पन्ना: टाईगर रिज़र्व में बाघों की सुरक्षा पर फिर मंडरा रहा है खतरा

हीरों के खादान के लिए विश्व प्रसिद्ध मध्य प्रदेश का जिला पन्ना अपने टाइगर रिज़र्व को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। पिछले कुछ सालों में यहां बाघों की आबादी में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है।
Panna Tiger Reserve
Panna Tiger ReserveSocial Media

राज एक्सप्रेस, पन्ना: हीरे के खादान के लिए विश्व प्रसिद्ध मध्य प्रदेश का जिला पन्ना अपने टाइगर रिजर्व को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। पिछले कुछ सालों में यहां बाघों की आबादी में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है। साल 2009 में शुन्य से शुरु हुए सफर के तहत अब तक पन्ना में 90 से भी ज्यादा शावकों का जन्म हो चुका है।

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बाघों की संख्या में उल्लेखनीय बदलाव

जहां एक दशक पहले बाघों की संख्या काफी कम दर्ज की गयी थी। वहीं आज पूरे प्रदेश में बाघ की कुल संख्या 526 हो गयी है। वहीं कोर क्षेत्रों में 50 से भी ज्यादा बाघ घूमते नजर आ रहे हैं।बफर क्षेत्र एवं आसपास के जंगलो में डेढ़ दर्जन बाघ मौजूद हैं। साथ ही पन्ना लैंड स्कैप में भी बड़ी संख्या में बाघ विचरण करते नजर आ रहे हैं। पन्ना के इस टाईगर प्रोजेक्ट की कामयाबी ने एक बार फिर से म.प्र को सबसे ज्यादा बाघों वाले प्रदेश का दर्जा दिलाने में सफल रहा है जिसे कर्नाटक ने साल 2010 में ले लिया था।

Tiger Roaming Outside The ungle
Tiger Roaming Outside The unglePhoto

म.प्र में कुल 6 टाईगर रिजर्व हैं जिसमें सबसे ज्यादा बाघों की संख्या पन्ना टाईगर रिजर्वे में दर्ज की गयी है। वहीं हाल आज ऐसा है कि जंगल से हो रहे छेड़-छाड़ की वजह से बाघ अपने क्षेत्र को छोड़ कर रिजर्व से बाहर निकल रहे हैं और सामान्य जगहों में देखे जा रहे हैं। बाघों का इस तरह से अपनी क्षेत्र को छोड़ कर बाहर आना आने वाले समय में टाईगर रिजर्व को खाली कर सकता हे। जंगल के कई क्षेत्रों में हो रहे अवैध कटाई से बाधों के ठिकानों पर खतरा मंडरा रहा है अर्थात जिसकी वजह से बाघ यहां वहां घुमते नजर आ रहे हैं। कई शिकार की घटनाएं भी सामने आ रही है जिसपर वन प्रशासन कुछ बोल नहीं पा रहा है।

1,596 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ पन्ना टाइगर रिजर्व देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है पूरे म.प्र में हालिया बाघ की कुल संख्या 526 दर्ज की गयी है। तो वहीं पार्क के बाहरी क्षेत्रों में बाघ अपना इलाका बना रहे हैं। सामान्य प्राकृतिक वातावरण में बाघ बड़े हो रहे हैं। बाघों के अचानक इस बदलते जगहों का सबसे बड़ा कारण है जंगलो का कम होना। बाघों को पलने-बढ़ने के लिए एक अलग ही वातावरण चाहिए होता है। इसलिए उन्हें अलग टाईगर रिजर्व में रखा जाता है। पर वहीं अगर लोग उनके क्षेत्र में घुस कर उनके रहने की जगह से छेड़-छाड़ करेंगे तो बाघ अपने पुराने वातावरण को छोड़ कर किसी नये वातावरण की तरफ रुख करेगा।

आने वाले समय में टाईगर रिजर्व पर संकट:

टाइगर रिजर्व के आसपास के गांव के आदिवासी लोग अपनी रोजी रोटी के लिए जंगलो के पेड़ पौधों का सफाया कर रहे हैं तो वहीं कई बड़े प्रोजेक्टस की वजह से पार्क के पेड़ों को काटा जा रहा है या आने वाले समय में काट दिया जाएगा जिसकी वजह से जंगलो में रहने वाले जानवर पनाह की तलाश में कहीं और रुख करेंगे। आने वाले वर्षों में पन्ना के बाघों के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तावित केन बेतवा नदी लिंक परियोजना से है। डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) के अनुसार, लगभग 61 वर्ग किमी के महत्वपूर्ण बाघ निवास स्थान वर्तमान में पन्ना में लगभग छह से आठ बाघों के घर जलमग्न हो जाएंगे। वहीं वास का सिकुड़ना पन्ना से बाघों के प्रवास का एक और कारण बन जाएगा।

Tigers inside the park
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बाघों का स्वर्ग कहलाता है म.प्र:

मध्य प्रदेश को बाघों का स्वर्ग कहा जाता है। पूरे देश में बाधों की सबसे ज्यादा संख्या म.प्र में ही पायी जाती है। साल 1981 में पन्ना नेशनल पार्क बनाया गया था और साल 1994 में केंन्द्र सरकार द्वारा पन्ना नेशनल पार्क को टाईगर रिजर्व प्रोजेक्ट में तबदील किया गया था। पन्ना टाईगर रिजर्व प्रदेश का सबसे बड़ा टाईगर रिजर्व है जहां बाघों के रखरखाव की खास सुरक्षा की जाती है। परंतु मानव कार्य की वजह से बाघ वहां से लुप्त होते जा रहे हैं। रिजर्व क्षेत्र से बाहर निकल कर नयी पनाह ढूंढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में पन्ना रिजर्व से निकले कई सारे बाघों को रेस्क्यू किया गया है।

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