तानसेन समारोह
तानसेन समारोहRaj Express

तानसेन समारोह : सुर सम्राट के आंगन में पूर्व-पश्चिम के संगीत का संगम

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : शुक्रवार को तानसेन समारोह के अंतिम दिन सुबह की सभा सुरसम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में एवं शाम की सभा गूजरी महल में आयोजित की जाएगी।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। गान महिर्षि तानसेन की याद में आयोजित हो रहे तानसेन संगीत समारोह में गुरुवार को दो तहजीबों के सुरों का संगम हुआ। संगीत रसिक हिंदुस्तानी, अफगानी व अमेरिकन तहजीबों के मिलन के साक्षी बने। शुद्ध शास्त्रीय प्रस्तुतियों के साथ सात समंदर पार संयुक्त राज्य अमेरिका से आए कलाकार मिस्टर विलयम रीस हॉफमैन ने जब पश्चिमी व अफगानी सुरों को छेड़ा तो मिले सुर मेरा तुम्हारा... की संकल्पना साकार हो उठी। शुक्रवार को तानसेन समारोह के अंतिम दिन सुबह की सभा सुरसम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में एवं शाम की सभा गूजरी महल में आयोजित की जाएगी।

सभा का आगाज़ शारदा नाद मंदिर ग्वालियर के विद्यार्थियों व आचार्यों द्वारा प्रस्तुत ध्रुपद गायन से हुआ। राग परमेश्वरी ताल चौताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे सरस्वती आदि रूप । पखावज पर यमुनेश नागर व हारमोनियम पर अनूप मोघे ने साथ निभाया। पाश्चात्य व अफगान लोक धुनों की मनोहारी प्रस्तुति दी।

विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में सुदूर देश संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित रुबाब वादक मिस्टर विलयम रीस हॉफमैन ने सुर सम्राट तानसेन के दरबार में पाश्चात्य व अफगान लोक धुनों से स्वरांजलि दी। उन्होंने अफगानी वाद्य यंत्र रुबाब से उत्कृष्ट वादन कर मैहर घराना एवं काबुल के उस्ताद नबी गोल की सांगीतिक परंपरा की मीठी-मीठी धुनें निकाल कर सुधीय रसिकों पर गहरी छाप छोड़ी। विलियम रीस भारतीय सरोद वादन में भी निपुण हैं।

नैना मोरे तरस गए आजा बलम परदेसी :

तानसेन समारोह की गुरुवार की सुबह की सभा में मां शारदा की नगरी सतना से आए युवा शास्त्रीय गायक विनोद मिश्रा की दूसरे कलाकार के रूप में प्रस्तुति हुई। उन्होंने खयाल गायन के लिए राग विलासखानी तोड़ी में तीन बंदिशें पेश की। विलम्बित बंदिश के बोल थे माँ सारदा वर दे.... इसके बाद तीन ताल में निबद्ध द्रुत बंदिश तुम ना सिखाओ पेश की। इसी कड़ी में दुत बंदिश तीन ताल में कोयलिया काहे करत पुकार को बेहतरीन अलापचारी के साथ पेश कर रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपनी सुरीली आवाज में प्रसिद्ध ठुमरी नैना मोरे तरस गए आजा बलम परदेशी सुनाकर अपने गायन को विराम दिया। उनके साथ तबले पर शशांक मिश्रा, हारमोनियम पर हितेन्द्र शर्मा और सारंगी पर उस्ताद अब्दुल मजीद खां ने संगत की।

बृजभूषण ने सुनाया तानसेन का राग :

ब्रज भूषण गोस्वामी ने राग सामंत सारंग में पोन घंटे के नोम तोम के आलाप के बाद चोताल में तानसेन रचित ध्रुपद प्रस्तुत किया व गायन का समापन राग सारंग में एक बंदिश राधे दुलारी से किया। पखावज संगत पंडित अखलेश गुंदेचा व सारंगी संगत कुलभूषण गोस्वामी ने बड़ी कुशलता पूर्वक की।

इसके बाद ग्वालियर के उमेश कम्पूवाले ने मंच संभाला। पंडित राजन-साजन मिश्र के शिष्य पंडित कम्पूवाले ने राग मुल्तानी में एकताल में निबद्ध गोकुल गांव के छोरा तथा छोटा ख्याल तीनताल में बगियां में तमाशे होय के बाद द्रुत एकताल में आंगन में आनबान व इसी राग में तराना पेश किया। समापन कागा पिया से कहियो ठुमरी से किया। हारमोनियम संगत पंडित धर्मनाथ मिश्र और तबला संगत अशेष उपाध्याय ने की।

फोटो गैलरी :

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com