MP NEWS: हाइड्रो बिजली होगी स्टोर- मप्र में पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजना लेगी आकार

MP Hydro Storage Project : मप्र पॉवर मेनेजमेंट कंपनी को कुल 10 फीसदी बिजली का पहले उपयोग करने का अधिकार हासिल होगा। टैरिफ मप्र विद्युत नियामक आयोग तय करेगा।
हाइड्रो बिजली होगी स्टोर
हाइड्रो बिजली होगी स्टोर RE-Bhopal

Hydro Electricity will Be Stored : भोपाल, मध्यप्रदेश । बिजली को स्टोर करके रखना कुछ समय तक केवल कल्पना की बात थी, लेकिन अब ये हकीकत बनने जा रही है। मप्र में हाइड्रो से बनने वाली बिजली को स्टोर भी किया जाएगा। ये बिजली बैटरी में स्टोर होगी और जरुरत के समय या मांग अधिक होने पर इसका उपयोग किया जा सकेगा। स्टोर करने की क्षमता विकसित करने के लिए प्रदेश को बड़े निवेशकों की जरुरत पड़ेगी। लिहाजा सरकार ने रियायतों के दरवाजे खोल दिए हैं। प्रदेश में सभी निवेशक जो कि मप्र की इस परियोजना को आकार लेने में मदद करेंगे, उन पर सरकार की रियायतों की कृपा बरसेगी।

प्रदेश में पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए योजना तैयार कर ली गई है। अब इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने तैयारी कर ली है। दरअसल ये महत्वाकांक्षी योजना वैसे तो केंद्र सरकार की है। केंद्र सरकार ने ही इस संबंध में निर्णय लिया है, जिसके तहत देश के राज्यों को अपने राज्य में इस योजना को लागू करना है। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद मप्र देश के उन राज्यों में शुमार है, जहां सबसे पहले इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इस योजना को मप्र की नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 के तहत ही लागू किया जाएगा।

क्यों पड़ रही जरुरत

दरअसल केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देश में वर्ष 2029-30 की अवधि तक बिजली की कुल उत्पादन क्षमता का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि तक उत्पादन क्षमता 817 गीगावाट होगी। इस अवधि में सौर ऊर्जा से 140 और पवन ऊर्जा से 280 गीगावाट बिजली उत्पादन होगा। ये भी आकलन किया गया है कि नवकरणीय ऊर्जा की परियोजनाओं को ग्रिड से इंटीग्रेशन या संबद्ध करने के लिए 10151 मेगावाट पंप हाइड्रो प्रोजेक्ट और 27000 मेगावाट बैटरी इनर्जी स्टोरेज क्षमता की स्थापना की जरुरत पड़ेगी। जरुरत के मुकाबले अधिक बिजली उत्पादन को देखते हुए ग्रिड को अतिरिक्त भार से बचाने के लिए नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के साथ उसी की तरह बिजली भंडारण परियोजनाओं का विकास करना अब अनिवार्य हो गया है।

मप्र देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां गैर परंपरागत तरीके से बिजली का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने मप्र के लिए जो रिपोर्ट तैयार की है उसके मुताबिक मप्र में कुल 11.2 गीगावाट पीएचएस परियोजनाओं की क्षमता उपलब्ध है। सबसे बड़ी बात यह कि इस आकलन में ऑफ रिवर पीएचएस परियोजना और मौजूदा स्थापित जल विद्युत परियोजनाओं में रेट्रो फिटिंग के आधार पर विकसित किए जा सकने वाले पीएचएस परियोजना शामिल नहीं है।

निवेशक आवेदन के साथ प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी देंगे

चूंकि इस तरह की योजना देश और प्रदेश में पहली बार आकार ले रही है, इसलिए सरकार केवल कागजी दावों पर भरोसा नहीं करेगी। निवेशक जो कि पीएचएस के विकास के लिए दिलचस्पी दिखाएंगे, उन्हें आवेदन के साथ पंजीयन कराना होगा। इतना ही नहीं उन्हें बाकायदा पंप हाइड्रो स्टोरेज साइट की प्रीलिमिनरी एक्सप्लोरेशन रिपोर्ट भी देना होगा। उन्हें जलाशयों की भंडारण क्षमता के साथ ही राजस्व, वन या निजी भूमि का विवरण, जलाशय की भौगोलिक स्थिति, जलाशय की पूर्ण भराव क्षमता, न्यूनतम जल क्षमता का भी ब्यौरा देना होगा।

जमीन से लेकर पानी तक सब रियायती

पीएचएस परियोजना के लिए यदि राजस्व भूमि की जरुरत पड़ती है तो फिर राज्य सरकार मप्र नवकरणीय ऊर्जा नीति के तहत रियायत देगी। इसी तरह मप्र विद्युत शुल्क अधिनियम 2012 के प्रावधानों के तहत पीएचएस परियोजनाओं को विद्युत ऊर्जा के भंडारण के लिए खरीदी गई ऊर्जा और डिस्कॉम, तीसरा पक्ष, केप्टिव उपयोग के लिए बेची गई विद्युत ऊर्जा पर उनके व्यवसायिक उत्पादन की तिथि से 10 वर्ष की अवधि के लिए विद्युत शुल्क के भुगतान पर छूट मिलेगी। इतना ही नहीं उन्हें 10 वर्ष की अवधि के ऊर्जा विकास उपकर यानी सेस भी नहीं देना पड़ेगा।

निजी जमीन के मामले में स्टॉम्प ड्यूटी की भरपाई सरकार करेगी

निवेशकों को आकर्षित और प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने जो योजना तैयार की है उस हिसाब से पीएचएस परियोजना के लिए यदि निजी जमीन की जरुरत पड़ती है तो निवेशकों को 65 फीसदी स्टॉम्प ड्यूटी की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी। इसके तहत ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के लिए 50 प्लस 15 फीसदी अतिरिक्त की प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एमपी पॉवर ट्रांसमिश कंपनी या बिजली वितरण कंपनियों के माध्यम से व्हीलिंग की सुविधा भी मिलेगी। 5 वर्ष के लिए व्हीलिंग चार्ज में 50 फीसदी की छूट मिलेगी। पंजीकरण व सुविधा शुल्क में भी 20 फीसदी की राहत मिलेगी। निवेशकों को कॉर्बन क्रेडिट सहित अन्य प्रोत्साहन लेने का भी अधिकार हासिल होगा। शासकीय भूमि भी रियायती दामों पर उपलब्ध होगी।

10 फीसदी बिजली मप्र के लिए आरक्षित होगी

मप्र पॉवर मेनेजमेंट कंपनी को कुल 10 फीसदी बिजली का पहले उपयोग करने का अधिकार हासिल होगा। टैरिफ मप्र विद्युत नियामक आयोग तय करेगा।

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