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जिला सहकारी बैंक घोटाला : प्रशासक के निर्देशन पर ब्रांच मैनेजर, कैशियर, लिपिक एवं एक कर्मचारी को किया सस्पेंड

इस घोटाले का मास्टर माइंड ब्रांच मैनेजर है, लेकिन राजनीतिक दल से जुड़ा होने के कारण अभी तक उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई है और न ही पुलिस ने अब तक उससे पूछताछ की है।

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित शिवपुर ब्रांच में एक किसान परिवार के तीन लोगों के खातों से करीब 40 लाख रूपये गबन की जांच के बाद प्रशासक एवं कलेक्टर नीरज सिंह के निर्देश पर बैंक महाप्रबंधक आरएस भदौरिया ने शनिवार को घोटाले में सीधे तौर पर दोषी ब्रांच मैनेजर सुरेन्द्र सिंह रघुवंशी, सुपरवाईजर पीएन तिवारी, कैशियर विनीता सहित एक अन्य कर्मचारी बदामीलाल मालवीय को निलंबित कर दिया है। जांच में प्रथम दृष्टया इन्हीं के द्वारा गबन किया जाना पाया गया है। वहीं मामले की जांच के दौरान ही इन चारों कर्मचारियों ने बैंक से छुट्टी ले ली है और फरार हो गये हैं। जबकि बैंक प्रबंधन द्वारा इस मामले में एफआईआर की कार्यवाही नहीं कराई गई है। सूत्रों के अनुसार कलेक्टर के निर्देश पर इन सभी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।

जानकारी के अनुसार किसान परिवार के खातों से 40 लाख रूपये का अन्य खातों में ट्रांसफर कर हड़पने के मामले की जांच शुरु होते ही बैंक के कुछ कर्मचारी छुट्टी लेकर भाग गए हैं। जांच के लिए गठित दल दो बार बैंक की शाखा जाकर जांच कर चुका है। इस घोटाले में अब तक हुई जांच में बैंक प्रबंधक सहित चार कर्मचारी दोषी पाये गये हैं, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। बता दें कि आरोपियों ने एक किसान परिवार के तीन सदस्यों के खाते से 40 रूपये से ज्यादा फर्जी दस्तखत से दूसरे खातों में अंतरित कर निकाल लिए। बैंक प्रशासन और कलेक्टर के हस्तक्षेप और निर्देश के बाद मामले की निष्पक्ष जांच की गई है। जांच दल अपनी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपेगा, लेकिन इसके पहले ही जिला सहकारी बैंक में जिन लोगों ने घपला घोटाला किया है उन्होंने डर के मारे ब्रांच से छुट्टी का आवेदन देकर फरार हो गए हैं। इनमें ब्रांच मैनेजर, सुपरवाईजर, कैशियर सहित एक अन्य कर्मचारी शामिल है। बताया जाता है कि इस मामले में लिपिक अजय सिंह राजपूत सहित अन्य कर्मचारी भी जांच के दायरे में हैं, जिनकी जांच भी की जा रही है।

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सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले का मास्टर माइंड ब्रांच मैनेजर है, लेकिन राजनीतिक दल से जुड़ा होने के कारण अभी तक उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है और न ही पुलिस ने अब तक उससे पूछताछ की है। बताया जाता है कि बैंक में घोटाला उजागर होने के बाद से ब्रांच में लेन-देन बंद कर दिया गया है। ब्रांच में मात्र 2 कर्मचारी ही ड्यूटी पर तैनात हैं। बाकी अन्य कर्मचारी तैनात थे, उन लोगों ने अवकाश ले लिया है । खास बात यह है कि बैंक महाप्रबंधक का बयान किसान के हित में अभी तक नहीं आया है इधर बैंक प्रबंधक अपने आप को एक मंत्री का रिश्तेदार बताते हैं। शायद यही कारण रहा है कि बैंक में महिला किसान और उसके बेटों की इतनी बड़ी राशि ब्रांच से गायब हो गई, लेकिन बैंक ने अभी तक इतना समय बीत जाने के बाद भी इन आरोपियों के खिलाफ सिर्फ रिपोर्ट और जांच दल भेजकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

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