Supreme Court ने लगाई MP High Court के आदेश पर रोक

MP High Court ने सिवनी बार एसोसिएशन के वकीलों पर 1 महीने तक कोर्ट में किसी भी केस की पैरवी करने से रोक लगाई थी। Supreme Court ने इस फैसले पर रोक लगाई है।
Supreme Court ने लगाई MP High Court के आदेश पर रोक
Supreme Court ने लगाई MP High Court के आदेश पर रोकRE
Author:
Shreya N

हाइलाइट्स:

  • हड़ताल के कारण 10 वकीलों पर पैरवी करने से लगी थी रोक।

  • सीजेआई चंद्रचूड़ ने लगाई वकीलों को फटकार।

SC Stays MP High Court Decision: बुधवार 10 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सिवनी बार एसोसिएशन (Seoni Bar Association) के 10 पदाधिकारियों पर कोर्ट में केस लड़ने से लगी रोक को हटा दिया है। MP High Court ने सिवनी बार एसोसिएशन के वकीलों पर 1 महीने तक कोर्ट में किसी भी केस की पैरवी करने से रोक लगाई थी। Supreme Court ने इस फैसले पर रोक लगाई है। यह फैसला 21 मार्च से प्रभावी था।  

हड़ताल करने के कारण लगी थी पैरवी पर रोक

दरअसल सिवनी बार एसोसिएशन (Bar Association) के सदस्य कोर्ट बिल्डिंग शिफ्ट होने से नाराज थे। शासन द्वारा सिविल कोर्ट की नई बिल्डिंग बनाने के लिए नागपुर रोड पर जगह आवंटित की गई थी। एसोसिएशन का कहना था, कि इस जगह पेशी पर आने-जाने वाले लोगों को और कोर्ट में किसी भी काम से आने वालों को परेशानी होगी। इसके विरोध में वकील प्रदर्शन कर रहे थे। रजिस्ट्रार जनरल के कोर्ट में पेश होकर पैरवी करने के आदेशों के बाद भी, वकील 18 से 20 मार्च तक हड़ताल पर थे। ऐसे में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए 20 मार्च को फैसला सुनाया था।

प्रदर्शन कर रहे 10 वकीलों पर 1 महीने तक कोर्ट में कोई भी केस लड़ने से रोक लग गई थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने ये फैसला सुनाया था। ये सभी वकील कलेक्टर व अपर कलेक्टर न्यायालय भवन, राजस्व न्यायालय भवन, अनुविभागीय अधिकारी न्यायालय सिवनी, एसपी कार्यालय, पंजीयक कार्यालय सिवनी और दूसरे विभागों में कार्य कर रहे थे।

चीफ जस्टिस ने लगाई फटकार     

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस केस में फैसला सुनाया। बेंच की अध्यक्षता सीजेआई कर रहे थे। मामले में वकीलों को राहत तो मिली है, लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों को फटकार भी लगाई। सीजेआई ने कहा- वकीलों को भी कुछ जिम्मेदारी दिखानी चाहिए। आपको आवंटित कुछ भूमि पसंद नहीं आई और आप हड़ताल पर चले गए। नोटिस जारी करें।

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