कहानी मणिपुर की : चीखती महिलाएँ और नाचती बंदूकें
कहानी मणिपुर की : चीखती महिलाएँ और नाचती बंदूकेंSyed Dabeer Hussain - RE

कहानी मणिपुर की : चीखती महिलाएँ और नाचती बंदूकें (अध्याय पहला)

कहानी मणिपुर की : राज एक्सप्रेस 4 भाग की लेख श्रृंखला के माध्यम से इन दंगो के पीछे की सच्चाई और कारण का पता लगाएगा, जिसका पहला अध्याय राज्य में महिलाओं की स्थिति पर आधारित है।

हाइलाइट्स :

  • मणिपुर में जल रही जातीय हिंसा की आग।

  • हिंसा में 150 से ज्यादा लोग गवां चुके है जान।

  • मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी जताई है चिंता।

  • थानों में दर्ज है वायरल वीडियो जैसे 100 से भी ज्यादा मामले।

राज एक्सप्रेस। करीब 84 दिनों से भारत का मणि कहलाए जाने वाला राज्य मणिपुर जातीय हिंसा (Manipur Ethnic Violence Between Meitei and Kuki) की आग में जल रहा है। इस हिंसा में अब तक, सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 150 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवा दी है। राज्य में तैनात 10 हजार से भी ज्यादा भारतीय सेना के जवानों को दोनो ही जाति के उपद्रवियों द्वारा दिक्कत का भी सामना करना पड़ रहा है। उपद्रवियों ने मणिपुर पुलिस के हथियार कारखाने और राज्य में स्थापित भारतीय सेना की हथियार कारखानों से हथियार चुरा रहे है। लेकिन इस हिंसा और लड़ाई का सबसे बड़ा खामियाजा कोई अगर भुगत रहा है तो वो है मणिपुर की महिलाएं।

हाल ही में मणिपुर से एक दर्दनाक और भयावह वीडियो सामने आया था जिसमे मैतेई समुदाय के चरमपंथी लोगों ने 2 कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराया गया था और उनका बलात्कार किया गया था (Manipur Viral Video of 2 Kuki Women)। यह वीडियो 4 मई का बताया गया था। वीडियो वायरल होने के बाद देशभर से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। राज एक्सप्रेस 4 भाग की लेख श्रृंखला के माध्यम से इन दंगो के पीछे की सच्चाई और कारण का पता लगाएगा, जिसका पहला अध्याय राज्य में महिलाओं की स्थिति पर आधारित है।

मणिपुर की महिलाओं का शोषण:

4 मई वाले वायरल वीडियो के बाद दो और मामले सामने आते है जिसमे समान तरीके से दो-दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार (Gang-Rape) किया गया था। एक घटना में 20 साल की दो महिलाएं शामिल थीं, जिनके साथ 5 मई को राज्य की राजधानी इंफाल (Manipur's Capital Imphal) में कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। एक अन्य घटना में, 6 मई को पूर्वी इम्फाल (Imphal East) जिले में एक महिला को कथित तौर पर नग्न कर आग लगा दी गई। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनो ही समुदाय के उपद्रवियों द्वारा महिलाओं का उपयोग खुद को बचाने के तौर पर किया जा रहा है। दोनो ही समुदाय की महिलाओं के द्वारा उपद्रवियों को गिरफ्तार करने जा रही पुलिस और भारतीय सेना का रास्ता भी रोका जा रहा है।

उपद्रवियों द्वारा विपरित जाति की महिलाओं पर यौन हमले भी किए जा रहे है। मणिपुर में काम कर रहे है मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं (Human Rights and Social Activists) ने भी राज्य में रह रही महिलाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाएं यौन अपराधों के अपमान से लड़ रही है। महिलाओं के शरीर को किसी जाति या धर्म के संपूर्ण सम्मान के तौर पर देखा जा रहा है। इसी समझ के साथ महिलाओं के शरीर को आए दिन उनके विरोधी समुदाय द्वारा नोंचा और तिरस्कृत किया जा रहा है।

राज्य के 10 जिलों के पुलिस थानों में दर्ज है वायरल वीडियो जैसे 150 से ज्यादा मामले:

