दिल्ली, भारत। देश-दुनिया के इतिहास में आज की तारीख 12 फरवरी अहम है और दुनियाभर में आज के दिन को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया।
दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती का यह अवसर ऐतिहासिक :
महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती समारोह के दौरान PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा- महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जन्म जयंती का यह अवसर ऐतिहासिक है। यह पूरे विश्व और मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का पल है। 21वीं सदी में आज जब विश्व अनेक विवादों में फंसा है, हिंसा और अस्थिरता में घिरा हुआ है, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है। ये मेरा सौभाग्य है कि जिस पवित्र धरती पर महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने जन्म लिया, उस धरती पर मुझे भी जन्म लेने का सौभाग्य मिला। उस मिट्टी से मिले संस्कार, उस मिट्टी से मिली प्रेरणा, मुझे भी महर्षि दयानंद सरस्वती के आदर्शों के प्रति आकर्षित करती रहती है। मैं स्वामी दयानंद जी के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।
जब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का जन्म हुआ था तब देश सदियों के बंधनों से अपना आत्मविश्वास खो चुका था और कमजोर हो चुका था। महर्षि दयानंद जी ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज में पुनर्जीवित किया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सशक्त अभियान चलाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
महिलाओं को लेकर समाज में जो रूढ़ियां पनप गईं थीं, महर्षि दयानंद जी उनके खिलाफ एक तार्किक और प्रभावी आवाज़ बनकर उभरे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का खंडन किया, महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया।
आज देश पूरे गर्व के साथ ‘अपनी विरासत पर गर्व’ का आह्वान कर रहा है। आज देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि हम देश में आधुनिकता लाने के साथ ही अपनी परंपराओं को भी समृद्ध करेंगे। हमारे इतिहास और परम्पराओं को दूषित करने का प्रयास किया गया। उसी समय महर्षि दयानंद जी के प्रयास समाज में संजीवनी के रूप में प्रकट हुए और उसका कायाकल्प किया। महर्षि जी ने सामाजिक भेदभाव और छुआछूत जैसी समाज की कुरीतियों के खिलाफ एक मजबूत कार्यक्रम शुरू किया।
आज देश पूरे गर्व के साथ ‘अपनी विरासत पर गर्व’ का आह्वान कर रहा है। आज देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि हम देश में आधुनिकता लाने के साथ ही अपनी परंपराओं को भी समृद्ध करेंगे। महर्षि जी ने समाज में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने महिला शिक्षा के लिए कार्यक्रम शुरू किया। करीब 150 साल पहले वह इन बुराइयों के खिलाफ खड़े हुए थे।
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में केवल एक मार्ग ही नहीं बनाया, बल्कि अनेक संस्थाओं का भी सृजन किया। वो अपने जीवन काल में क्रांतिकारी विचारों को लेकर के चले,उनको जिया और लोगों को जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हर विचार को व्यवस्था के साथ जोड़ा।
जो बीज स्वामी जी ने रोपा था, वो आज विशाल वटवृक्ष के रूप में पूरी मानवता को छाया दे रहा है। आजादी के अमृतकाल में आज देश उन सुधारों का साक्षी बन रहा है, जो स्वामी दयानंद जी की प्राथमिकताओं में थे।
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