केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने जारी की एडवाइजरी

केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुछ जानकारी साझा की है। इस मामले में कार्यलय ने एक एडवाइजरी जारी की है।
केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने जारी की एडवाइजरी
केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने जारी की एडवाइजरीSyed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। आज देशभर में जिस तरह कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है ठीक वैसे ही उससे जुड़ी अफवाहें भी फैल रही हैं। जिनसे लोगों को सतर्क रहना है। वहीं, अब केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुछ जानकारी साझा की है। इस मामले में कार्यलय ने एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में छींक के जरिये कोरोना फैलना और मास्क-पंखों को लेकर सलहा दी गई है।

क्या है एडवाइजरी में ?

बताते चलें, केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि, 'भारत में महामारी के प्रकोप के बीच हमें एक बार फिर उन सामान्य नियमों को याद रखने की जरूरत है जिसके जरिए सार्स-CoV-2 वायरस का ट्रांसमिशन सीमित कर सकते हैं। दफ्तरों और घरों में बेहतर वेंटिलेशन के जरिए संक्रमण का खतरा कम किया जा सकता है। अच्छे वेंटिलेशन के जरिए एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण के ट्रांसमीट होने की आशंका कम रहती है।'

पंखों को लेकर जारी की गई एडवाइजरी :

कार्यालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि, दफ्तर और घरों में वेंटिलेशन को लेकर कहा गया है कि, 'सेंट्रल एयर मैनेजमेंट सिस्टम वाली बिल्डिंगों में सेंट्रल एयर फिल्टर में सुधार करने से काफी मदद मिल सकती है। एडवाइजरी में ऑफिस, ऑडिटोरियम, शॉपिंग मॉल आदि में गैबल फैन सिस्टम और रूफ वेंटिलेटर के उपयोग की सिफारिश की गई है।' जबकि, एडवाइजरी पंखों को लेकर कहा गया है कि, 'पंखा रखने की जगह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पंखा ऐसी जगह पर नहीं होना चाहिए जहां से दूषित हवा सीधे किसी और तक जा सके।'

ड्रॉपलेट्स को लेकर दी जानकारी :

केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा यह भी सलाह दी गई है कि, 'एरोसोल और ड्रॉपलेट्स के जरिए वायरस का ट्रांसमिशन तेजी से होता है। एरोसोल हवा में 10 मीटर तक जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति के 2 मीटर के दायरे में ड्रॉपलेट्स गिरती हैं। अगर किसी संक्रमित शख्स में लक्षण नहीं भी हैं तब भी उससे पर्याप्त ड्रॉपलेट्स निकल सकती हैं जिससे और लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति द्वारा सांस छोड़ने, बात करने, बोलने, गाने, हंसने, खांसने या छींकने आदि के दौरान लार और नाक के जरिए ड्रॉपलेट्स और एरोसोल बन सकते हैं जो वायरस का ट्रांसमिशन फैला सकते हैं। लोगों को डबल मास्क या एन95 मास्क पहनना चाहिए।'

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