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Bhopal Aiims में प्रोस्टेट की ट्रांसपेरिनियल बायोप्सी शुरू, जल्द हो सकेगी कैंसर की जांच

Bhopal News: अब भोपाल एम्स यह सेवा प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला अस्पताल बन गया है। एम्स भोपाल के यूरो सर्जन डॉ. कुमार माधवन ने किंग्स कॉलेज अस्पताल, लंदन में इस तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के यूरोलॉजी विभाग ने प्रोस्टेट की ट्रांसपेरिनियल बायोप्सी शुरू कर दी है, जिससे प्रोस्टेट के संक्रमण और अन्य जटिलताओं का समय रहते उपचार संभव है। साथ ही प्रोस्टेट के कैंसर की शीघ्र जांच हो सकेगी। अब भोपाल का एम्स यह सेवा प्रदान करने वाला मध्य प्रदेश का पहला अस्पताल बन गया है। इस अत्यधिक उन्नत उपकरण का उद्घाटन बुधवार को एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह द्वारा किया गया।

एम्स भोपाल के यूरो सर्जन डॉ. कुमार माधवन ने किंग्स कॉलेज अस्पताल, लंदन में इस तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। डॉ. देवाशीष कौशल, प्रभारी यूरोलॉजी विभाग ने कहा कि प्रो (डॉ.) अजय सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में यूरोलॉजी विभाग प्रोस्टेट कैंसर के लिए उन्नत डायग्नोस्टिक प्रणाली की सुविधा प्रदान करते हुए यूरोलॉजिकल सेवाओं में क्रांति ला रहा है। उन्होंने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर दुनिया भर में पुरुषों में होने वाला सबसे आम कैंसर है और भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वृद्धावस्था की बीमारी होने के कारण हमारे देश में आबादी की उम्र बढऩे के साथ प्रोस्टेट कैंसर रोग का बोझ बढऩे की संभावना है। हालांकि, यदि शीघ्र निदान किया जाता है, तो इस रोग का एक बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षणों में पेशाब में खून आना, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में खिंचाव और पेशाब की धारा का धीमा होना शामिल हैं। 45 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर जल्द से जल्द किसी यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। यूरोलॉजी विभाग में यूरोलॉजिक कैंसर के लिए एक विशेष क्लिनिक भी है, जो प्रत्येक गुरुवार को दोपहर 2 बजे से चलाया जाता है।

स्टोन और प्रोस्टेट के लिए हाई पॉवर लेजर

विभाग ने यूरीनरी स्टोन और प्रोस्टेट के लिए हाई पावर लेजर उपचार की सुविधा भी शुरू कर दी है। एक हाई पावर लेजर उपचार में शरीर में कोई भी चीरा लगाए बिना पथरी का इलाज किया जाता है। यह उन बच्चों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिनके अंग छोटे होते हैं और लेजर मिनी पीसीएनएल और आरआईआरएस जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग से न्यूनतम जटिलताओं के साथ उन्हें पथरी से छुटकारा मिल सकता है। एम्स भोपाल में यूरोलॉजी विभाग अपनी सेवाओं में निरंतर वृद्धि कर रहा है।

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