शहडोल : प्रयाग बस सर्विस की लाखों की कर चोरी पर प्रशासन का पर्दा

शहडोल, मध्य प्रदेश : मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश में दर्जनों शिकायतें, कार्यवाही शून्य। तो क्या यूमों की बैसाखियों पर टिकी बस सर्विस की मनमानी। विभाग ने माना, हुई कर चोरी, पर कार्यवाही सिफर।
प्रयाग बस सर्विस की लाखों की कर चोरी पर प्रशासन का पर्दा
प्रयाग बस सर्विस की लाखों की कर चोरी पर प्रशासन का पर्दाRaj Express

शहडोल, मध्य प्रदेश। मुख्यालय के प्रतिष्ठित प्रयाग बस सर्विस के संचालक वीरेन्द्र सिंह पर लाखों की कर चोरी के आरोप लगे हैं, शिकायतकर्ताओं के आरोप हैं कि कर चोरी का सिलसिला आज भी जारी है, शिकायतें कार्यालयों में साक्ष्यों सहित पड़ी हैं, पर कार्यवाही कहीं होती नजर नहीं आ रही है।

प्रयाग बस सर्विस के संचालक वीरेन्द्र सिंह उर्फ दीपू पर लाखों के कर चोरी के आरोप लगे हैं, यही नहीं स्थानीय परिवहन कार्यालय व कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक को साक्ष्यों के साथ शिकायतें दी गई हैं। आरोप है कि राजस्व को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से बिना प्रतिहस्ताक्षर कराये ही मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में वीरेन्द्र उर्फ दीपू अपनी बसें दौड़ा रहे हैं, जो अपराध की श्रेणी में आता है। यही नहीं ऐसी स्थिति में यदि बसें दुर्घटना ग्रस्त हो जाती हैं तो, इसका खामियाजा भी यात्रियों को भुगतना पड़ सकता है। इस मामले में स्थानीय परिवहन अधिकारी आशुतोष सिंह भदौरिया सहित ग्वालियर में बैठे विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक शिकायत पहुंचने के बाद कार्यवाही तो दूर, बसों की जांच तक नहीं की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ बस संचालक के यूमों के मुखिया के साथ खुद के रिश्ते बताकर विभाग पर दबाव बनाने के आरोप भी अब सार्वजनिक हो चले हैं।

यह कर रहे दीपू :

शिकायतकर्ताओं ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित उत्तरप्रदेश के प्रयागराज व लखनऊ स्थित परिवहन कार्यालय तथा राज्य परिवहन प्राधिकरण के सचिव को प्रयाग बस सर्विस की आधा दर्जन बसों के नंबर व बस मालिकों में शामिल खुद वीरेन्द्र सिंह, उनकी पत्नी, उनकी बहन तथा दुर्गा ट्रेवल्स के दिलीप सिंह, मुकेश कुमार, सोमिल जायसवाल आदि के नाम पर बसों का संचालन अवैध तरीके से करने के आरोप शिकायतकर्ता द्वारा लगाये गये हैं।

लाखों की कर रहे कर चोरी :

प्रयाग बस सर्विस द्वारा बस क्रमांक एमपी 18 पी 0432 शहडोल से प्रयागराज और एमपी 18 पी 0864 शहडोल से प्रयागराज तथा एमपी 18 पी 0639 सीधी से बनारस का अंतर्राज्जीय स्थाई अनुज्ञा पत्र एसटीए ग्वालियर से स्वीकृत कराया गया था। जिसमें उत्तरप्रदेश राज्य का प्रतिहस्ताक्षर कराया जाना था, लेकिन ऐसा न करके चोरी छुपे बस दौड़ाई जा रही हैं, जिसमें परिवहन विभाग को लाखों की राजस्व की क्षति पहुंच रही है, शिकायत पत्र में यह भी आरोप हैं कि इस मामले में पूर्व की शिकायत के बाद माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली गई और इसके बाद उच्च न्यायालय को अन्य दस्तावेज दिखाकर गुमराह किया गया तथा ऐसे ही दस्तावेज दिखाकर परमिट शर्तों का उल्लंघन करते हुए विभिन्न चेक पोस्टों पर भी भ्रम जाल फैलाया गया है। यह सब महज कर चोरी के उद्देश्य से ही किया गया।

और यहां की रोक दी बसें :

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि वीरेन्द्र सिंह उर्फ दीपू के द्वारा रीवा से वारणसी बस क्रमांक एमपी 18 पी 0846 तथा सीधी से प्रयागराज एमपी 18 पी 0702 व रीवा से मिर्जापुर एमपी 18 पी 1080 बस का संचालन अंतर्राज्जीय अनुज्ञा पत्र होने के बाद भी बंद कर दिया गया है और अनुज्ञा पत्र लेकर अंतर्राज्जीय जगह को (आर/ए) को भी भर दिया गया, जिससे दूसरे बस मालिकों को परमिट न मिल सके और अन्य बसों का संचालन न हो। इन अनुज्ञा पत्रों पर भी प्रति हस्ताक्षर नहीं कराये गये हैं। जिन आदेशों को निरस्त कर देने की अपील विभाग द्वारा की गई है, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

लाखों की हो रही क्षति :

पूरे मामले की शिकायत परिवहन मंत्री के साथ ही प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन भोपाल, परिवहन आयुक्त ग्वालियर, मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के अलावा उत्तरप्रदेश के परिवहन मंत्री, परिवहन आयुक्त तथा दोनों प्रदेशों के प्रमुख सचिवों, संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों और थानों में भी दी गई है, शिकायतकर्ता का दावा है कि अब तक शासन को 50 लाख से अधिक के राजस्व की क्षति पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन इस मामले में न तो शहडोल और न ही ग्वालियर में बैठे अधिकारी कोई जांच कर रहे हैं। माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पूरे मामले को गुमराह करने और प्रशासनिक अधिकारियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। यदि मामले की जांच की जाये तो, उक्त मामले से जुड़े अन्य दर्जनों गडबड़ घोटले सामने आ सकते हैं।

इनका कहना है :

मैंने समस्त दस्तावेज पूर्ण किये हुए हैं, किसी भी प्रकार की कर चोरी नहीं है।

वीरेन्द्र सिंह, प्रयाग बस, संचालक

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