तानसेन समारोह : सुबह झिलमिल किनारे बही सुरसरिता
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह के अंतिम दिन सुबह जहां तानसेन की जन्मस्थली बेहट में संगीत के सुर बिखरे, वहीं शाम को गूजरी महल में संगीत की महफिल सजी। झिलमिल नदी के किनारे, उसी जगह जहां बचपन में सुरसम्राट तानसेन सुरसाधना करते थे, गायन वादन किया।
तानसेन की देहरी पर संगीत सभा की शुरूआत पारंपरिक ढंग से ध्रुपद केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से हुई। यहां के बच्चों ने राग अहीर भैरव में ध्रुपद रचना प्रस्तुत की। ताल-चौताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे चलो सखी ब्रजराज। इसके बाद सूल ताल में बंदिश दुर्गेश भवानी दयानी का सुमधुर गायन किया। पखावज पर संजय पंत आगले ने कसी हुई संगत की।
सजन की सांवरी सूरत :
चंदोगढ़ से आए प्रो. हरविंदर सिंह ने जब सुर सम्राट तानसेन की दहलीज पर राग बहादुरी तोड़ी में तीन ताल में पिरोकर छोटा ख्याल सजन की सांवरी सूरत को बड़े भावपूर्ण अंदाज में गाया तो गुणीय रसिक विरहरस में डूब गए। उन्होंने इसी राग में अपने गायन का आगाज किया और मंत्रमुग्ध करने वाली अलापचारी के साथ एक ताल में निबद्ध बंदिश महादेव देवन पति पारवति पति का गायन कर गान महृषि तानसेन के आराध्य भगवान भोले के श्रीचरणों में स्वरांजलि अर्पित की। भैरवी में रसभीनी ठुमरी वन वन धुन सुन गाकर उन्होंने अपने गायन को विराम दिया। प्रो हरविंदर ग्वालियर एवं आगरा घराने की गायकी में सिद्धहस्त हैं। उनके गायन में मनोज पाटीदार ने तबले पर और धर्मनारायण मिश्र ने हारमोनियम पर दिलकश संगत की।
तबले की जुगलबंदी से गूंजी फिजा :
बेहट की सभा में दूसरी प्रस्तुति में तबला वादन की जुगलबंदी हुई। ग्वालियर के उदयीमान युवा तबलाकार विनय बिन्दे एवं प्रणव पराड़कर के तबला वादन से मनोरम अमराई और झिलमिल नदी का शांत किनारा संगीतमय हो गया। सुप्रसिद्ध तबला वादक स्व. पण्डित रामचन्द्र तैलंग से दोनों कलाकारों ने गुरू-शिष्य परंपरा के तहत तबला वादन के हुनर सीखे हैं। इन्होंने अपने वादन के लिए ताल-तीन ताल का चयन किया, जिसमें कायदा व परन प्रस्तुत की। लग्गी बड़ी व सवाल जवाब तथा विभिन्न घरानों की बंदिशों की प्रस्तुति सुन रसिक मंत्रमुग्ध हो गए। तबला जुगलबंदी में सारंगी पर उस्ताद हमीद खां और हारमोनियम पर नवीन कौशल ने नफासत भरी संगत की।
बेहट में सजी संगीत सभा में जिला पंचायत दुर्गेश कुंअर सिंह जाटव सहित अन्य जनप्रतिनिधि गण एवं संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने स्वर लहरियों का आनंद उठाया। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे, क्षेत्रीय एसडीएम पुष्पा पुषाम व जनपद पंचायत के सीईओ राजीव मिश्रा सहित अन्य अधिकारी एवं बड़ी संख्या में क्षेत्रीय ग्रामों एवं ग्वालियर व अन्य शहरों से आए रसिक इस सभा का आनंद लेने पहुंचे थे। संचालन अशोक आनंद ने किया।
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