सतर्कता ही आपको साइबर ठगी से बचा सकती है : लोकपाल हेंमत सोनी
भोपाल, मध्यप्रदेश। पूरी दुनिया में उपभोक्ताओं को जागरूक और सजग करने के लिए विश्व उपभोक्ता दिवस हर साल मनाया जाता है। इन दिनों लोग सबसे ज्यादा साइबर जालसाजी और डिजिटल ठगी के शिकार हो रहें हैं। लिहाजा उपभोक्ता दिवस पर राज एक्सप्रेस के भोपाल सिटी हैड शाहिद कामिल ने मप्र के बैंकिंग लोकपाल हेंमत सोनी से आम उपभोक्ताओं की बैंकिंग से जुड़ी समस्याओं और जरूरी जानकारियों को लेकर खास बातचीत की। इस दौरान सोनी ने आम लोगों को साइबर ठगी से बचने के लिए डिजीटल लेनदेन के समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहक अधिकार के क्षेत्र में क्या कदम उठाएँ हैं?
ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए और सेवा में कमी की शिकायत के त्वरित व नि:शुल्क निवारण के लिए बैंकिंग लोकपाल की स्थापना 1995 में की गयी थी। 2014 में भारतीय रिजर्व बैंक ने अधिकारों का घोषणा पत्र जारी किया। शिकायत निवारण और मुआवजे के अधिकार को और सुदृढ़ बनाने के लिए 2018 में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए व 2019 में डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना लायी। एक टोल फ्री नंबर - 14448 की उपलब्धता शिकायत दर्ज कराने, उनकी शिकायतों की स्थिति का पता लगाने के लिए की गई है।
शिकायतकर्ता किन-किन विनियमित संस्थाओं के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है?
इस योजना में सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ,आरआरबी, सभी अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक यूसीबी और ऐसे गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक जिनकी जमा राशि पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 50 करोड़ या उससे अधिक है।
साइबर संबंधी धोखाधड़ी से बचने के लिए आमजन को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
लोकपाल कार्यालय में प्राप्त शिकायतों का सबसे बड़ा हिस्सा डिजिटल लेनदेन एवं धोखाधड़ी से संबन्धित है, जिसका प्रमुख कारण ग्राहकों में जागरूकता का अभाव है। ग्राहक को डिजिटल लेनदेन करते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए,किसी अवांछित ईमेल/एसएमएस आदि में दिये गए लिंक पर क्लिक न करें।ओटीपी अन्य गोपनीय जानकारी किसी के साथ साझा न करें। सुनिश्चित करें कि सही मोबाइल नंबर आपके बैंक खाते से जुड़ा हुआ है। गूगल सर्च पर उपलब्ध कस्टमर हेल्पलाइन कस्टमर केयर नंबर का इस्तेमाल न करें। आधिकारिक वेबसाइट से ही नंबरों का प्रयोग करें। लेनदेन शुरू करते समय वीपीए मोबाइल नंबर खाताधारक का नाम जांचें। पैसे ट्रांसफर करने से पहले अकाउंट नंबर को अच्छी तरह से जांच लें क्योंकि अकाउंट नंबर ही ट्रांसफर का एकमात्र आधार है। कोड को स्कैन यूपीआई पिन तभी दर्ज करे जब आपका उद्देश्य भुगतान करना हो। यह छोटी बातें लगती हैं, किन्तु महत्वपूर्ण हैं।
यह सब सावधानियाँ रखने के उपरांत भी कोई व्यक्ति यदि कोई जालसाजी का शिकार हो जाता है तो उसे तुरंत क्या कदम उठाने चाहिए?
अपने बैंक खाते में धोखाधड़ी से या अनाधिकृत तरीके से हुई लेनदेन से परेशान न हों, बैंक को तुरंत सूचित करें। आप बैंक को सूचित करने में जितना अधिक समय लगाएंगे, आपको उतना ही ज्यादा नुकसान का जोखिम रहेगा।
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