स्थानीय मीडिया सूत्रों के अनुसार, मणिपुर के 10 जिलों में हाल ही में सामने आई वायरल वीडियो जैसी 150 से ज्यादा मामलों की शिकायत दर्ज की गई है (थौबल-17, चुराचांदपुर-36, बिष्णुपुर-14, पूर्वी और पश्चिमी इम्फाल- 50)। यह वह मामले है जिन्हें महिलाओं के परिजनों ने खुद दर्ज कराई है लेकिन ऐसे सैकड़ों मामले भी सामने आ रहे है जिनकी शिकायत दर्ज नहीं की जा सकी है। राज्य में स्थापित राहत शिविरों में ऐसी कई औरतें है जिन्हें इस घिनौने अपराध को झेलना पड़ा है लेकिन उनके परिजनों ने रिपोर्ट दर्ज तक नही करवाई है।

कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे है जहां मणिपुर की पुलिस भी इस जातीय हिंसा में बट चुकी है। वायरल हुई वीडियो की एक पीड़िता ने बताया था कि जब 50 लोग से ज्यादा की भीड़ ने उन्हें खींचना शुरू किया तब पुलिस ने ही उन्हें भीड़ के हवाले कर दिया था।यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) को भी इस घटना की जानकारी जून के महीने से थी लेकिन इस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया गया था। हालांकि आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा (NCW chairperson Rekha Sharma) ने इस मामले पर सफाई देते हुए बताया था कि उनके द्वारा मणिपुर पुलिस और अन्य अधिकारियों को 3 बार देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।

ऐसी भी खबर सामने आ रही है जिसमें बताया गया है कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने और उनके साथ दुष्कर्म करने की घटनाओं की तादाद सैकड़ो में है। इस बात की पुष्टि राज्य के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह (Chief Minister of the Manipur state, N. Biren Singh) ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए की थी जिसमे उन्होंने कहा था कि वायरल वीडियो पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा था की राज्य में ऐसी 100 घटनाएं हुई है जिसकी वीडियो भी सामने आ रही है, इसलिए उनकी सरकार राज्य में इंटरनेट बन कर दिया था। यह बात उन्होंने दो कुकी महिलाओं के वीडियो के वायरल होने के एक दिन के बाद कही थी। उन्होंने आगे भी बताया था कि प्रदेश में हत्या, बलात्कार, आगजनी, लूटपाट जैसे 6000 से भी ज्यादा मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

हिंसा में महिलाओं का शोषण, एक सामान्य पैटर्न:

दुनिया भर में दंगों और संघर्ष स्थितियों के दौरान बलात्कार को हिंसा के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरानी संकुचित सोच के अनुसार, महिलाओं के कंधो पर एक समाज, धर्म या जाति के सम्मान का बोझ होता है जो उन्हे जिंदगी भर खुलकर जीने नही देता। महिलाओं पर दंगों के अन्य प्रतिकूल समाजशास्त्रीय प्रभाव (Sociological Effects) भी होते हैं, जिनमें शादी और मातृत्व की उम्र भी शामिल है। आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के 2022 के रिसर्च पेपर "संघर्ष और लिंग उत्पीड़न: महिलाओं की शादी की उम्र पर धार्मिक हिंसा का प्रभाव" (Conflict and Gender Oppression: The Impact of Religious Violence on Women's Age of Marriage) के अनुसार, शादी से एक साल पहले एक राज्य में दंगे की घटना से शादी की उम्र 1.3 कम हो जाती है।

दंगों के कारण महिलाओं की 18 वर्ष से पहले शादी करने की संभावना 13 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि कम उम्र में ही मां बनने लगती है और बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate) पर भी असर पड़ता है। यही नहीं, दंगो की वजह से बाल विवाह (Child Marriage) की संभावना 1.2 प्रतिशत बढ़ जाती है।

यह तो हो गई महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और अपमान की बात लेकिन सोचने वाली बात यह आती है कि आखिर मणिपुर में हो रहे इन जातीय दंगो की आखिर असल वजह क्या है और कैसे यह दंगे शुरू हुए। इसे जानने के लिए करिए दूसरे भाग का इंतजार जो जल्द ही आपके सामने मणिपुर की स्थिति के दूसरे हिस्से को आपके सामने रखेगा।

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