सिविल सेवा दिवस पर PM मोदी ने 'प्रधानमंत्री पुरस्कार' किया प्रदान
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सिविल सेवा दिवस पर PM मोदी ने 'प्रधानमंत्री पुरस्कार' किया प्रदान

सिविल सेवा दिवस पर लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान के बाद PM नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित कर कहीं ये बातें...

दिल्‍ली, भारत। आज 21 अप्रैल को 'सिविल सेवा दिवस' है, इस अवसर पर लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान किए।

सिविल सेवकों को दी बधाई :

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित कर अपने संबोधन में कहा- सिविल सेवा दिवस पर आप सभी कर्मयोगियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज जिन साथियों को ये अवार्ड मिले हैं, उनको, उनकी पूरी टीम को और उस राज्य को भी मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। आप जैसे साथियों से इस प्रकार से संवाद मैं लगभग 20-22 साल से कर रहा हूं। पहले मुख्यमंत्री के रूप में करता था और अब प्रधानमंत्री के रूप में कर रहा हूं। उसके कारण एक प्रकार से कुछ मैं आपसे सीखता हूं और कुछ अपनी बातें आप तक पहुंचा पाता हूं।

इस बार का आयोजन रूटीन प्रक्रिया नहीं है, मैं इसे विशेष समझता हूं। विशेष इसलिए क्योंकि आजादी के अमृत महोत्सव में जब देश आजादी के 75 साल मना रहा है, तब हम इस समारोह को कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

PM मोदी द्वारा कहीं गई प्रमुख बातें-

  • मैं चाहूंगा कि, आजादी के इस अमृत काल में आप अपने डिस्ट्रिक्ट में जो पहले कलेक्टर के रूप में काम करके गए हैं, एक बार अगर हो सके तो उनका मिलने का कार्यक्रम बनाइये। आपके पूरे जिले के लिए वो एक नया अनुभव होगा।

  • इसी तरह राज्यों में जो चीफ सेक्रेटरी के रूप में कार्य करके गए हैं, एक बार राज्य के मुख्यमंत्री उन सबको बुला लें। देश के प्रधानमंत्री, जितने भी कैबिनेट सेक्रेटरी रहे हैं उनको बुला लें।

  • आजादी के अमृत काल, 75 साल की इस यात्रा में भारत को आगे बढ़ाने में सरदार पटेल का सिविल सर्विस का जो तोहफा है। इसके जो ध्वजवाहक लोग रहे हैं, उन्होंने इस देश की प्रगति में कुछ न कुछ योगदान दिया ही है।

  • उनको सबको स्मरण करना, उनका सम्मान करना, ये भी आजादी के अमृत काल में सिविल सर्विस को ऑनर करने वाला विषय बन जायेगा।

  • हम पिछली शताब्दी की सोच और नीति नियमों से अगली शताब्दी की मजबूती का संकल्प नहीं कर सकते। इसलिए हमारी व्यवस्थाओं, नियमों में, परंपराओं में पहले शायद बदलाव लाने में 30 -40 साल चले जाते होंगे, तो चलता होगा। लेकिन तेज गति से बदलते हुए विश्व में हमें पल पल के हिसाब से चलना पड़ेगा।

  • भारत की संस्कृति की ये विशेषता है कि हमारा देश राज्य व्यवस्थाओं से नहीं बना है। हमारा देश राजसिंहासनों की बपौती नहीं रहा है। ये देश सदियों से, हजारों वर्ष के लंबे कालखण्ड से हमारी जो परंपरा रही है, वो जनसामान्य के सामर्थ्य को लेकर चलने की परंपरा रही है।

  • गवर्नेंस में रिफार्म एक नित्य और सहज प्रक्रिया एवं प्रयोगशील व्यवस्था होनी चाहिए। अगर प्रयोग सफल नहीं हुआ, तो छोड़ते हुए चले जाने का साहस होना चाहिए।

  • देश में सैंकड़ों कानून ऐसे थे, जो देश के नागरिकों के लिए बोझ बन गए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले 5 साल में मैंने 1,500 ऐसे कानून खत्म किये थे।

  • बीते 8 साल के दौरान देश में अनेक बड़े काम हुए। इनमें से अनेक अभियान ऐसे हैं जिनके मूल में behavioural change हैं। ये कठिन काम होता है और राजनेता तो कभी इसमें हाथ लगाने की हिम्मत ही नहीं करता।

हमारे सामने तीन लक्ष्य साफ-साफ होने चाहिए :

PM मोदी ने बताया कि, ''हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में है और हमारे सामने तीन लक्ष्य साफ-साफ होने चाहिए।''

  • पहला लक्ष्य है कि देश में सामान्य से सामान्य मानवी के जीवन में बदलाव आए, उसके जीवन में सुगमता आए और उसे इसका एहसास भी हो।

  • दूसरे लक्ष्य- आज हम कुछ भी करें, उसको वैश्विक सन्दर्भ में करना समय की मांग है। मैं

  • तीसरे लक्ष्य की बात करूं तो ये एक प्रकार से मैं दोहरा रहा हूं... व्यवस्था में हम कहीं पर भी हों, लेकिन जिस व्यवस्था से हम निकले हैं, उसमें हमारी prime responsibility है देश की एकता और अखंडता।

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