Shahdol : एनएच के फेर में खोद दी मौत की खाई और बिक रहा खनिज

शहडोल, मध्यप्रदेश : मामला एनएच-43 के उमरिया-शहडोल सड़क निर्माण का। निर्माण एजेंसी ने नियमों से परे हटकर कर दिया खाईयों का निर्माण। सुरक्षा व पर्यावरण के नियमों से कोसों दूर है सड़क निर्माण एजेंसी।
एनएच के फेर में खोद दी मौत की खाई और बिक रहा खनिज
एनएच के फेर में खोद दी मौत की खाई और बिक रहा खनिजराज एक्सप्रेस, संवाददाता
Summary

333 करोड़ का बजट और 73 किलोमीटर की सड़क, वर्ष 2015 से सड़क का निर्माण शुरू हुआ और वर्ष 2021 अलविदा कह गया, अभी पूरा कार्य होने में लगभग 2 वर्ष लगेंगे, इधर निर्माण, उधर सड़क की फजीहत, इतना ही नहीं निर्माण के नाम पर दर्जनों स्थानों से अवैध उत्खनन, अमिलिहा में मौत की खाई और कुछ ऑन रिकार्ड-कुछ ऑफ रिकार्ड मौतें और अब उन स्थलों से सड़क के निर्माण के नाम पर पत्थर व मुरूम का अवैध उत्खनन और विक्रय।

शहडोल, मध्यप्रदेश। वर्ष 2015 में उमरिया से शहडोल सड़क निर्माण के लिए जीव्हीआर कंपनी को ठेका दिया गया था। उक्त कंपनी द्वारा सड़क कार्य में लगातार लेटलतीफी की जा रही थी, साथ ही काम भी नहीं किया जा रहा था। जिसे देखते हुए वर्ष 2018 में सड़क निर्माण की जिम्मेदारी टीबीसीएल को दी गई। जिसे फरवरी 2020 तक की समयावधि दी गई। इस समयावधि में सड़क निर्माण कार्य पूरा किया जाना था, केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय राजमार्गाे के विकास और पूरे देश में इनका जाल बिछाने की यह योजना भले ही दीगर प्रदेशों और जिलों में फलीभूत हुई हो, लेकिन शहडोल संभाग में इस योजना का जो हश्र हुआ, वह किसी से छुपा नहीं है। प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-43 के निर्माण की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम ने ठेका पद्धति के माध्यम से अलग-अलग एजेंसियों को दी थी, शहडोल संभाग में तीन पैंचों में काम होना था, जिसमें शहडोल से मनेन्द्रगढ़ का काम दिलीप बिल्डकॉन ने निर्धारित अवधि से पहले ही पूरा कर दिया, दूसरा पैच उमरिया से कटनी का था, जो बीते वर्षाे में पूर्ण हो चुका है, तीसरा पैच उमरिया से शहडोल का था, यह पैच कब पूरा होगा, यह कहना अब मुश्किल होता जा रहा है।

करोड़ों का बजट, मंशा अधर में :

333 करोड़ के भारी-भरकम बजट आवंटन के बाद भी सरकार की मंशा 6 वर्षाे में तो पूरी नहीं हुई और न ही आने वाले 1-2 वर्षाे में पूरी होती नजर आ रही है, इस दौरान तथाकथित दोनों कंपनियों ने यह जरूर किया कि पहले निर्मित सड़क को खोद दिया गया, शहडोल से उमरिया तक सैकड़ों स्थानों पर गड्ढे और डायवर्सन तथा धूल के गुब्बारे राहगीरों का नसीब बन गये, यह बात हमेशा समझ से परे रही कि सड़क का निर्माण एक-दो या पांच स्थानों से शुरू न करके, दर्जन भर स्थानों से शुरू किया, कहीं दायें तो कहीं बायें मार्ग की सड़क खोदकर गड्ढा बना दिया, जो सड़क बनी भी है, वह शायद ही निर्माण के बाद मानकों पर खरी उतरे।

यह है सड़क का हाल :

उमरिया व शहडोल के बीच के लगभग 73 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के माध्यम से जीव्हीआर नामक कंपनी को वर्ष 2015 में 333 करोड़ का ठेका दिया गया था, जीव्हीआर ने काम तो शुरू किया, लेकिन कंपनी की महत्वकांक्षा के कारण यह काम अधर में लटक गया और सड़क को निर्माण के लिए खोद तो दिया गया, लेकिन बाद में दुर्घटनाओं के लिए खुदी सड़क छोड़ दी गई। बाद में यह काम बुढ़ार के तिरूपति बिल्डकॉन नामक फर्म को दे दिया गया। वर्ष 2015 में शुरू हुआ काम 6 वर्षाे में भी पूरा नहीं हुआ, एमपीआरडीसी के सूत्रों की माने तो, वर्तमान में कार्य इन्हीं दोनों के बीच 70 और 30 आंकड़े में फंसा हुआ है।

