निर्वाना फाउण्डेशन ने कन्नड़ भाषी वृद्ध को घर पहुंचाने में की मदद

कर्नाटक के यादगिर का रहने वाला वृद्ध दादर जाने के लिए निकला था, लेकिन वह गलत ट्रेन में बैठ गया, जिससे छतरपुर आ गया।
निर्वाना फाउण्डेशन ने कन्नड़ भाषी वृद्ध को घर पहुंचाने में की मदद
निर्वाना फाउण्डेशन ने कन्नड़ भाषी वृद्ध को घर पहुंचाने में की मददPankaj Yadav

राज एक्सप्रेस। कर्नाटक के यादगिर का रहने वाला वृद्ध दादर जाने के लिए निकला था, लेकिन वह गलत ट्रेन में बैठ गया, जिससे छतरपुर आ गया। कन्नड़ भाषी वृद्ध हिन्दी से पूरी तरह से अछूता था, इसलिए उसे कोई सही रास्ता बताने वाला नहीं रहा, लेकिन कुदरत का करिश्मा ही कहें कि उसकी खबर निर्वाना फाउण्डेशन तक पहुंच गई। निर्वाना फाउण्डेशन के संचालक संजय सिंह ने वृद्ध को अपने पास रखा और उसको नहलाया तथा अपने सहयोगियों के माध्यम से उसकी भाषा में बात की तब कहीं जाकर उसके बारे में जानकारी मिल सकी और परिवार से मिलाने में मदद मिली। परिवार से मिलकर वृद्ध फूट-फूट कर रोने लगा।

संजय सिंह ने बताया :

निर्वाना फाउण्डेशन के संचालक संजय सिंह ने बताया कि, 19 नवंबर को फाउण्डेशन से जुड़े नवदीप पाटकर ने उन्हें सूचना दी कि एक वृद्ध बदहवास स्थिति में स्टेशन में है उसकी स्थिति काफी दयनीय है। सूचना मिलने पर श्री सिंह स्टेशन जाकर उसे अपने साथ ले आए। कई दिनों से ट्रेन में घूम रहा वृद्ध बदबू से लबरेज था, उसे अपने साथ लाने के बाद स्नान कराया और अच्छे कपड़े पहनाए। चूंकि वह हिन्दी और अंग्रेजी नहीं जानता था, इसलिए उसकी पहचान करना मुश्किल थी। कन्नड़ भाषी होने के कारण उसके बारे में जानना काफी कठिनाई भरा रास्ता था, लेकिन कुछ सहयोगी कन्नड़ भाषी हैं, जिनसे बात कराने के बाद वृद्ध का नाम मल्लिकार्जुन ज्ञात हुआ तथा उसकी पत्नि गंगायम्मा का नाम सामने आया। वृद्ध की जेब से यादगिर से दादर का टिकिट मिला था। चूंकि फाउण्डेशन में महिलाओं को आश्रय मिलता है, इसलिए मल्लिकार्जुन को ढड़ारी स्थित मकान में ले जाया गया और रोज उससे बातचीत करने की कोशिश की गई, जिससे उसके परिवार की जानकारी मिली और इसी के सहारे परिवार को उससे मिलवा दिया गया।

जहां मातम छाया था वहां गुलजार हुईं खुशियां :

60 वर्षीय वृद्ध मल्लिकार्जुन के साले निजलिंगप्पा ने बताया कि, उनके जीजा अचानक लापता हो गए थे। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें खोजने की बहुत कोशिश की गई लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा था। मल्लिकार्जुन के न मिलने से पूरा घर चिंतित और शोक में डूबा था। चार दिन पहले उन्हें निर्वाना फाउण्डेशन से सूचना दी गई कि उनके बहनोई छतरपुर में हैं। यह सुनते ही परिवार में खुशियां बरस गईं। उन्होंने निर्वाना फाउण्डेशन और उनके संचालक की तारीफ करते हुए कहा कि, उनके कारण ही आज मल्लिकार्जुन का पुनर्जन्म हुआ है। यदि फाउण्डेशन के पास वृद्ध न पहुंचता तो न जाने क्या स्थिति बनती। निजलिंगप्पा ने कहा कि संजय सिंह की तारीफ करने के लिए उनके पास कोई शब्द नहीं हैं।

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