Narmadapuram : जिला एनएचएम कार्यालय में आशा डायरी घोटाला
नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में घपलों-घोटालों का दौर बदस्तूर जारी है। पिपरिया के आशा कार्यकर्ता प्रोत्साहन राशि घोटाले की जांच पूरी भी नहीं हो सकी थी कि सीएमएचओ कार्यालय में आशा डायरी घोटाला सामने आ गया।
क्या है मामला :
आशा कार्यकर्ताओं को रोजाना के काम की रिपोर्ट या लेखा जोखा दर्ज करने के लिए डायरी दी गई है, लेकिन यह डायरी कब कहां किसने, किसके आदेश से छपवाई, किस दर से छपवाई और इनकी संख्या कितनी है, यह किसी को पता नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इन डायरियों के लिए जिला एनएचएम कार्यालय की ओर से एक प्रिंटर्स को किया गया। इसमें डीपीएम और सीएमएचओ दोनों की अनिमियतता सामने आ रही है। बताया जाता है डायरी खरीदने अथवा छपवाने के लिए कोई निविदा या टेंडर जारी नहीं किया, बल्कि छपवाकर रातों-रात चोरी छिपे स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचा दी गई, ताकि किसी को इसकी भनक न लग सके।
नित नये घोटाले लगातार सामने आने के बाद भी जिले की व्यवस्था में सुधार होने की स्थिति तो बहरहाल नहीं दिख रही है। लेकिन घपले और घोटाले जरूर सामने आ रहे हैं। नया घोटाला एनएचएम का है जिसमें आशा डायरी के नाम पर फर्जी भुगतान किये जाने की बात सामने आ रही है। इस मामले को पिपरिया के आशा प्रोत्साहन योजना घोटाला का दूसरा एपीसोड भी माना जा सकता है। जिसमें सीधे तौर पर डीपीएम और सीएमएचओ की भूमिका सामने आ रही है। बता दें कि जिले में एक एनएचएम का आशा डायरी घोटाला उजागर हो रहा है। जिसमें सीधे-सीधे डीईएम और सीएमएचओ शामिल है। जिसका कोई अता-पता नहीं है। दरअसल आशा डायरी में लाखों का भुगतान किया गया है लेकिन इन डायरी का किसने आर्डर दिया, जावक नंबर क्या है, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। सभी जिम्मेदारी अपना पल्ला झाड़़ रहे हैं। इसके अलावा लगभग 4 लाख रूपये के बिल एनएचएमए डीएएम के पास रखे है। इससे स्पष्ट है कि बिल हैं तो सामग्री भी क्रय की गई होगी, लेकिन कैसे, यह जांच का विषय है।
जिले का आशा डायरी घोटाला इंदौर आशा डायरी जैसा है। आशा डायरी बुलाये जाने की डीसीएम शुक्ला की भूमिका सामने आ रही है। किसी अन्य जिले से दीपक प्रिंटर्स से प्रिंन्टिग सामग्री भी छपवाई गई, जिसका 1 लाख 70 हजार रूपये भुगतान एनआईटीएम से किया गया, जिसका लेखा-जोखा विभाग में मौजूद है। बता दें कि डीसीएम शुक्ला ने रातों-रात डायरी सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में भेज दी, जबकि निविदा कब निकली, निविदा में किसने हिस्सा लिया, सप्लायर कौन है, दर क्या है और किसके आदेश पर प्रिंटिंग हुई है, यह जांच का विषय है। इस पूरे मामले में सरकारी पैसे का दुरूपयोग किया गया है, जिसकी जांच प्रशासनिक स्तर पर होना चाहिये। इस पूरे घोटाले में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. प्रदीप मोजश का भी हाथ बताया जा रहा है, जो लोकायुक्त की कार्यवाही में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जा चुके है।
बता दें कि आशा डायरी जिला प्रशिक्षण केन्द्र में एक माह पहले मिनि ट्रक से कहीं से लाई गई थी, जिसमें सीएमएचओ और डीसीएम ने जिले में रातों रात बटवा दिया, जिसमें सीएमएचओ और डीसीएम की भूमिका जांच के घेरे में है। इस मामले में प्रभारी सीएमएचओ डॉ. दिनेश दहलवार से संपर्क करना चाहा, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
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