सागर, मध्यप्रदेश। जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत कर्रापुर में बारिश में भी लोग पानी के लिए परेशान हैं। पंचायत के आधे हिस्से के लोग पानी के लिए यहां-वहां भटकते हैं। दरअसल इस पंचायत में पानी की दो टंकियां थीं। इनमें से एक टंकी मार्च 2020 में गिर गई थी। उसके बाद से ही नई टंकी नहीं बन पाई है। वर्तमान में एक टंकी से जल सप्लाई की जाती है, लेकिन उसकी पहुंच क्षमता आधे ही गांव तक है। ऐसे में गांव की आधी आबादी पानी के लिए परेशान हैं। उनके लिए जैसे-तैसे पब्लिक प्वाइंटों तक पानी पहुंचाया जाता है, जहां लोग पानी के लिए उमड़ते हैं।
लोगों का कहना है कि 15 मार्च 2020 को कर्रापुर में पुरानी पानी की टंकी गिरी थी, उस समय बड़ा हादसा टल गया था। लोगों को उम्मीद थी कि यह टंकी जल्द बन जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। टंकी गिरने के एक साल बाद भी लोग परेशान हैं। ग्राम पंचायत की सरपंच ममता लखन पवार का कहना है कि कर्रापुर ग्राम पंचायत के लिए 2 करोड़ 75 हजार रुपये की जलावर्धन योजना वर्ष 2011 में मंजूर हुई थी। ग्रामीणों ने अपना 5 लाख रुपये का अंशदान एकत्रित कर पीएचई विभाग में जमा कर दिया, लेकिन इसके बाद भी जलावर्धन का काम पूरा नहीं हो रहा।
डॉ. लखन पवार के मुताबिक इस जलावर्धन योजना के तहत दो पानी की टंकी व 12 किमी लंबी पाइप लाइन स्वीकृत है, लेकिन पीएचई ने अपनी मनमर्जी से एक कुआं, दो-तीन बोर व आधा किमी की पाइप लाइन डालकर काम बंद कर दिया है। डॉ. पवार का कहना है कि वे कई बार पीएचई को इस के बारे में अवगत करा चुके। सुना है कि जलावर्धन योजना के टेंडर होने हैं, लेकिन यह कब होंगे। यह कहा नहीं जा सकता।
वर्तमान में आधी आबादी बरसात में भी पानी को परेशान हैं। उनके घर तक पानी नहीं पहुंच पाता। यदि नई टंकी या जलार्वधन योजना का काम हो जाए तो इससे संकट से मुक्ति मिलेगी। वहीं पीएचई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्रापुर में वर्ष 2011 में जलावर्धन योजना शुरू हुई थी। उस समय काम न होने पर वर्ष 2018 में इसकी लागत बढ़कर ढाई करोड़ रुपये के पास पहुंच गई है। योजना के लिए टेंडर निकाले गए हैं। टेंडर होते ही काम शुरू किया जाएगा।
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