राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिन्हों पर लगाई रोक
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छतरपुर : अब निकाय चुनाव में नहीं चलेगा हाथ का पंजा, कमल का फूल

छतरपुर, मध्यप्रदेश : राज्य निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों के चुनाव चिन्हों पर लगाई रोक, नए चुनाव चिन्हों के साथ मैदान पर उतरना होगा।

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के छतरपुर में भारतीय निर्वाचन आयोग ने आगामी निकाय चुनावों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को प्रदान किए गए चुनाव चिन्हों पर रोक लगा दी है। जिसमें कांग्रेस पार्टी के हाथ के पंजे, भाजपा के कमल के फूल जैसे क्षेत्रीय दलों के अन्य निर्धारित चुनाव चिन्ह आगामी निकाय चुनाव में नजर नहीं आएंगे। जो अन्य चुनावों में दिए जाने वाले चिन्हों में प्रयोग किए जाते थे। पार्षदों को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिए जाने वाले नए चुनाव चिन्हों पर मैदान में उतरना होगा। ये चुनाव चिन्ह किसी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल के परिचायक नहीं होंगे बल्कि साधारण प्रतीक चिन्ह जैसे हाथ का पंखा, टोकरी, दो पत्ती निशान आदि होंगे।

पहले से थी तैयारी, अब अपने चेहरे पर उतरेंगे प्रत्याशी :

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिनांक 2 नवंबर को जारी आदेश को मप्र राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। हालांकि ऐसे कयास लगाए जा रहे थे, कि मप्र की कमलनाथ सरकार प्रदेश में लोकप्रिय चुनाव चिन्हों की जगह साधारण चुनाव चिन्हों पर चुनाव कराने की तैयारी में जुटी है। कांग्रेस को डर था कि सिर्फ 10 महीने की सरकार के कामकाज के बलबूते पर आम जनता को लुभाया नहीं जा सकता ऐसे में भाजपा को पार्टी चिन्ह पर मिलने वाले थोक वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस राज्य निर्वाचन आयोग से इस तरह की सिफारिश कर रही थी।आखिरकार इन आशंकाओं को बल मिल गया और कमलनाथ सरकार की मंशा अनुसार अब साधारण चुनाव चिन्हों पर ही निकाय चुनाव होंगे।

प्रत्याशियों के सामने आया संकट :

ऐसे में अब पार्षद का चुनाव लड़ने वाले उन प्रत्याशियों के लिए संकट खड़ा हो गया है जो सिर्फ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल से चुनाव टिकिट लेकर पार्टी या चिन्ह के नाम पर ही चुनाव जीत लेते थे। अब साधारण चिन्ह से प्रत्याशी को मैदान में उतरना होगा। ऐसे में प्रत्याशी का चेहरा ही उसकी एक मात्र ताकत होगी।

अब एक पार्टी से मैदान में उतरेगें कई प्रत्याशी :

पहले राजनैतिक दल अधिकृत रूप से अपने चिन्ह पर चुनावी मैदान में एक ही प्रत्याशी को उतारते थे लेकिन अब राजनैतिक दल का चिन्ह न होने के कारण एक ही पार्टी के कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में कूद सकते हैं। हालांकि ऐसी संभावना है कि भारतीय जनता पार्टी हर वार्ड में अपने प्रत्याशी को अधिकृत घोषित करे, भले ही उसका चिन्ह कमल का निशान न हो। उधर पार्टियों के बीच मौजूद गुटबाजी भी अब हारजीत के लिए बहाना नहीं होगी। चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाले सभी लोग अपनी ताकत मैदान में आजमा सकेंगे।

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