Manipur Violence
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Manipur Violence : थमने का नाम नहीं ले रही मणिपुर की हिंसा, जानिए कैसे भड़की हिंसा?

हिंसा में बीएसएफ जवान के घायल होने के साथ ही असम राइफल्स के दो जवान शहीद हो गए हैं। जबकि अब तक 70 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

Manipur Violence : देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भड़की हिंसा की रफ़्तार कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। 3 मई से शुरू हुई इस हिंसा में बीएसएफ जवान के घायल होने के साथ ही असम राइफल्स के दो जवान शहीद हो गए हैं। जबकि अब तक हिंसा में 70 से भी अधिक लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है। जिनमें से अधिकतर मौतों का कारण गोली लगना बताया जा रहा है। सेना के अधिकारीयों के अनुसार 5 और 6 जून को सुरक्षा बल और उग्रवादियों के बीच फायरिंग हुई थी जिसमें जवानों के घायल और शहीद होने की बातें सामने आई हैं। फ़िलहाल मामले में सुरक्षा बलों के द्वारा तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें कई हथियार भी बरामद हुए हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर यह हिंसा क्यों भड़की है? चलिए जानते हैं इस बारे में।

कैसे भड़की हिंसा?

बताया जा रहा है कि हाई कोर्ट के द्वारा मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिया जाना इस हिंसा का प्रमुख कारण है। जैसे ही यह फैसला सामने आया, उसके बाद राज्य से लगभग 35 हजार लोगों को सेना की तैनाती के बावजूद भी राज्य से पलायन करना पड़ा। दरअसल मणिपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन के द्वारा राज्य सरकार को यह निर्देश दिया गया था कि वे मैती समुदाय की मांगों को समझकर चार महीनों में मांगों का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दे। इस निर्देश के बाद इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने रैली निकली। जिसके बाद मामला गरमाने लगा और देखते ही देखते राज्य हिंसा की चपेट में आ गया।

मैती समुदाय को नहीं अधिकार

आपको बता दें कि मणिपुर में मैती समुदाय के लोगों की संख्या आबादी के 50 फीसदी से भी अधिक है। लेकिन इस समुदाय के लोगों को केवल इंफाल की घाटी पर ही रहना पड़ता है, क्योंकि इनपर मणिपुर के पर्वत वाले इलाकों पर खेती करने या संपत्ति खरीदने पर रोक लगी हुई है। इन जगहों पर कुकी और नगा समुदाय के वे लोग रहते हैं जो ईसाई बन चुके हैं। ऐसे में मैती समुदाय पर इस तरह की बंदिश को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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