संजय राउत
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नया संसद भवन एक मेगा शो है, इसमें ना इतिहास है ना वर्तमान है: संजय राउत

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा- नया संसद भवन एक मेगा शो है। जब मैं पुरानी संसद भवन में जाता हूं तो लगता है कि मेरे साथ इतिहास चल रहा है। इस संसद भवन में ना इतिहास है ना वर्तमान है।

हाइलाइट्स :

  • शिवसेना सांसद संजय राउत का नए संसद भवन पर बयान

  • संजय राउत ने नए संसद भवन को एक मेगा शो करार दिया

  • पुरानी संसद भवन में जाता हूं तो लगता है कि इतिहास चल रहा है- राउत

महाराष्‍ट्र, भारत। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) सांसद संजय राउत का आज रविवार को नए संसद भवन को लेकर अपना बयान दिया है।

नया संसद भवन एक मेगा शो है :

दरअसल, शिवसेना सांसद संजय राउत ने अपने बयान में कहा- नया संसद भवन एक मेगा शो है। कितने स्टार का होटल है यह मुझे मालूम नहीं है। जब अंदर जाता हूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं कोई ऐतिहासिक इमारत में जा रहा हूं...जब मैं उस संसद (पुरानी) भवन में जाता हूं तो लगता है कि मेरे साथ इतिहास चल रहा है। इस संसद भवन में ना इतिहास है ना वर्तमान है।

इसके अलावा संजय राउत ने मुखपत्र सामना में एक लेख के जरिए यह भी कहा, “ऐतिहासिक संसद भवन पर तो ताला लग गया, लेकिन नई इमारत में इतिहास बन पाएगा? इस तरह की महान शख्सियत आज कहां हैं? पुराना संसद भवन दिल्ली में शान से खड़ा है और कम से कम 100 सालों तक इस इमारत को कुछ नहीं होता लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के मन में आया और इस ऐतिहासिक इमारत को ताला लगा दिया। जब मैं वहां पहुंचा तो दुविधा थी। नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक ही दरवाजा है।”

पुराना संसद भवन व्यवस्थित है लेकिन उन्होंने सामने एक सौत खड़ी कर दी और सरकारी तिजोरी से 20 हजार करोड़ रुपये लुटा दिए। संसद भवन एक प्रेरणादायक और तेजस्वी इमारत होती है। ऐसी इमारतें जर्जर नहीं होतीं, उन्हें अनुपयोगी घोषित करना यानी भारत माता को वृद्ध बताकर बृद्धाश्रम में डालने जैसा है।

शिवनेता नेता संजय राउत

आगे उन्होंने आगे यह भी कहा, “दिल्ली की सरकार अंधश्रद्धा और अंधभक्तों के घेरे में घूम रही है। देश चलाने वालों के मन में अंधश्रद्धा, ग्रह और कुंडली का प्रभाव है. मौजूदा संसद भवन 10 सालों बाद आपके लिए शुभ नहीं होगा। 10 साल बाद यहां कोई टिकता नहीं तो ऐसे में नए संसद भवन का निर्माण कराओ। इस तरह की ज्योतिषी सलाह मानकर नए संसद भवन का निर्माण किया गया। नई इमारत गोमुखी हो इस तरह की सलाह भी ज्योतिषियों ने दी थी। उसी के मुताबिक नई इमारत का निर्माण कराया, एक तरफ हमारे वैज्ञानिक चांद पर पहुंच गए और उसी देश के नेता सत्ता न चली जाए इस डर से नए संसद भवन का निर्माण कराते हैं। दिल्ली में ज्योतिषाचार्य और बुआ-बाबाओं की चलती है।”

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