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डीईओं की वेतन वृद्धि रोके जाने संबंधी आदेश निरस्त, हाईकोर्ट से याचिकाकर्ता को मिली राहत

यह मामला डीईओं उमेश कुमार धुर्वे की ओर से दायर किया गया । आयुक्त लोक शिक्षण के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें याचिकाकर्ता के विरुद्ध दो वेतन वृद्धि रोके जाने का आदेश पारित किया गया था।

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने उमरिया जिले में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी को राहत प्रदान की है। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने आयुक्त लोक शिक्षण के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें आवेदक की दो वेतनवृद्धि रोके जाने के आदेश दिया गया था।

यह मामला डीईओं उमेश कुमार धुर्वे की ओर से दायर किया गया है। जिसमें आयुक्त लोक शिक्षण मध्यप्रदेश के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें याचिकाकर्ता के विरुद्ध दो वेतन वृद्धि  रोके जाने का आदेश पारित किया गया था। याचिकाकर्ता के अनुसार जब वह जिला शिक्षा अधिकारी शहडोल के पद पर पदस्थ था। उस समय मान्यता प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में उसे कारण बताओ सूचना जारी किया गया था। जिसका जवाब देते हुए याचिकाकर्ता ने बताया था कि उपरोक्त मान्यता प्रमाण पत्र उनके द्वारा जारी नहीं किया गया एवं इस संबंध में उनके समक्ष कोई भी नोटशीट दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए।

अत: उन्हें दोषी नहीं माना जाना चाहिए, किंतु आयुक्त लोक शिक्षण मध्यप्रदेश द्वारा याचिकाकर्ता के जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए एवं बिना कोई जांच किए हुए 2 वेतन वृद्धि  रोके जाने  संबंधी  आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए बताया गया कि विस्तृत जांच किए बगैर उपरोक्त दंड देना अनुचित है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने आयेुक्त लोक शिक्षण का आदेश निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनोज कुशवाहा एवं कौशलेंद्र सिंह ने पैरवी की

हाईकोर्ट ने अनावेदकों से मांगा जवाब

मप्र हाईकोर्ट ने छतरपुर जिले में समिति प्रबंधक की होने वाली नियुक्ति को याचिका के अंतिम आदेश के अधीन रखने के निर्देश दिये है। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।

यह  मामला सहायक समिति प्रबंधक यशवंत सिंह की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि वह सहायक समिति प्रबंधक के पद पर कार्य कर रहा है। को-ऑपरेटिव विभाग द्वारा छतरपुर जिले में समिति प्रबंधक की नियुक्ति की जा रही है। जिसमें वर्तमान में कार्यरत सहायक समिति प्रबंधक से पद भरे जाना है। याचिकाकर्ता द्वारा उक्त नियुक्ति के संबंध में विभाग में आवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही योग्यता संबंधी समस्त दस्तावेज आवेदन के साथ संलग्न किये थे , किंतु चयन समिति ने याचिकाकर्ता का आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया कि आवेदक समिति प्रबंधक पद की निर्धारित योग्यता नही रखता है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रत्नभारत तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होने दलील दी कि वर्तमान में कार्यरत सहायक समिति प्रबंधक के लिए समिति प्रबंधक पद पर नियुक्ति अर्हता हायर सेकंडरी है, और याचिकाकर्ता का चयन केवल इस आधार पर नही किया है कि वह स्नातक परीक्षा पास नही है। जबकि याचिकाकर्ता न्यूनतम अर्हता हायर सेकंडरी पास है। न्यायालय ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए उक्त अंतरिम आदेश दिये।

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