, जबकि गर्मियों में 20 रुपए किलो से कम नहीं बिकता था। यही हाल अंगूर के भी हैं। अच्छा अंगूर 50 रुपए किलो मिल रहा है। इसके दो कारण बताए जा रहे हैं। एक आवक ज्यादा और खपत कम रही। साथ ही तेज गर्मी के कारण इसकी डिमांड नहीं बड़ी। वहीं दूसरी ओर इन दिनों शहर में फलों का राजा आम भी आ गया और बादम आम 40-50 रुपए किलो इस सीजन में मिल रहा है, जबकि इस सीजन में 80 से 100 रुपए किलो इसके भाव रहते थे। इसलिए अब लोगों की रुचि आम की तरफ बढ़ गई है।

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