मुर्दे का सौदा : पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मृत घोषित हुई महिला
मुर्दे का सौदा : पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मृत घोषित हुई महिलाRaj Express

मुर्दे का सौदा : पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मृत घोषित हुई महिला

शहडोल, मध्यप्रदेश : शहडोल मुख्यालय स्थित देवांता अस्पताल का प्रबंधन पैसों की लोलुपता और लापरवाही के कारण आए दिन सुर्खियों में रहता है।

हाइलाइट्स :

  • देवांता अस्पताल प्रबंधन पर लगे गंभीर आरोप।

  • 10 दिनों से भर्ती थी महिला, कोतवाली को नहीं भेजी थी तहरीर।

  • रूपयों के खातिर लाश को रखा था वेंटीलेटर में।

  • खड़ी फसल बेचकर काश्तकार ने जमा की फीस।

Summary

रूपयों के खातिर देवांता अस्पताल के चिकित्सकों और प्रबंधन ने सेवा के इस कारोबार को कलंकित कर दिया, पहले तो 10 दिनों तक कोतवाली को बिना तहरीर भेजे चोरी-छुपे इलाज किया और फिर महिला की मौत के बाद बिल बढ़ाने के खातिर मुर्दे को कई घंटों तक वेंटीलेटर में रखा, मामला खुला तो, शहडोल से अनूपपुर रेफर करने लगे, जब पुलिस आई और जिला चिकित्सालय में ले जाकर परीक्षण किया तो, महिला के मौत की पुष्टि हुई।

शहडोल, मध्यप्रदेश। शहडोल मुख्यालय स्थित देवांता अस्पताल का प्रबंधन पैसों की लोलुपता और लापरवाही के कारण आए दिन सुर्खियों में रहता है, मंगलवार को करंट से झुलसे युवक को बिना कोतवाली में तहरीर भेजे राजेन्द्र विश्वकर्मा का इलाज किया गया और इस बात का पूरा प्रयास किया गया कि मामला पुलिस और प्रशासन की नजरों से बच सके, यह मामला अभी ठण्डा ही नहीं पड़ा था कि बुधवार की दोपहर अनूपपुर जिले के जैतहरी विकास खण्ड अंतर्गत क्योटार निवासी पुष्पा राठौर पति संतोष राठौर उम्र 32 वर्ष ने अस्पताल प्रबंधन पर मुर्दे के इलाज और जबरिया वेंटीलेटर में लाश को रखने और रूपये वसूलने के आरोप लगाये। मामला पुलिस कंट्रोल रूम और 100 डॉयल तक पहुंचा। कोतवाली पुलिस जब बुधवार की शाम करीब 6 बजे मौके पर पहुंची तो, अस्पताल के साझेदार डॉ. ब्रजेश पाण्डेय मातहत कर्मचारियों के साथ लाश को ऑक्सीजन के साथ शहडोल से अनूपपुर रेफर कर रहे थे।

जिला चिकित्सालय लेकर आई पुलिस :

संतोष राठौर ने पुलिस को बताया कि शहडोल से अनूपपुर रेफर किया जा रहा है, लेकिन किस अस्पताल में, यह प्रबंधन ने नहीं बताया, साथ ही अब तक की गई दवाईयों के दस्तावेज नहीं दिये जा रहे हैं। उसने बताया कि वह अपनी पत्नी को कई बार आईसीयू में जाकर देख चुका है, आज बुधवार की सुबह से ही वह मर चुकी है, उसे ऑक्सीजन और जबरिया पंप दिये जा रहे हैं। संतोष के निवेदन पर पुलिस आईसीयू से वेंटीलेटर में ही महिला को शाम करीब 7 बजे लेकर जिला चिकित्सालय पहुंची, यहां चिकित्सक अजय कुमार राठिया ने परीक्षण के उपरांत बताया कि महिला मृत अवस्था में यहां पहुंची थी, उसके पीपी डायलेट थे, ईसीजी कर हमने पुष्टि की, मौत कुछ घंटे पहले हुई है, सही रिपोर्ट पोस्ट मार्टम के बाद ही आयेगी।

10 दिनों से थी भर्ती :

संतोष राठौर ने बताया कि अपनी को सोमवार 13 सितम्बर को शहडोल लेकर आया था, उसकी पत्नी पुष्पा ने कीटनाशक पी लिया था, इन 10 दिनों में करीब डेढ़ लाख की दवाई अस्पताल के मेडिकल दुकान से ली है, मेडिकल के बिल दिखाते हुए संतोष ने यह भी बताया कि वेंटीलेटर में रखने का खर्च 2 हजार रूपये प्रति घंटा लिया जा रहा था, कल शाम को यह कहा गया कि इसे आप अनूपपुर के अस्पताल में ले जाये, पर बताया नहीं गया कि किस अस्पताल में, 64 हजार का बिल चुकाने की बात कही गई, मेरे द्वारा पूर्व में 30 हजार रूपये जमा किये गये थे, डॉक्टर ब्रजेश पाण्डेय ने कहा कि पैसे दोगे तभी मरीज को छुट्टी देंगे, मैनें अपनी खड़ी फसल जमीन सहित बेच दी और बुधवार की शाम 30 हजार दिये, तब जाकर दवाओं के फाईल देने की बात सामने आई।

पर्ची किसी की, इलाज किसी का :

संतोष राठौर ने बताया कि उसके पास दवाईयों की जो पर्चियां हैं, उसमें डॉ. दीपक पाल का नाम लिखा हुआ है, लेकिन यहां पर इलाज डॉ. ब्रजेश पाण्डेय तो कभी कोई चिकित्सक कर रहे थे, इन 10 दिनों में सिर्फ यह बताया गया कि डॉ. दीपक पाल बड़े डॉक्टर हैं, लेकिन न तो उनसे मुलाकात हुई और न ही कभी उसने पत्नी को आकर देखा ही, संतोष ने यह भी बताया कि बुधवार से पहले कोई भी पुलिसकर्मी उसके या पत्नी के पास बयान लेने या कोई सूचना पर नहीं आया था, उसने खुद जब परेशान होकर पुलिस से मदद मांगी तो, पुलिस सामने आई और उसकी मदद की गई, सवाल यह उठता है कि अस्पताल प्रबंधन ने इतने संगीन मामले में 10 दिनों तक पुलिस को तहरीर क्यों नहीं दी, यह पहला मामला नहीं है जब देवांता अस्पताल की लापरवाही सामने आई हो, मृतक के पति ने आरोप लगाया कि पैसों की खातिर डॉ. ब्रजेश पाण्डेय और अस्पताल प्रबंधन ने उसकी पत्नी की अघोषित हत्या की है, समय पर बता दिया गया होता और अनूपपुर की जगह और कहीं रेफर की बात आती तो, बड़े अस्पताल में शायद वह अपनी पत्नी की जान बचा लेता।

इनका कहना है :

इस मामले की पूरी जांच कराई जायेगी, यदि आरोप प्रमाणित होते हैं तो, उचित कार्यवाही भी होगी।

श्रीमती वंदना वैद्य, कलेक्टर, शहडोल

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