फूलन देवी की जयंती पर विशेष: डकैत से सांसद बनी फूलन देवी की हत्या करने वाला मध्यप्रदेश का दामाद
हाइलाइट्स :
बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए की गई थी फूलन की हत्या।
पूर्व विधायक की बेटी से शादी करके शेर सिंह राणा बने मध्यप्रदेश के दामाद।
3 बार सांसद निर्वाचित हुई थी फूलन देवी।
Phoolan Devi Birth Anniversary : भोपाल, मध्यप्रदेश। शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की हत्या के 2 दिन बाद आत्मसमर्पण कर दिया था। जेल जाने के बाद वो जेल से भी फरार हो गया। इसके बाद 2006 में शेर सिंह राणा को दोबारा गिरफ्तार किया गया। जेल से छूटने के कुछ साल बाद 20 फरवरी 2018 को शेर सिंह राणा ने पूर्व विधायक राणा प्रताप सिंह की बेटी प्रतिभा से शादी की। इस तरह शेर सिंह राणा मध्यप्रदेश के दामाद बने।
तारीख 25 जुलाई साल 2001 को 1 बजकर 30 मिनट पर शेर सिंह राणा नाम के एक युवक ने फूलन देवी को उनके दिल्ली आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी। दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में फूलन देवी को मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस द्वारा मामले की जाँच किये जाने पर शेर सिंह राणा ने बताया की उसने ये हत्या बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए की थी। इसके साथ ही फूलन देवी जिसने लंबे समय तक चम्बल के बीहड़ों में राज़ किया और 3 बार सांसद भी निर्वाचित हुईं, उनकी जीवनलीला समाप्त हो गई। आज फूलन देवी की जयंती पर जानते हैं फूलन देवी के एक मामूली लड़की से डाकू और डाकू से सांसद बनने की कहानी...।
डाकुओं की गैंग में शामिल हुई फूलन देवी :
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त1963 में उत्तरप्रदेश के जालौन में एक छोटे से गांव पुरवा में हुआ था। फूलन देवी तथाकथित पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखती थी। जमीनी विवाद के चलते फूलन ने अपने ही चचेरे भाई पर ईंट से वार कर दिया था। फूलन के इस स्वभाव के चलते उनकी शादी उनसे उम्र में 30 साल बड़े पुत्तीलाल मल्लाह से करा दी गई थी, जो पास के गांव में ही रहता था। मायके वालों ने फूलन को जल्द ही ससुराल भेज दिया था। ससुराल में फूलन को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। इसके बाद फूलन देवी डाकुओं की गैंग में शामिल हो गई।
फूलन का सामूहिक बलात्कार:
फूलन देवी ने जिस गैंग को ज्वाइन किया था उसका सरदार डाकू गुर्जर सिंह था। गैंग ज्वाइन करने के बाद से ही गैंग के सरदार डाकू गुर्जर सिंह की फूलन पर गलत नज़र थी। कुछ समय बाद गैंग के सदस्य विक्रम मल्लाह ने डाकू गुर्जर सिंह की हत्या कर दी और खुद गैंग का सरदार बन गया। इसके बाद फूलन और विक्रम गैंग के विस्तार कार्य में लग गए। डाकू गुर्जर सिंह की हत्या का बदला लेने के लिए दूसरी गैंग के 2 डाकू राम और लाला राम ठाकुर विक्रम मल्लाह की हत्या कर देते हैं। फूलन से बदला लेने के लिए ये लोग फूलन का अपहरण कर बेहमई गाँव ले आते हैं। बेहमई गाँव में अगले तीन हफ़्तों तक फूलन का सामूहिक बलात्कार किया गया।
बैंडिड क्वीन ने मध्यप्रदेश में किया था आत्मसमर्पण :
14 फरवरी साल 1981, पुलिस की वर्दी पहने फूलन देवी जयकारे लगाते हुए अपने साथियों के साथ बेहमई गांव पहुंची और रेप करने वाले लालाराम ठाकुर के बारे में खूब पूछताछ की। कोई पुख्ता जानकारी ना मिलने पर फूलन ने उस गांव के 22 लोगों को एक कतार में खड़ा किया और गोलियों से भून डाला। ये सभी लोग ठाकुर जाति से ताल्लुक रखते थे। ये घटना बेहमई नरसंहार के नाम से जानी जाती है, यही वो घटना थी जिसके कारण शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की हत्या की। बेहमई के बाद पूरे देश में जिस बैंडिड क्वीन की चर्चा थी उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की उपस्थिति में 12 फरवरी 1983 आत्मसमर्पण किया।
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