लॉकडाउन में रेत माफिया सक्रिय, कार्रवाई पर भी उठे सवाल!

सिंध नदी से 4 मोटरबोट रविवार को नष्ट की थीं। जबकि सोमवार दोपहर 1 मोटर बोट को नष्ट किया गया। रेत निकासी स्थल पर पर पुलिस ने दो बार दबिश दी लेकिन हर दफा खाली हाथ लौटना पड़ा।
कार्रवाई जो बनती जा रही है रस्म!
कार्रवाई जो बनती जा रही है रस्म! सांकेतिक चित्र।

हाइलाइट्स

  • करोड़ों की रेत डंप, कार्रवाई की रस्म पूरी

  • लॉकडाउन में रेत माफिया के हौसले बुलंद

  • अधिकारी बोले फोर्स मिलने पर करेंगे जब्त

राज एक्सप्रेस। देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद भिंड जिले में रेत माफिया के हौसले बुलंद हैं। जिले के खेरा-श्यामपुरा गांव में सिंध नदी के घाट पर सक्रिय रेत माफिया से जुड़े लोगों में जिला खनिज विभाग और ऊमरी थाना पुलिस की दबिश के कारण हड़कंप मच गया। छापामार कार्रवाई के दौरान मोटर बोट को खराब कर दिया गया जबकि रेत को जब्त करने की कार्रवाई लंबित है।

रेत माफिया की मौज :

जिला एवं पुलिस टीमों को कोरोना लॉकडाउन में ड्यूटी में व्यस्त देख रेत माफिया की पौ बारह हो गई है। प्रशासन की व्यस्तता देख रेत माफिया ने नदी के आसपास करोड़ों रुपये की रेत अवैध रूप से इकट्ठा कर डाली। मुखबिर की सूचना पर खनिज विभाग की टीम के साथ ऊमरी थाना पुलिस ने शनिवार को सिंध नदी के खेरा-श्यामपुरा गांव के घाट पर जब दबिश दी तो ये नजारा आम दिखा।

दबिश के दौरान नदी से अवैध रेत निकालने वाले आरोपी चंपत हो गए। सूत्रों के मुताबिक मुआयना टीम को मौके पर मोटर बोट मिली जिसे आग के हवाले कर दिया गया। ऊमरी पुलिस के सहयोग से खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने रविवार को कार्रवाई करते हुए सिंध नदी से 4 मोटरबोट रविवार को नष्ट की थीं। जबकि सोमवार दोपहर 1 मोटर बोट को नष्ट किया गया। रेत निकासी स्थल पर पर पुलिस ने दो बार दबिश दी लेकिन हर दफा खाली हाथ लौटना पड़ा।

“नदी के पास रेत का भंडार नहीं था। गांव के आस-पास मिले रेत भंडार के बारे में जांच पड़ताल की जा रही है। कोरोना महामारी के कारण विभागीय कार्रवाई नियमित तरीके से नहीं हो पा रही है। अवैध रेत को जब्त किया जायेगा।”

- आरएस भदकारिया, खनिज अधिकारी

यक्ष प्रश्न :

सवाल उठ रहे हैं कि लॉकडाउन में जब घर से निकलने तक पर प्रतिबंध है तो फिर रेत की अवैध निकासी और परिवहन कैसे संभव हो पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक यह गोरखधंधा रातों-रात धड़ल्ले से जारी है। इसमें नदी से रेत निकालकर स्टॉक को जिले की सीमा में खपाया जा रहा है।

“प्राथमिक जांच में स्टॉक की गई रेत पॉवर मेक प्रोजेक्ट्स कंपनी की नहीं बल्कि स्थानीय ठेकेदार की होने की जानकारी मिली है। खनिज विभाग अवैध रेत कारोबारियों के खिलाफ पुलिस की मदद ले सकता है। अवैध रेत कारोबार की शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जायेगी।”

- नागेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक

कार्रवाई की औपचारिकता :

सिंध नदी से रेत निकालने की सूचना पर होने वाली कार्रवाई लगभग औपचारिकता मात्र बनकर रह गई हैं। हर बार की तरह इस बार भी मोटरबोट को नष्ट करने की रस्म पूर्ण कर कार्रवाई संपन्न हो गई। न तो रेत का स्टॉक जब्त हुआ और न ही मौके पर टीम को कोई आरोपी ही हाथ लगा। नष्ट की गई मोटरबोट को ठीक कराकर फिर उपयोग करने में मात्र 8 से 10 हजार रुपया खर्च आता है।

ऐसे में करोड़ों का अवैध कारोबार करने वालों को यह खर्च ज्यादा नहीं पड़ता। आलम यह है कि प्रशासनिक अमला कार्रवाई के नाम पर मोटरबोट को नष्ट करने की रस्म निभाता है और मात्र चंद दिनों बाद रेत माफिया खराब बोट ठीक कराकर फिर से रेत की अवैध निकासी में जुट जाते हैं। यदि प्रशासन मौके से मोटरबोट को भी जब्त करना शुरू कर दे तो कुछ हद तक रेत की अवैध निकासी और भंडारण पर नकेल कसी जा सकती है।

यहां लग रही रेत की मंडी :

जिला मुख्यालय के भारौली रोड, बीटीआई तिराहा, पुराना रेलवे स्टेशन, नई गल्ला मण्डी, मुडिया खेरा चौराहा जैसी प्रमुख जगहों पर इन दिनों रेत की मंडी सज रही है। खुलेआम रेत के अवैध भंडारण के बावजूद जिला खनिज विभाग को पता न लगना और लॉकडाउन में रेत का परिवहन पुलिस प्रशासन पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

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