आधा दर्जन से अधिक मौतें :

2015 में जब सड़क का निर्माण शुरू करने के लिए जीव्हीआर कंपनी यहां पहुंची, तब से लेकर अब तक शहडोल से लेकर उमरिया मुख्यालय तक के मुख्य मार्ग में पड़ऩे वाले थानों में दर्ज सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े निकाले जाये तो, पूर्व की तुलना में कई गुना अधिक मौते हुई हैं। यही नहीं मौतों का कारण तथाकथित कंपनी के द्वारा खोदे गये गड्ढे और सूचना पटल न लगाना प्रमुख है। वर्तमान में दुर्घटनाओं का सिलसिला अभी भी जारी है, मजे की बात तो यह है कि निर्माण के लिए सड़क में खोदे गये गड्ढे दुर्घटना कारण तो, हैं ही, जहां सड़क बनी है, उस सड़क में पड़ी दरारें और मानकों से परे हटकर हो रहा निर्माण दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है।

अभी नहीं भूला बांका में हुई युवक की मौत का मामला :

बीते वर्षाे में जब सड़क का निर्माण कार्य जीव्हीआर से टीबीसीएल के सुपुर्द हुआ था, उस दौरान सड़क निर्माण के लिए खोदे गये पत्थरों से निर्मित खाई में डूबकर ग्राम बाका के युवक की मौत हो गई थी, यह मामला तो, उस समय चर्चा में आया था, लेकिन दर्जनों स्थानों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और खनिज अधिनियम से परे हटकर पत्थर खोदने से निर्मित खाईयां पता नहीं कितने ग्रामीणों और मूक पशुओं का काल बन गई, यह जांच का विषय है।

अमिलिहा में बनी मौत की खाई :

शहडोल संभागीय मुख्यालय से सटे ग्राम अमिलिहा में सड़क निर्माण के लिए पत्थरों का उत्खनन किया जा रहा है, उत्खनन स्थल को टीबीसीएल के द्वारा न तो तारो या फिर किसी अन्य माध्यम से घेरा बनाकर सुरक्षित किया गया है और न ही वहां चौकीदार आदि की भी व्यवस्था की गई है, जिससे कम से कम मूक पशुओं को तो, खाई में जाने से रोका जा सके। उक्त खदान के आस-पास पर्यावरण नियमों के अनुरूप पौधों का रोपण भी नहीं किया गया है, हैवी ब्लास्टिंग के माध्यम से अवैध रूप से हुआ उत्खनन मौत की खाईयों में तब्दील हो चुका है, प्रशासन ने यदि समय रहते उत्खनन पर रोक नहीं लगाई और खाईयों को पाटने का काम शुरू नहीं कराया तो, यह मौत की खाईयां पता नहीं कितने ग्रामीणों का काल बन सकता है।

सड़क के नाम पर खुली खनिज की दुकान :

निर्माण एजेंसी टीबीसीएल के द्वारा यहां सड़क के नाम पर खाईयों का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन इसके साथ ही उक्त कंपनी और आस-पास के अन्य खनिज माफियाओं के लिए यह स्थल चारागाह बन चुका है, यहां बड़े पैमाने पर पत्थरों का अवैध उत्खनन और विक्रय पूरे शबाब पर है, चूंकि यह क्षेत्र उमरिया जिले के अंतिम छोर पर स्थित है और निर्माण का जिम्मा खनिज विभाग के सबसे बड़े सेवादार टीबीसीएल के पास है, संभवत: इसीलिए न तो यहां कभी खनिज अधिकारी या निरीक्षक आते हैं, जिस कारण अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं।

इनका कहना है :

जल्द ही निर्माण कार्य पूरा कराने में पूरा प्रशासन लगा हुआ है,दिसम्बर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा करवाने की कोशिश की जाएगी। जो भी त्रुटियां हैं, उनको भी दिखवा लिया जाएगा।

डी.के. स्वर्णकार, संभागीय प्रबंधक, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम, शहडोल

आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है, जांच करवाकर कार्यवाही की जाएगी।

सुश्री फरहत जहां, जिला खनिज अधिकारी, उमरिया

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