पं. विश्वमोहन भट्ट और उनके पुत्र सलिल की जुगलबंदी
पं. विश्वमोहन भट्ट और उनके पुत्र सलिल की जुगलबंदीShahid - RE

तानसेन समारोह दूसरा दिन : सबेरे मुरली से निकली विदेशी धुन, तो शाम को बाप बेटे की जुगलबंदी से झंकृत हुए श्रोता

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : शाम की सभा में ग्रेमी अवार्ड विजेता पं. विश्वमोहन भट्ट और पुत्र सलिल की वीणा की जुगलबंदी से सम्मोहित से बैठे रहे श्रोता।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। सुरसम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित किए जा रहे विश्व संगीत समागम में देशी और विदेशी कलाकार गायन वादन से रसिक श्रोताओं को अतिरंजित कर रहे हैं। सर्द मौसम में शास्त्रीय संगीत के पक्के राग सुबह और शाम की सभा में सुरों की गर्माहट घोल रहे हैं।

मंगलवार को सुबह की सभा में सात समंदर पार चिली से आए सेर ओ ड्यूडो बैंड के कला साधकों ने बांसुरी और इलेक्ट्रॉनिक गिटार की जुगलबंदी कर श्रोताओं को अचरज में डाल दिया। विदेशी मुरली की धुन सुनकर ऐसा लगा कि द्वापर युग में मुरलीधर ने ब्रजभूमि से अपनी मुरली की तान से मानव सभ्यता को प्रेम का जो संदेश दिया था, उससे पश्चिमी देश भी अछूते नहीं रहे है। सभा का आरंभ ध्रुपद केन्द्र भोपाल ने राग भैरव से किया। इसके बाद शंकर गांधर्व महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने राग देशी और चौताल में निबद्ध बंदिश रघुवर की छवि सुंदर का सुमधुर गायन किया। पखावज संगत मुन्नाालाल भट्ट ने की।

प्रस्तुति देता चिली का बैंड
प्रस्तुति देता चिली का बैंडShahid - RE

दीपिका ने सुनाया भजन जागो बंशीवारे :

मुंबई की दीपिका भिड़े भागवत ने अपनी माधुर्य भरी गायिकी से गुणीय रसिकों का मन मोह लिया। उन्होंने राग जौनपुरी और विलंबित तिलवाड़ा ताल में जब बड़ा ख्याल हूं तो जैहौं पिया के देशवा का गायन अपनी दानेदार मधुर आवाज में किया तो रसिक श्रोता विरह रस में डूब गए। एक ताल में निबद्ध छोटा ख्याल रे तोरी शान बरक़रार रहे प्रस्तुत कर घरानेदार गायकी को जीवंत कर दिया। उन्होंने मीरा रचित भजन जागो बंसी बारे.... गाकर भक्तिरस की धारा बहाई और अपने गायन को विराम दिया। तबले पर अनंत मोघे और हारमोनियम पर रचना शर्मा ने संगत की।

पखावज ने बिछाया प्रेम का गलीचा :

2016 में तानसेन अलंकरण पा चुके नाथद्वारा परंपरा के देश के सुविख्यात पखावज वादक पंडित डालचंद शर्मा की अंगुलियों का सानिध्य पाकर पखावज से मान-मनुहार के अनूठे सुर झरने लगे। सुधीय रसिकों को एक बारगी ऐसा महसूस हुआ कि किसी प्रेयसी की अपनी पिया से मीठी- मीठी नोकझोंक चल रही है। श्रृंगार प्रधान ताल धमार का उत्कृष्ट वादन कर उन्होंने प्रेम रस का रसों का गलीचा बिछा दिया। उन्होंने गणेश परन से पखावज वादन का आगाज़ किया। इसके बाद कर्णप्रिय फुटकर परनें पेश कीं। इसी क्रम में शिव स्तुति परण, झाला व रेला पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने ताल चौताल में शिव परन, धाकिट के प्रकार, अतीत-अनाघात, धिन नक बाज, रेला आदि की खूबसूरत प्रस्तुति दी। हारमोनियम पर इंदौर के साखरवाल पखावज पर उनके शिष्य हरिश्चन्द्रपति ने अच्छा साथ निभाया। तानपूरे पर योगिनी तांबे और खुशबू भारके ने संगत की।

पति पत्नी ने की तबला-हारमोनियम पर संगत :

शास्त्रीय संगीत के सुरमयी क्षितिज पर किराना सांगीतिक घराने का परचम लहरा रहीं युवा गायिका श्रुति फड़के देशपाण्डे ने गुनगुनी धूप में मीठे-मीठे सुरों की बारिश कर रसिकों के कानों में मिश्री घोल दी। राग मुल्तानी और एक ताल में विलंबित बंदिश गोकुल गांव का छोरा का मनोहारी गायन किया। सुंदर अलापचारी के साथ अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए इसी राग और द्रुत एक ताल में निबद्ध रचना नैनन में आन बान प्रस्तुत की। इसके बाद एक कजरी सुनाई। जिसके बोल थे सावन की ऋतु...। उन्होंने राग "भैरवी में भजन धन्य भाग सेवा का अवसर पाया....भी सुनाया। संगीता-संतोष अग्निहोत्री दंपति ने तबले व हारमोनियम पर संगत की।

बाप बेटे की जुगलबंदी से झंकृत हुए श्रोता

ग्रेमी अवार्ड विजेता पंडित विश्वमोहन भट्ट ने अपने पुत्र सलिल भट्ट के साथ मोहन वीणा और विचित्र वीणा की अद्भुत जुगलबंदी कर रसिक श्रोताओं को आनंद विभोर कर दिया। रात 9 बजे वे जैसे ही पीला कुर्ता पहनकर मंच पर आए,रसिकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। शॉल स्मृति चिन्ह की औपचारिकता के बाद जैसे ही पिता पुत्र ने वीणा के तार छेड़े श्रोता कुछ पल के लिए दूसरी दूनिया में चले गए और संगीत की झरते सुरों में सम्मोहित से बैठे रहे।

गायकी के माधुर्य में डूबे रसिक :

इससे पहले कर्नाटक के धारवाड़ से आए विश्व विख्यात शास्त्रीय गायक पं. वेंकटेश कुमार ने अपनी भावमय एवं सुरीली आवाज में मीठी-मीठी राग रागनियों की सरिता बहा दी। उन्होंने आकर्षक राग यमन कल्याण को अपने गायन के लिए चुना। वेंकटेश ने जब अपनी बुलंद आवाज में इस राग और एक ताल में निबद्ध बड़ा ख्याल पट तोरे कवन गाया तो गुणी रसिक वाह वाह कहे बिना न रह सके। उन्होंने तीन ताल में पिरोकर छोटा ख्याल हरवा मोरा देव गाकर रसिक श्रोताओं को घरानेदार गायिकी के सम्मोहन में बांध लिया। उनके गायन में राग यमन कल्याण की सभी विशिष्टताएं साफ झलक रहीं थीं। शास्त्रीय संगीत पसंद करने वाले रसिकों को मंगलवार की यह शाम लंबे अरसे तक याद आती रहेगी। उनके साथ तबले पर केशव जोशी, हारमोनियम पर डॉ. विनय मिश्रा और सारंगी पर उस्ताद आबिद हुसैन ने दिलकश संगत की।

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