थर्मल पावर में ठेकेदार व वेलफेयर की लापरवाही से हुआ हादसा!
थर्मल पावर में ठेकेदार व वेलफेयर की लापरवाही से हुआ हादसा!राज एक्सप्रेस, संवाददाता

Shahdol : थर्मल पावर में ठेकेदार व वेलफेयर की लापरवाही से हुआ हादसा!

शहडोल, मध्यप्रदेश : मोटी कमाई के लिए नियमों को दरकिनार कर रहे जिम्मेदार। अमरकंटक ताप विद्युत गृह में बढ़ता हादसों का ग्राफ।

शहडोल, मध्यप्रदेश। संभाग के महत्वपूर्ण अमरकंटक विद्युत मंडल विभाग जहां पर बीते दिवस ठेकेदार और अधिकारी की लापरवाही के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। वहीं, चार कोयले की बोगी नीचे उतर गई, इसके अलावा इंजन भी क्षतिग्रस्त हो गया, एक साथ जान-माल दोनों का खतरा हुआ और यह खतरा बार-बार ठेका पाने वाले जिम्मेदार ठेकेदार एम.डी. खान और उच्च अधिकारियों जिसमें प्रमुख रूप से वेलफेयर या पीआरओ के पद पर बैठे दिनेश पटेल के अलावा एक्सक्यूटिव इंजीनियर ओ.पी. शर्मा एसी के पद पर विराजमान ए.के. दुबे के अनैतिक कार्यप्रणाली से पारित निर्देश के कारण यह हादसा हुआ। समय रहते अगर काम को नियमानुसार किया जाता तो, शायद यह दुर्घटना टल सकती थी। लापरवाही के कारण आज से लगभग 6 से 8 महीने पहले एक 80 साल के लोको पायलट की मौत हुई थी, जिसे जिम्मेदार अधिकारियों ने छुपा दिया था, लेकिन आज जब हादसा बढ़ रहा तो, लोगों की नजरों से छुपा नहीं पाए।

उम्र सीमा को किया दरकिनार :

रेलवे के इस कार्य में प्रमुख रूप से किसी लोको पायलट जिसको इस कार्य में दक्षता हासिल होती है, उसे लगाया जाता है, जो किसी रेलवे के विभाग से 60 साल की उम्र के बाद रिटायरमेंट हो जाते हैं, ऐसे लोगों को ठेकेदार द्वारा लगाया जाता है , जिस पर 65 साल के उम्र तक कार्य करने की सीमा बाधित होती है, लेकिन ठेकेदार उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर नियमों को तोड़ते हुए 70 साल हो जाने के बाद भी उक्त लोको पायलट से काम ले रहे थे, जो सरासर गलत है और इस तरह से गलत काम पकड़े जाने के बाद अपने आप को बचाने के लिए तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं, जिसमें पानी गिरने से स्लीपिंग मूड का बहाना बना रहे हैं।

फर्जी वेरीफाई कर रहा पीआरओ :

शासकीय विभाग के महत्वपूर्ण शासकीय उद्योग अमरकंटक थर्मल पावर मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है, यहां पर अभी अभी 660 मेगा वाट का सुपर क्रिटिकल पावर हाउस बनाने की दिशा में बढ़ रही है तो, वही वेलफेयर के पद पर बैठे दिनेश पटेल नामक पीआरओ लोगों की फर्जी वेरीफाई कर अपनी जेबे तो गर्म कर रहे हैं, लेकिन उन्हें संभावित हादसों का कोई अनुमान नहीं रहा होगा, नहीं तो फर्जी वेरीफाई करना बंद कर देते। सूत्रों की माने तो अक्सर यहां पर पैसे का लेनदेन कर कथित पटेल नामक वेलफेयर न किसी की उम्र सीमा को देखते हैं और ना ही कभी किसी प्रकार की अन्य कमियों को और इसके बदले में उन्हें मोटी कमाई हो जाती है। श्री पटेल आज इतने बड़े थर्मल पावर को हादसों की बलि चढ़ाते जा रहे हैं, अगर अपनी ड्यूटी और कर्तव्य अ'छे ढंग से निभाई गई होती तो, आज एक 70 वर्षीय वृद्ध काल के गाल में समाने से बच सकता था, वही अभी भी अपने पदों का इस्तेमाल और जिम्मेदारी कर्तव्यनिष्ठ होकर करें तो, आने वाले दिनों में और कई लोगों की जान बच सकती है, लेकिन इन्हें तो सिर्फ अपने पीआरओ की भूमिका में वेरीफाई का कमाने वाला अंदाज ही पसंद आता है।

