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MP News : अब 15वीं विधानसभा का हो गया सत्रावसान

Madhya Pradesh Assembly Adjourned : पांच वर्ष में एक बार ही जारी होती है इस तरह की अधिसूचना

हाइलाइट्स :

  • राज्यपाल विधानसभा के गठन की अधिसूचना को मंजूरी देते हैं।

  • अब मौजूदा विधानसभा में किसी तरह का कोई सत्र आहुत नहीं किया जा सकता।

  • 6 जनवरी के बाद पुरानी विधानसभा का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा।

भोपाल, मध्यप्रदेश । मौजूदा 15वीं विधानसभा का आखिरकार सत्रावसान हो गया है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने 15वीं विधानसभा के सत्रावसान की अधिसूचना को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ मौजूदा विधानसभा के समापन की दिशा में एक और कदम और आगे बढ़ गया है। सामान्य तौर पर राज्यपाल विधानसभा के गठन की अधिसूचना को मंजूरी देते हैं और फिर उसके बाद विधानसभा के सत्रों को आहुत करने की अनुमति देते हैं,उसके बाद अधिसूचना जारी की जाती है। इसी तरह चाहे बजट सत्र हो या फिर शीतकालीन सत्र , पावस सत्र सहित विशेष परिस्थितियों में बुलाए गए किसी भी सत्र को आहुत करने और फिर सत्रावसान की अधिसूचना राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही जारी होते हैं। ये एक महत्वपूर्ण विधायी प्रक्रिया का हिस्सा है।

राज्यपाल मंगुभाई पटेल द्वारा विधानसभा का सत्रावसान किए जाने के बाद ये तय हो जाता है कि अब मौजूदा विधानसभा में किसी तरह का कोई सत्र आहुत नहीं किया जा सकता। 6 जनवरी के बाद मौजूदा विधानसभा का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा इधर राज्यपाल द्वारा विधानसभा का सत्रावसान किए जाने के बाद राज्यपाल की ओर से मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के नाम से भी एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें ये भी साफ किया गया है कि राज्य की विद्यमान विधानसभा यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी गई हो तो 6 जनवरी 2024 को शामिल करते हुए इस तरह तारीख तक बनी रहेगी और उसके बाद उसकी अवधि के अवसान पर विघटित मानी जाएगी।

यानी इस अवधि तक नई विधानसभा गठित हो जाती है तो फिर पुरानी विधानसभा स्वत: ही विघटित हो जाएगी, लेकिन यदि किसी कारणवश तय समय तक भी नई विधानसभा गठित नहीं होती तो भी 6 जनवरी के बाद पुरानी विधानसभा का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। यहां बता दें कि मप्र में विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की गई है। इसी के साथ नामांकन भरने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रदेश में एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 3 दिसंबर को होगी। ऐसे में ये भी तय माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के एक सप्ताह के भीतर ही प्रदेश में नई सरकार का गठन हो जाएगा। यानी नई सरकार दिसंबर में ही अस्तित्व में आ जाएगी। नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद पुरानी विधानसभा स्वत: विघटित हो जाएगी।

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