देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़ी: निर्मला सीतारमण
देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़ी: निर्मला सीतारमणRaj Express

देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़ी: निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 के चौथे संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
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हाइलाइट्स :

  • ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 के चौथे संस्करण के उद्घाटन सत्र में निर्मला सीतारमण

  • निर्मला सीतारमण ने कहा- देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़ी

  • केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक सहयोग पर दिया जोर

मुंबई, भारत। ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 के चौथे संस्करण के उद्घाटन सत्र में आज मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिभाग किया और इस सत्र को संबोधित किया।

देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़ी :

ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 के चौथे संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने संबोधन में बताया कि, देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़ी है। साथ ही म्यूचुअल फंड और SIP की भी रिकॉर्ड संख्या दर्ज़ हुई है।

देश में डीमैट अकाउंट्स की संख्या 2019-20 वित्त वर्ष में 4.1 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 10 करोड़ हो गई। म्यूचुअल फंड और SIP की भी रिकॉर्ड संख्या दर्ज़ की गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे यह भी कहा कि, हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। हम एक बहुत ही बहु-ध्रुवीय, बहुत गतिशील और मजबूत दुनिया में रह रहे हैं, जो कई संकटों का सामना कर रही है। ऐसे में वैश्विक सहयोग की बहुत आवश्यकता है। चाहे रणनीतिक मुद्दा हो, अर्थव्यवस्था का मुद्दा हो या कोई और। सभी से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।

  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस हासिल करने वाला देश है और इसके आधार पर कहा जा सकता है कि क्रॉस बॉर्डर पेमेंट्स के क्षेत्र में भारत की प्रगति विश्व के सभी देशों से सबसे ज्यादा है। साल में 120 अरब ट्रांजेक्शन अलग-अलग देशों से हुए हैं और भारत का यूपीआई जो रिकॉर्ड बना रहा है वो देश के फाइनेंशियल सिस्टम के ठोस फ्रेमवर्क को दिखा रहा है। 

  • हम जब ग्लोबल फाइनेंशियल इकोसिस्टम की बात करते हैं तो ग्लोबलाइजेशन की तार्किकता पर सवाल भी उठते हैं, इन्हीं का जवाब ढूंढने की जरूरत है और ग्लोबल सहयोग के जरिए एक आर्थिक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है जिससे विकासशील देशों के साथ साथ उभरती अर्थव्यवस्थाओं को भी इसका फायदा मिल सके।

  • वैश्विक सहयोग इसकी प्रमुख कड़ी है जिसके जरिए ही हम वैश्विक आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ा सकते हैं। भारत इस दिशा में महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर काम कर सकता है।

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