मध्यप्रदेश की राजनीतिक डायरी
मध्यप्रदेश की राजनीतिक डायरीRE-Bhopal

मप्र की राजनीतिक डायरी: भाजपा की चुनावी रणनीति को धार देंगे भूपेंद्र यादव

Political diary of MP: 15 महीने में ही अपनी सरकार जाने के बाद से कांग्रेस भाजपा सरकार पर लगातार हमले कर रही है। चुनावी दौर में उसके हमले और बढ़ गए हैं।

राजएक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव बेहद कांटे के होने वाले हैं। इस बात का अहसास पार्टी हाईकमान को भी है। यही वजह है कि प्रदेश में चुनाव प्रभार की कमान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को सौंपी गई है। उनके साथ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी बनाना इस बात का संकेत है कि चुनाव में राजनीति के साथ प्रशासनिक क्षमता के उपयोग आने वाले समय में तय होंगे। चुनावों में अब महज चार महीनों का समय बचा है। प्रदेश का संभवत: यह पहला एेसा चुनाव हैं जिसमें दोनों राजनीतिक दल पिछले तीन साल से तैयारी कर रहे हैं।

15 महीने में ही अपनी सरकार जाने के बाद से कांग्रेस भाजपा सरकार पर लगातार हमले कर रही है। चुनावी दौर में उसके हमले और बढ़ गए हैं। चौथी बार सत्ता में बैठी भाजपा भी डिंफेंस की जगह अटैकिंग मोड में है। वह अपने विकास के साथ कांग्रेस के 15 महीने की सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार को प्रदेश की जनता के सामने मुद्दा बना रही है। वहीं भाजपा का केंद्रीय नेत्त्व और मुख्य रणनीतिकार जानते हैं कि कितना भी बेहतर काम किया जाए, कहीं-कहीं एंटीइनकमबेंसी मुद्दा बन ही जाती है। यही वजह है कि मध्यप्रदेश के चुनाव प्रभार की कमान भूपेंद्र यादव जैसे व्यक्ति को सौंपी गई है। भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रबंधन और रणनीति में माहिर माना जाता है। यादव 2010 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव नियुक्त हुए थे।

इसके बाद से पार्टी ने उन्हें जो दायित्व सौंपा, उस पर वे लगातार खरे उतरे। पार्टी ने 2012 में राज्यसभा में भेजा। भूपेंद्र यादव ने 2013 में राजस्थान में भाजपा को चुनाव जिताने में मुख्य रणनीतिकार की भूमिका निभाई। वे उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में 2017 में सक्रिय रहे। इसके बाद उन्हें पार्टी ने बिहार विधानसभा का चुनाव प्रभारी बनाया। यहां भी उन्होंने पार्टी को अच्छी सफलता दिलाई। केंद्रीय मंत्री भूपेंद यादव का चुनावी कौशल देखते हुए उन्हें मध्यप्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। यादव को चुनाव प्रभारी बनाने के पीछे साफ है कि पार्टी प्रदेश में भाजपा की चुनौतियों को बाखूबी समझ रही है। दरअसल इस चुनाव में भाजपा को चुनौती कांग्रेस से कम और अपने ही दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं से ज्यादा होने की उम्मीद है। ग्वालियर -चंबल में दिक्कत सबसे ज्यादा होनी है।

यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए कांग्रेस नेताओं और भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बैठाना अब भी कठिन हो रहा है। यहां टिकट के दावेदारों में कांग्रेस से भाजपा में आकर चुनाव जीतने वाले नेता तो स्वभाविक रूप से अपना दावा ठोक ही रहे हैं। पिछले चुनावों में कांग्रेस के इन्हीं नेताओं को हराने वाले या उनसे संघर्ष करने वाले नेताओं की बड़ी फौज भी है जो टिकट मांग रही है। कमोवेश यही स्थिति बुंदेलखंड की है। यहां कांग्रेस से आए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत समेत कुछ नेताओं की सागर के कद्दावर नेता और मंत्री भूपेंद्र सिंह से पटरी नहीं बैठ रही है।

मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका है। महाकौशल और विंध्य में कुछ विधायक मंत्रियों से भी ज्यादा पावरफुल हैं। इसकी शिकायत आलाकमान तक पहुंच चुकी है। कहने का आशय यह कि भूपेंद्र यादव के लिए क्षेत्रीय नेताओं में सामजंस्य बैठाना सबसे बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों से वे कैसे पार पाते हैं यह आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन यह तय है कि भूपेंद्र यादव मध्यप्रदेश में सभी नेताओं से सामंजस्य बनाकर कार्य करेंगे।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com