सीसीटीवी से खुलेंगे राज :

कानून के हाथ से लंबे होते हैं तो, जांच में अगर सीसीटीवी के फुटेज खंगाले जाएंगे तो निश्चित रूप से इसमें पीआरओ के पद पर बैठे और वेरीफाई करने वाले दिनेश पटेल सहित अन्य अधिकारी समय पर आकर अपने कार्यस्थल पर नहीं पहुंचते हैं और हाजिरी तो पूरे समय चलाते हैं, सूत्रों की माने तो जिम्मेदार पद पर बैठे दिनेश पटेल कभी भी समय पर ऑफिस नहीं पहुंचते हैं और एक कारण पूर्व के हादसों और वर्तमान हादसों का इससे बहुत बड़ा लेना-देना हो सकता है, क्योंकि जो व्यक्ति वेरीफाई करने के समय अपने कुर्सी पर न रहे तो अवैध रूप से बिना वेरीफाई के कोई भी व्यक्ति एंट्री कर सकता है। थर्मल पावर पर जवाबदेही तय होनी चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में फिर से कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

एक ही ठेकेदार को मिल रहा ठेका :

अमरकंटक विद्युत ताप मंडल पर बड़ा हादसा होकर एक व्यक्ति की जान चली गई, तब कई बातें उभर कर सामने आ रही है, जिसमें प्रमुख रूप से एक ही धर्म को कई वर्षों से ठेका दिए जाने का काम भी अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है कि आज क्या कोई अन्य फर्म इस काम को करना नहीं चाहता, फिर उसे बकायदा मैनेज किया जा रहा है, खबर तो यह भी है कि एम.डी. खान नामक चचाई के ठेकेदार को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, इसलिए उन्हें इस काम के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि अगर उन्हें काम नहीं मिलेगा तो वहां रहने वाले उच्च अधिकारियों को परेशान किया जाएगा।

खोल रखी हैं फर्जी फर्में :

चर्चा है कि एम.डी. खान नामक ठेकेदार अपने ही नाम से तीन अलग-अलग फर्म रजिस्टर्ड करते हुए उसी काम पर टेंडर डालते हैं, जबकि नियमानुसार यह गलत है और अपराध की श्रेणी में आता है, जिस पर धारा 420 की कार्यवाही भी होनी चाहिए, इन तमाम प्रकार की अनैतिक रूप से ठेका प्रणाली को अंजाम देने वाले एम.डी. खान 70 से 80 साल तक बुजुर्गों को काम करवा कर 15 से 18000 तक का सरकारी रेट देकर मजदूरों का शोषण करते हुए लाखों कमा रहे हैं, वहीं कुछ अधिकारियों की जेब गर्म करते हुए बार-बार ठेका प्राप्त कर रहे हैं, वही लगातार कमीशन पाकर उच्चाधिकारी भी मालामाल हो रहे हैं, अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में एक व्यक्ति की मौत के बाद और शासकीय प्रणाली में इतना गोलमाल होने के बाद बैठे उ'च अधिकारी किस तरह जवाबदेही का सामना करते हैं।

इनका कहना है :

लगाये जाने वाले आरोप निराधार है, मेरा काम श्रमिकों की शिकायत एवं उनके भुगतान का क्रास वैरीफाई करता हूँ।

दिनेश पटेल, वेलफेयर ऑफिसर, अमरकंटक ताप विद्युत केन्द्र, चचाई

अभी हादसे के आरोप किसी पर नहीं लगाये गये हैं, मर्ग कायम कर जांच की जा रही है।

बी.एन. प्रजापति, थाना प्रभारी, चचाई

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