ओडिशा दिवस : जानिए आज ही क्यों मनाया जाता है ओडिशा दिवस? गौरवशाली रहा है इतिहास
Odisha Day : भारत के पूर्वी तट पर बसा ओडिशा एक बेहद ख़ूबसूरत राज्य है। इसे उड़ीसा के नाम से जाना जाता है। हर साल 1 अप्रैल का दिन ओडिशा स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर इसे उत्कल दिवस या उत्कल दिबासा भी कहा जाता है। इस दिन ओडिशा में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश के कई लोग ओडिशा पहुंचते हैं। तो चलिए आज ओडिशा स्थापना दिवस पर इससे जुड़ी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में जानेंगे।
ओडिशा का इतिहास :
दरअसल ओडिशा किसी समय बिहार, मद्रास प्रेसीडेंसी और संयुक्त बंगाल में बंटा हुआ था। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1 अप्रैल 1936 को बिहार, मद्रास प्रेसीडेंसी और संयुक्त बंगाल के कुछ हिस्सों को अलग कर एक नए राज्य उड़ीसा की स्थापना की गई। इस राज्य में ज्यादातर लोग ओड़िया भाषी थे। देश की आजादी के बाद उड़ीसा की सभी रियासतों का उड़ीसा में विलय कर दिया गया और साल 1950 में उड़ीसा देश का स्वतंत्र राज्य बना। 4 नवंबर 2011 को उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया। यह भाषा के आधार पर बना देश का पहला राज्य भी है।
गौरवशाली है इतिहास :
बता दें कि ओडिशा का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यह कई महान राजाओं के शासन का गवाह रहा है। प्राचीन काल में यह कलिंग के नाम से प्रसिद्ध था। कहा जाता है कि ओडिशा पर एक शताब्दी तक मौर्य वंश का शासन था। आगे चलकर इस पर राजा खारवेल का शासन शुरू हुआ। खारवेल के शासन के दौरान ओडिशा को कला, वास्तुकला और मूर्तिकला के रूप में नई पहचान मिली। 1576 में ओडिशा पर मुगलों ने कब्जा कर लिया था। 1803 में यह क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गया था।
ओडिशा की विशेषता :
ओडिशा भारत में तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति की आबादी वाला राज्य है। इसे भगवान जगन्नाथ की जन्मभूमि भी कहा जाता है। ‘उड़िया’ यहां की प्रमुख भाषा है। उत्कल दिवस के अलावा कलिंग महोत्सव, चंदन यात्रा, कोणार्क नृत्य महोत्सव, भगवान जगन्नाथ की यात्रा यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। ओडिशा का लोकनृत्य ओडिसी पूरी दुनिया में प्रसिद्द है। पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार ओडिसी सबसे पुराने जीवित नृत्य रूपों में से एक है। इसका जन्म मन्दिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था। यहां कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है।
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