तानसेन समारोह का तीसरा दिन
तानसेन समारोह का तीसरा दिनRaj Express

तानसेन समारोह का तीसरा दिन : देशी के साथ बिखर रहे विदेशी संगीत राग

एक ओर जहां हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के कलाकार सुर लय ताल का जादू बिखेर रहे हैं, वहीं सात समंदर पार से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से आए विदेशी कलाकार भी श्रोताओं का मन मोह रहे हैं।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। सुरसम्राट तानसेन की स्मृति में उनकी हजीरा स्थित समाधि तानसेन मकबरा में आयोजित किए जा रहे विश्व संगीत समागम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, रसिकों का आनंद भी बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर जहां हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के कलाकार सुर लय ओर ताल का जादू बिखेर रहे हैं, वहीं सात समंदर पार से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से आए विदेशी कलाकार भी श्रोताओं का मन मोह रहे हैं। पूर्व-पश्चिम के संगीत का यह समागम रसिकों को खूब रास आ रहा है।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य साधकों और सुदूर अफ्रीकन देश जिम्बाबे से आए संगीत कला साधकों ने अपने गायन-वादन से यही संदेश दिया। पूरब और पश्चिम की सांगीतिक प्रस्तुतियों का गुणीय रसिकों ने बुधवार की सुबह आयोजित हुई संगीत सभा में जी भरकर आनंद उठाया। बुधवार की सुबह की सभा में तानसेन संगीत महाविद्यालय का ध्रुपद हुआ।। राग जौनपुरी और ताल चौताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे नाद सुघर घर बसायो। पखावज पर जगत नारायण ने संगत की।

जिम्बाबे के ब्लेसिंग चिमंगा बैंड :

तत्पश्चात जिम्बाबे के ब्लेसिंग चिमंगा बैंड के कलाकारों ने जब अलावा मारींबा, सिंथेसाइजर , गिटार, सैक्सोफोन, ड्रम और मरीबा नामक वाद्य यंत्रों से शास्त्रीय संगीत से साम्य स्थापित कर मीठी-मीठी विशुद्ध अफ्रीकन धुनें निकालीं तो श्रोताओं को एक अलग ही अहसास हुआ। इस बैंड ने अफ्रीका की सांस्कृतिक व मौलिक धुनों को जब ऊर्जावान होकर तेज रिदम के साथ प्रस्तुत किया तो युवा रसिक श्रोताओं में जोश भर गया, वहीं प्रकृति से जुड़े और निखरे अफ्रीकन संगीत ने गुणीय रसिकों को आनंदित किया।

जिम्बाबे के ब्लेसिंग चिमंगा बैंड की धमाल प्रस्तुति
जिम्बाबे के ब्लेसिंग चिमंगा बैंड की धमाल प्रस्तुतिShahid - RE

पं. सुखदेव ने गाई विलासखानी तोड़ी :

मुंबई से आए पण्डित सुखदेव चतुर्वेदी के राग माधुर्य ने सुधीय रसिकों को भीतर तक प्रभावित किया। उन्होंने अल्प समय में तीन अलग-अलग रागों में बंदिशें पेश कर गागर में सागर भर दिया। सुखदेव ने तानसेन के सुपुत्र विलासखान द्वारा सृजित राग विलासखानी तोड़ी में एक बंदिश पेश की। ताल चौताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे चंद बदनी मृग नयनी हंस गमनी...। उन्होंने राग शुद्ध सारंग और सूल ताल में हर हर महादेव..बंदिश गाकर अपने गायन को विराम दिया। उनके साथ सारंगी पर उस्ताद मुन्ने खां, पखावज पर पं. मृणाल उपाध्याय ने संगत की।

सुरों का रमणीय गुलदस्ता बना :

मैहर सेनिया घराने के युवा सरोद वादक अभिषेक बोरकर की अंगुलियों की थिरकन से सरोद से मधुर सुर झरे तो रसिकों को ऐसा आभास हुआ कि कोई उन्हें सुंदर सुंदर फूलों का रमणीय गुलदस्ता सौंप रहा है। तानसेन समारोह में पुणे से आए इस संवेदनशील सरोद वादक की प्रस्तुति में दाहिने और बाएं हाथ के बीच वांछित संतुलन से सुरों की वर्षा देखते व सुनते ही बन रही थी। अभिषेक बोरकर ने मधुर राग चारुकेशी में परिचयात्मक अलाप के बाद तीन ताल में विलंबित व द्रुत गत बजाकर रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मैहर सेनिया घराने के युवा अभिषेक सरोद वादक करते हुए
मैहर सेनिया घराने के युवा अभिषेक सरोद वादक करते हुएShahid - RE

का करूं सजनी आए न बालम :

पुणे से आए सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक आनंद भाटे ने जब अपनी दानेदार सुरीली आवाज में बड़े गुलाम अली खां साहब की प्रसिद्ध ठुमरी का करूं सजनी आए न बालम.. सुनाई तो पूरे माहौल में रंजकता छा गई। मूर्धन्य संगीतज्ञ पण्डित भीमसेन जोशी के शिष्य आनंद भाटे का ख्याल गायन रसिकों को खूब भाया। उनकी गायकी में चैनदारी ख़ासा असर छोड़ गई। उन्होंने राग वृंदावनी सारंग से गायन की शुरुआत की। इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश कीं। झप ताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे तुम रब तुम साहिब तुम ही करतार...। तीन ताल में पेश की गई द्रुत बंदिश के बोल थे जाऊं मैं तोपे बलिहारी। हारमोनियम पर रवीन्द्र किल्लेदार और तबले पर हितेन्द्र दीक्षित ने बेहतरीन संगत की।

पुणे के आनंद भाट गायन पेश करते हुए
पुणे के आनंद भाट गायन पेश करते हुएShahid - RE

देशी राग में वायोलिन वादन सुन झूमे :

प्रवीण शेवलीकर ने वायोलिन में राग देसी में दो रचनाएं पेश की। विलंबित रचना एक ताल में और द्रुत रचना तीन ताल में निबद्ध थी। दोनों ही रचनाओं को बजाने में उन्होंने अपने कौशल के कई रंग दिखाए। उनके वायोलिन से झर रहीं रसभीनी तानें सुन रसिक झूम उठे। रागदारी की बारीकियों से परिपूर्ण उनका वादन अद्भुत रहा। उन्होंने समापन राग भैरवी में दादरा की धुन निकालकर किया। तबले पर मिथिलेश झा ने संगत की। वायोलिन पर उनकी सुपुत्री चैताली शेवलीकर ने अच्छा साथ दिया।

प्रवीण शेवलीकर वायोलिन बजाते हुए
प्रवीण शेवलीकर वायोलिन बजाते हुएShahid - RE

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com