भोपाल : ना रावण ने सीता हरी, ना राम वध कर पाए

भोपाल, मध्य प्रदेश : इस साल रामलीला का मंचन कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं हो रहा है और ये कलाकार इससे काफी मायूस हैं।
वर्ष नहीं हो पा रहा रामलीला का मंचन
वर्ष नहीं हो पा रहा रामलीला का मंचनNeha Shrivastava - RE

भोपाल, मध्य प्रदेश। रात के सन्नाटे में दूर-दूर तक रावण की हंसी की गूंज इन दिनों सुनाई देती थी, वहीं राम के मुख से रामायण की चौपाइयां सुनकर दर्शक भावविभोर हो उठते, राजा दशरथ-कैकयी संवाद कुछ सुन कर दर्शकों के आंसू छलक जाया करते थे। कई बार दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से मंच पर मौजूद राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान सहित अन्य पात्र निभाने वाले कलाकार खुद की अदाकारी को सार्थक मानते थे। इन कलाकारों की आवभगत कई हफ्तों तक चलती। दर्शकों से सम्मान मिलता तो इन्हें भी खुद को नियमों में बांधकर रखना पड़ता। बावजूद इसके कई दशकों से इन कलाकारों ने रामलीला में अपने पात्र को उतनी ही शिद्दत से निभाया, जितना कि वे अन्य मंचों पर अदाकारी को निभाते हैं। लेकिन इस साल रामलीला का मंचन कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं हो रहा है और ये कलाकार इससे काफी मायूस हैं।

नवरात्रि के दौरान शहर के अलग-अलग इलाकों में कई दशकों से रामलीला का मंचन होता रहा है। शहर या शहर के बाहर से आने वाले शौकिया कलाकार या फिर मामूली मानदेय पर अपने पात्र को भक्ति-भाव से निभाते रहे हैं। वैसे तो शहर के कई इलाकों में रामलीला का मंचन होता है लेकिन शहजानाबाद में लगभग 22 वर्षों से और भेल क्षेत्र में पिपलानी, बरखेड़ा और गोविंदपुरा में पिछले लगभग छह दशकों से लगातार रामलीला का मंचन होता रहा है। इन 60 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि किसी वर्ष, किसी भी कारण से रामलीला का मंचन नहीं हुआ हो, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से दशकों पुरानी रामलीला मंचन की परंपरा इस वर्ष टूट रही है। इससे ना केवल दर्शक दुखी हैं, बल्कि कलाकार भी निराश हैं। कहीं ना कहीं अधिकांश कलाकारों को रामलीला के मंचन के दौरान ऐसा महसूस होता रहा है कि जीवन की भागमभाग से समय निकालकर उन्होंने रामलीला के विभिन्न पात्रों को निभाते हुए ईश्वर भक्ति की है। जब इस वर्ष रामलीला का मंचन नहीं हो रहा है तो विभिन्न पात्र निभाने वाले कलाकार क्या सोच रहे हैं इसको लेकर राज एक्सप्रेस ने इन कलाकारों से बातचीत की।

रामलीला का मंचन नहीं होने से नवरात्रि लग रही अधूरी मैं लगभग 20 वर्षों से रामलीला में राम का किरदार निभा रहा हूं, वहीं पिछले 3 वर्षों से निर्देशन भी कर रहा हूं। हमारी समिति में काम करने वाले कलाकार कई वर्षों या दशकों से जुड़े हुए हैं। हम सब चंदा करने से लेकर आयोजन के संपन्न होने तक एक परिवार की तरह मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास करते हैं। गणेश विसर्जन से हमारी रिहर्सल चालू हो जाती है और हर बार हम प्रण लेते हैं कि इस बार पिछले बार से भी बेहतर करना है। रामलीला के नौ दिन हम सभी कलाकार किरदार के रंग में रंग होते हैं। लेकिन कोरोना के कारण इस साल रामलीला का मंचन ना होने से नवरात्रि अधूरी लग रही है।

शैलेंद्र दुबे, कलाकार , भेल रामलीला समिति

नए कलाकारों को करते हैं प्रेरित पिछले 36 सालों से रामलीला में रावण का किरदार निभा रहा हूं। मेरी उम्र 63 साल है और पुलिस सेवा से रिटायर हो चुका हूं। मुझे रामलीला में हिस्सा लेने के लिए अपने ऑफिस से भी अनुमति मिल जाती थी। रामलीला हमारी सांस्कृतिक व पारंपरिक धरोहर है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हम नए कलाकारों को भी इसका हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करते हैं। इस साल कोरोना के कारण रामलीला का मंचन नहीं हो रहा है तो सभी कलाकार मायूस हैं।

परमानंद गिरि, कलाकार, रामलीला समिति

रामलीला का हिस्सा होना, एक खास अनुभूति है मैं एक साल की उम्र से ही रामलीला में किरदार निभा रहा हूं। मेरी उम्र 42 साल है, मैं एक साल से भी छोटा था तब मैंने राम के बाल रूप का किरदार निभाया, उसके बाद कई किरदार निभा चुका हूं। मेरे पिताजी बीपी पाठक ने इस समिति की शुरुआत से ही लगभग 56 वर्षों तक विभिन्न किरदार निभाए। मेरे भाई व बहन इस मंच का हिस्सा रह चुके हैं। इतने वर्षों से लगातार रामलीला तैयारी से लेकर मंचन तक अपने परिवार व अन्य साथियों के साथ मिलकर इस मंच से जुड़े रहना एक खास अनुभूति है। इस साल रामलीला नहीं होने से नवरात्रि फीखी लग रही है।

हरीश पाठक, कलाकार व संचालन, भेल रामलीला समिति

आदत सी हो गई है, मिस कर रहे हैं इस मंच पर मेरे पिताजी ने विश्वामित्र व अन्य कई रोल निभाए। मैं 9 साल की उम्र से रामलीला में राम, कुश, हनुमान विभिन्न पात्र निभा रहा हूं। मेरा बेटा भी इससे काफी जुड़ाव महसूस करता है। पिछले 39 वर्षों में ऐसा कभी भी नहीं हुआ है कि मैं और मेरा परिवार रामलीला के आयोजन से दूर रहे हों। हमें इसकी आदत सी हो गई है। काम की कितनी ही व्यस्तता क्यों ना रही हो, हर साल रामलीला में काम करके गौरांवित महसूस करता हूं। नवरात्रि के दौरान हर साल शाम होते ही फलहार कर के परिवार के साथ रामलीला ग्राउंड पहुंच जाते हैं। कोरोना के कारण रामलीला नहीं हो रही है तो मैं ही नहीं मेरा परिवार, मित्र, सभी इसे बेहद मिस कर रहे हैं।

नागेंद्र शर्मा, कलाकार, रामलीला समिति

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