Ratlam : घटिया निर्माण की भेंट चढ़ा रावण दहन कार्यकम, ना लंका जली ना रावण

रतलाम, मध्यप्रदेश : रावण दहन कार्यक्रम में दिखी अव्यवस्थाए, छोटे नगरों की तुलना में हुआ घटिया निर्माण। जनता में आक्रोश, देरी से जले रावण ने खोली निगम के जिम्मेदारों की पोल।
रतलाम में ना लंका जली ना रावण
रतलाम में ना लंका जली ना रावणRaj Express

रतलाम, मध्यप्रदेश। कोरोना काल की पाबंदी के 2 साल बाद शहरवासियों को रावण दहन कार्यकम को देखने की उत्सुकता थी, लेकिन ये उत्सुकता जनता में उस वक्त आक्रोश में बदल गई, जब लोगो को रावण दहन का लंबे समय तक खड़े रहकर इंतजार करना पड़ा। रावण दहन कार्यक्रम को देखने के लिए बच्चों में भी काफी उत्सुकता थी, लेकिन अंत में उन्हे भी निराश होना पड़ा। इसके साथ ही मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में रावण का निर्माण इतना घटिया किया गया कि उसे जलाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ी। इस पूरे मंजर को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पोलोग्राउंड में खडे हुए थे, लेकिन इस तरह रावण दहन किया जाएगा यह किसी ने सोचा नहीं होगा। इसके साथ ही रतलाम जिले में ही अन्य तहसीलों में रावण की आकर्षित आकृति बनाई गई थी, जिसकी तुलना में रतलाम का रावण काफी घटिया किस्म का बनाया गया था। इसकी तुलना में जावरा और आसपास के क्षेत्रों में अच्छा रावण बनाया गया था।

नगर निगम द्वारा दशहरे के अवसर पर बड़बड़ स्थित विधायक सभागृह में 31 फिट और पोलोग्राउंड में 51 फीट के रावण के पुतलों का निर्माण करवाया गया था, लेकिन रावण के इन पुतलो को जलाने में काफी मशक्कत करना पड़ी। विधायक सभागृह मैदान में तो थक हार कर अंत में रावण के पुतले को नीचे गिरा कर जलाया गया। वहीं, पोलो ग्राउंड में लंबे इंतजार के बाद करीब 10.30 बजे रावण दहन का कार्यक्रम हो सका। इसके साथ ही रावण के पीछे लंका का निर्माण किया गया था उसे भी जलाया गया, लेकिन वो भी पूरी तरह नहीं जल पाई। इसके साथ ही रावण के साथ ना तो कुंभकरण का पुतला बनाया और ना ही मेघनाथ का।

इस बार दशहरे के मौके पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में शामिल होने हजारों की संख्या में शहरवासी पहुंचे थे। लेकिन रावण दहन में हुई लेटलतीफी और अव्यवस्था से जिस उत्साह से आम जनता आई थी वह निराश होकर लौटी। रावण का दहन भी ठीक से नहीं हुआ। नगर निगम द्वारा रंगारंग आतिशबाजी के नाम पर घटिया पटाखे चलाए गए। जिससे आतिशबाजी देखने पहुंचे लोगों को भी निराशा हाथ लगी। इन सबके बीच अब सवाल यही उठता है कि अन्य तहसीलों के मुकाबले इतना घटिया निर्माण क्यों किया गया।

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