क्या टालेगा हज का फैसला : पहले भी मुश्किलों ने रोकी है हज की राह

दुनियाभर पर आई कोरोना कहर की दहशत ने अब उन लोगों के मन को भी बेचैनी से भर दिया है, जिन्होंने इस साल सफर ए हज पर जाने की नीयत की है।
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क्या टालेगा हज का फैसला : पहले भी मुश्किलों ने रोकी है हज की राहSocial Media

राज एक्सप्रेस। दुनियाभर से जमा होने वाले लाखों लोगों के इस सालाना मजमे से किसी नए खतरे और वायरस फैलने के डर से हज सफर निरस्त किए जाने की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। सऊदी अरब सरकार के लिए ये फैसला लिए जाने के पिछले कई ठोस आधार भी मौजूद हैं, जो पहले अलग-अलग वजहों से हज यात्रा को रोक चुका है। हालांकि फिलहाल इस तरह का कोई ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन मुल्क और दुनिया पसरे हालात को देखकर इस की उम्मीद की जा सकती है।

सऊदी अरब के मक्का और मदीना में होने वाले हज अरकान के दौरान दुनियाभर से करीब 40 लाख हाजी शामिल होते हैं। इनमे हिंदुस्तान से करीब डेढ़ लाख से ज्यादा हाजी शामिल होते हैं। करीब एक लाख बीस हजार हज कमेटी के मार्फत और बाकी टूर ऑपरेटर के जरिए हज पर जाने वाले इन हाजियों ने न सिर्फ अपनी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली है, बल्कि इसके लिए मोटी रकम भी पेशगी किश्तों के तौर पर वे जमा कर चुके हैं। सम्भवतः जून माह में शुरू होने वाले हाजियों की रवानगी के बीच देश और दुनिया में फैले कोरोना वायरस के हालात पसर गए हैं। मोजूदा हालात को देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगले कुछ महीनों में ये परिस्थितियां सामान्य हो पाएंगी। हालात अगर दुरुस्त नहीं हुए तो सऊदी अरब सरकार पिछले मामलों का हवाला देकर हज सफर पर बाहरी मुल्कों की आमद पर पाबंदी भी लगा सकता है।

क्या होगा चुने हुए हाजियों का

निजी टूर ऑपरेटर के साथ हज पर जाने वाले हाजियों को सीधे तौर पर इस साल की बजाए अगले साल हज पर जाने का ऑफर मिल सकता है। लेकिन हज कमेटी के मार्फत हज यात्रा पर जाने वालों की समस्या ये है कि बमुश्किल उनका नाम लॉटरी के जरिए निकला है। ऐसे में अगले साल बिना लॉटरी या बिना किसी वेटिंग लिस्ट में शामिल हुए हज पर जाने का मौका मिलेगा या नहीं, ये तय किया जाना मुश्किल हो सकता है। वजह यह है कि अगले बरस फिर से नई आवेदन प्रक्रिया होगी, ये लोग भी हज पर जाने की उम्मीद करेंगे।

भारत रोक सकता है यात्रा

कोरोना वायरस की देश में आमद के कारण बने लोगों में ज्यादातर वे लोग हैं, जो गैर मुल्कों से यहां आए हैं। इनमें भी बड़ी तादाद उन लोगों की है, जो पिछले कुछ महीनों में उमराह सफर करके लौटे हैं। इनमें से कई लोग पॉजिटिव पाए गए हैं तो कुछ मौत के शिकार भी हो चुके हैं। ऐसे हालात में इस बात की उम्मीद भी किया जाना गलत नहीं होगा कि भारत सरकार अहतियायत और वायरस से बचाव का हवाला देते हुए देश के हाजियों को सफर पर जाने की इजाजत न दे।

मुश्किल है सोशल डिस्टेंस

करीब 40 लाख लोगों की मौजूदगी में होने वाले हज अरकान के दौरान सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जैसा कहा जा सकता है। तवाफ, जियारत, शैतान को कंकरी मारने और नमाज़ की अदायगी के दौरान भी इस धारणा का पालन किया जाना नामुमकिन ही है। ऐसे बड़े मजमे में दुनिया के हर कोने से पहुंचने वाले हाजियों के बीच संक्रमण फैलना आसान भी है और इससे एक बार फिर दुनियाभर के लिए एक नई समस्या खड़ी हो सकती है।

सऊदी सरकार के इंतजाम

सूत्रों का कहना है कि रमजान माह में होने वाले उमराह और इसके बाद हज सफर में जमा होने वाली अकीदतमंदों की बड़ी तादाद को ध्यान में रखकर सऊदी अरब सरकार ने सुरक्षा इंतजाम बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। हरम शरीफ, मदीना शरीफ के अलावा सभी बड़े सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटाइजर के माकूल इंतजाम किए गए हैं। यहां प्रवेश और बाहर निकलने के दौरान लोगों को बड़ी सेनेटाइजर मशीनों से गुजरने की पाबन्दियां लगा दी गई हैं। इसके अलावा एयरपोर्ट पर भी हर आने जाने वाले के लिए सख्त मेडिकल चेकअप की व्यस्था सरकार ने कर दी है।

कितनी बार अदा नहीं हो सका हज

1. 865 ई. इस्माइल बिन यूसुफ़ अल-सफ़ाक के मक्का मुकर्रमा पर हमले की वजह से

2. 930 ई. अबु तहिर अल-जनबी के मक्का मुकर्रमा पर हमले की वजह से

3. 983 से 990 ई. तक अब्बसी ख़िलाफ़त और उस वक्त शाम में मौजूद फ़ातिमी ख़िलाफ़त की आपसी जंगों की वजह से 8 साल तक हज नहीं हो सका

4. 1831 ई. में प्लेग की वबा फैलने की वजह से

5. 1837 se 1840 ई. तक प्लेग की वजह से 3 साल तक हज अदा नहीं हो सका

6. 1846 ई. में मक्का में हैजा फ़ैलने की वजह से हज अदा नहीं हो सका

7. 1865 और 1883 ई. में भी वबा फ़ैलने की वजह से हज का फ़राइज़ अदा नहीं हो सका।

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