राहुल गांधी को बंगला खाली करने का नोटिस
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राहुल गांधी को बंगला खाली करने का नोटिस, जानिए सांसदों को बंगला मिलने और खाली करने के नियम

लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के रहने के लिए केंद्र सरकार आवास उपलब्ध करवाती है। ऐसे में सांसदों को दिल्ली में सरकारी बंगले अलॉट किए जाते है।

Rahul Gandhi Bungalow Notice : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों 'मोदी सरनेम' मामले में बुरी तरह से घिरते नजर आ रहे हैं। पहले सूरत की एक अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई। इसके बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई। अब लोकसभा की हाउसिंग कमेटी की ओर से राहुल गांधी को बंगला खाली करने का नोटिस भी भेज दिया गया है। राहुल गांधी को 22 अप्रैल से पहले लुटियंस जोन में 12 तुगलक लेन वाला अपना सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि दिल्ली में सांसदों और मंत्रियों को बंगले मिलने और उन्हे खाली करवाने को लेकर क्या नियम हैं।

सरकार करती है रहने का इंतजाम :

दरअसल लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के रहने के लिए केंद्र सरकार आवास उपलब्ध करवाती है। ऐसे में सांसदों को दिल्ली में सरकारी बंगले अलॉट किए जाते हैं। सांसदों और मंत्रियों को टाइप 6 से लेकर टाइप 8 तक के सरकारी बंगले अलॉट किए जाते हैं। अगर किसी सांसद को बंगला अलॉट नही होता है तो इस स्थिति में अगर वह सांसद दिल्ली में आकर किसी होटल में ठहरता है तो होटल का किराया केंद्र सरकार देती है।

किसे मिलता है कौन सा बंगला?

दरअसल बंगलों का आवंटन पद, सैलरी और वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। टाइप 8 के बंगलों को सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें 5 बेडरूम सहित तमाम सुविधाएं होती है। टाइप 8 बंगलों को कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व प्रधानमंत्रियों, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उप-राष्ट्रपति और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अलॉट किया जाता है। वही नए सांसदों को टाइप 6 बंगला अलॉट किया जाता है।

राहुल गांधी के पास कौन सा बंगला?

बता दे कि अभी राहुल गांधी जिस 12 तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले में रह रहे हैं, वह टाइप 7 बंगला है। आमतौर पर इस तरह का बंगला ऐसे सांसद को दिया जाता है, जो कम से कम पांच बार सांसद रहा हो। हालांकि राहुल गांधी को यह बंगला साल 2004 में उस समय अलॉट किया गया था, जब वह पहली बार सांसद बने थे। उसके बाद से ही राहुल गांधी लगातार इस बंगले में रहते आए हैं।

बंगला खाली करने को लेकर नियम :

सरकारी बंगलों में अवैध रूप से रह रहे लोगों को तेजी से बंगले से बेदखल करने के लिए मोदी सरकार सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन अधिनियम, 2019 लेकर आई थी। इसके अनुसार किसी सांसद की सदस्यता समाप्त होने के बाद उसे तय समय में बंगला खाली करने नोटिस भेज दिया जाता है। निश्चित समय में बंगला खाली नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस भेजा जाता है। इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एस्टेट (जांच) द्वारा मामले की सुनवाई की जाती है। बंगले का अलॉटमेंट रद्द होने के 30 दिनों के भीतर अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील की जा सकती है। वहां अपील खारिज हो जाने पर बेदखली की प्रकिया शुरू हो जाती है।

देना होता है किराया :

बंगले में रह रहा व्यक्ति चाहे तो हाउसिंग कमेटी से बंगला खाली करने के लेकर अतिरिक्त समय की मांग कर सकता है। यह पूरी तरह से हाउसिंग कमेटी के ऊपर है कि वह अतिरिक्त समय देती है या नही। अगर हाउसिंग कमेटी की ओर से अतिरिक्त समय दिया जाता है तो इस स्थिति में मार्केट रेट के हिसाब से बंगले का किराया देना होता है।

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