Motilal Nehru Birth Anniversary
Motilal Nehru Birth AnniversarySyed Dabeer Hussain - RE

जयंती : राजसी ठाठ-बाट के लिए जाने-जाते थे मोतीलाल नेहरु, गांधी से हुई मुलाकात के बाद बदली जिंदगी

मोतीलाल नेहरु को हाईकोर्ट में अपना पहला केस लड़ने के बदले 5 रूपए मिले थे। हालांकि धीरे-धीरे वकालत में उन्होंने बहुत तरक्की की और देश के सबसे अमीर वकील बने।

Motilal Nehru Birth Anniversary : आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के पिता मोतीलाल नेहरू की जयंती है। मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था। देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोतीलाल नेहरू किसी समय देश के सबसे अमीर वकील हुआ करते थे। उनकी प्रतिभा के तो ब्रिटिश अफसर भी कायल थे। उनकी ठाठ बाट वाली जीवन शैली के किस्से भी खासे मशहूर हैं। हालांकि उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन मेहनत के चलते उन्होंने खूब पैसा कमाया।

बड़े भाई ने किया पालन-पोषण :

बता दें कि मोतीलाल नेहरू के जन्म के तीन महीने बाद ही उनके पिता का निधन हो गया था। ऐसे में उनके बड़े भाई नंदलाल ने उनकी परवरिश की। मोतीलाल ने कानपुर के सरकारी हाई स्कूल से शुरूआती शिक्षा हासिल की। इसके बाद इलाहाबाद के मुइर सेंट्रल कॉलेज से आगे की पढ़ाई की। मोतीलाल ने कैम्ब्रिज यूनिवसिटी से कानून की डिग्री हासिल की। उस समय कैम्ब्रिज यूनिवसिटी में पढ़ाई करने वाले गिने-चुने भारतीयों में से एक मोतीलाल थे।

कमाया भारी भरकम पैसा :

कानून की पढ़ाई करने के बाद मोतीलाल ने वकालत शुरू कर दी। उन्हें हाईकोर्ट में अपना पहला केस लड़ने के बदले 5 रूपए मिले थे। हालांकि धीरे-धीरे वकालत में उन्होंने बहुत तरक्की की और देश के सबसे अमीर वकील बने। साल 1894 में उन्हें एक केस लड़ने के बदले 1 लाख 52 हजार रुपए फीस मिली थी। साल 1909 में उन्हें ब्रिटेन के प्रिवी काउंसिल में वकालत करने की योग्यता मिल गई। वह अक्सर यूरोप आते-जाते रहते थे और विलासिता पूर्ण जीवन जीते थे।

स्वतंत्रता संग्राम में हुए शामिल :

मोतीलाल के जीवन में बदलाव तब आया जब वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए। वह गांधी से इतने प्रभावित हुए कि अपनी ठाठ बाट वाली जीवन शैली छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। साल 1919 में वह पहली बार कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। साल 1922 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने के चलते जेल भी गए। हालांकि बाद में गांधी ने जब आंदोलन वापस ले लिया तो उन्होंने गांधी की खुलकर आलोचना भी की।

कांग्रेस छोड़ी :

साल 1923 में मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अन्य लोगों के साथ मिलकर स्वराज पार्टी बनाई। वह यूनाइटेड प्रोविंसेस लेजिस्लेटिव काउंसिल के विपक्ष के नेता भी बने। हालांकि आगे चलकर वह वापस कांग्रेस में शामिल हो गए और साल 1928 में एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 6 जनवरी 1931 को मोतीलाल नेहरु का निधन हो गया।

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