मनोकामना पूरी करने के लिए अब बड़े स्तर पर होगा आंदोलन: विश्वासराज
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मनोकामना पूरी करने के लिए अब बड़े स्तर पर होगा आंदोलन: विश्वासराज

पुरानी पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर मनोकामना यात्रा का विधिवत समापन नहीं होने से प्रदेशभर के आजाद अध्यापक संघ के शिक्षक आर-पार के मूड में आ गए हैं और बड़े स्तर पर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं।

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। पुरानी पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर मनोकामना यात्रा का विधिवत समापन नहीं होने से प्रदेशभर के आजाद अध्यापक संघ के शिक्षक आर-पार के मूड में आ गए हैं और बड़े स्तर पर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल, डेढ़ महीने से प्रदेशभर में निकाली जा रही मनोकामना यात्रा का समापन शनिवार को भोपाल में प्रस्तावित था। कार्यक्रम में शामिल होने प्रदेशभर से शिक्षक आ रहे थे। जिन्हें पुलिस और प्रशासन ने आने से रोक दिया। कार्यक्रम स्थल से टेंट उखड़वा दिया और भोपाल आने पर शिक्षकों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। इससे शिक्षक भड़क गए हैं। अब वह पुरानी पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन पर विचार कर रहे हैं। आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ ने पदाधिकारियों से परामर्श भी शुरू कर दिया है। प्रदेश में कोरोना के मद्देनजर लगाई गईं बंदिशें समाप्त होने के बाद इसका असर दिखाई देगा।

जिलाध्यक्ष विश्वासराज शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में दो लाख 85 हजार अध्यापक वर्ष 2018 में शिक्षक बने हैं। इन शिक्षकों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है, पर उसमें डेढ़ हजार से तीन हजार रुपये तक ही पेंशन मिल रही है। कुछ मामलों में सेवानिवृत्त या मृतक शिक्षक के आश्रितों को पेंशन ही नहीं मिल रही है। कोरोना काल में करीब दो सौ शिक्षकों की विभिन्न कारणों से मृत्यु हुई है। उन परिवारों की व्यथा सरकार को सुनाने के लिए शिक्षक मनोकामना यात्रा निकाल रहे थे। आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ ने भोपाल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित किया था। संघ के अन्य कार्यक्रमों में भी भाजपा के सांसद-विधायक शामिल हुए थे। संघ के पदाधिकारी बताते हैं कि किसी भी कार्यक्रम में प्रदर्शन नहीं हुआ। भोपाल के कार्यक्रम में भी नहीं होता, पर दमनकारी नीति अपनाकर हमें रोका गया है।

रास्ते से लौटना पड़ा :

जिलाध्यक्ष ने कहा कि शनिवार के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों से करीब दो सौ बसें और अन्य चार पहिया वाहन से शिक्षक भोपाल के लिए निकल चुके थे, उन्हें रास्ते से लौटाया गया। पुलिस ने भोपाल आ रहे शिक्षकों की संख्या जानने के लिए सभी जिलों के पदाधिकारियों को फोन लगाया। संख्या एक लाख होने का पता चलने पर तत्परता से रोक लगाई। उधर, आयुक्त लोक शिक्षण ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर जिलों में आंदोलन करने वाले शिक्षकों की वीडियोग्राफी कराने और जनशिक्षकों को स्कूलों में जाकर संघ के पदाधिकारियों की उपस्थिति जांचने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अनुपस्थित या आंदोलन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश दिए थे। उधर, आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष भरत पटेल कहते हैं कि हम विधवा महिला और मृत शिक्षकों के बच्चों की मांग लेकर आ रहे थे। धरना-प्रदर्शन जैसा कुछ नहीं था। इससे पहले का हर कार्यक्रम पूरे अनुशासन में हुआ, पर सरकार ने सही नहीं किया। जितनी तत्परता कार्यक्रम को रोकने में दिखाई, उतनी क्रमोन्नति आदेश जारी करने और पिछले सालों में मृत शिक्षकों की पत्नियों को अनुकंपा नियुक्ति, उन्हें सम्मानजनक पेंशन देने में दिखाती। अब शिक्षक आंदोलित हैं और हम इस दिशा में विचार कर रहे हैं।

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