MP में 16 साल से कम उम्र वाले बच्चों की नहीं होगी Coaching, शिक्षा विभाग का आदेश

केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, MP के उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि राज्य के Coaching संस्थान अब 16 साल से कम उम्र वाले बच्चों का एडमिशन नहीं करेंगी।
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हाइलाइट्स :

  • MP में 16 साल से कम उम्र वाले बच्चों की अब नहीं होगी कोचिंग

  • केंद्र सरकार की नई की गाइडलाइन के मद्देनज़र एमपी उच्च शिक्षा विभाग ने दिया आदेश

  • कोटा में लगातार छात्रों के बढ़ते आत्महत्या करने के मामलों को रोकने के लिए नया आदेश

भोपाल, मध्य प्रदेश। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश दिया है कि राज्य के कोचिंग संस्थान अब 16 साल से कम उम्र वाले बच्चों का एडमिशन नहीं करेंगी। केंद्र सरकार के आदेश अनुसार, अब कोई भी कोचिंग संस्थान (Coaching) 16 साल से कम उम्र के छात्रों को अपने यहां नहीं पढ़ा सकते हैं। मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। राज्य की उच्च शिक्षा विभाग से पारित आदेश से कोचिंग संस्थानों के मनमानी पर रोक लगेगी।

मध्यप्रदेश के कोचिंग संस्थाओं मनमानी फीस वसूलने पर जिम्मेदार व्यक्तियों को जेल हो सकती है। कोचिंग का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।ऐसा इसलिए क्योंकि बीते कुछ समय से कोटा में जिस तरह से बच्चों के आत्महत्या के मामलेल सामने आए हैं, उसने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी। यही वजह है कि सरकार ने छात्रों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह एक्शन लिया है। एक आंकड़े के मुताबिक 2023 में छात्रों के आत्महत्या के 28 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से सबसे अधिक मामले भारत की प्रसिद्ध कोचिंग मंडी कोटा, राजस्थान में थे. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसी गाइडलाइंस तैयार की हैं, जिससे इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।

कोटा में क्यों होते है आत्महत्या के मामले :

कोटा के मनोचिकित्सक अखिल अग्रवाल के अनुसार, छात्र आमतौर पर साथियों के दबाव और मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या करते हैं। उनमें से अधिकांश होनहार छात्र होते हैं, लेकिन कम अंक प्राप्त करते हैं और उन्हें लगता है कि वे अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को यह निर्धारित करने के लिए एक परीक्षा आयोजित करनी चाहिए कि छात्र इस तरह के मानसिक दबाव को झेल पाएंगे या नहीं. उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने छात्रों पर डॉक्टर या इंजीनियर बनने के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को विश्राम सत्र या किसी प्रकार का मनोरंजन भी करना चाहिए।

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