कोविड के दौर में स्वत: सिद्ध हुआ आर्युवेद का महत्व : कलराज मिश्र
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कोविड के दौर में स्वत: सिद्ध हुआ आर्युवेद का महत्व : कलराज मिश्र

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि कोविड काल में आर्युवेद की प्राचीन भारतीय परम्परा का महत्व और उपयोगिता एक बार फिर व्यापक स्तर पर स्वत: सिद्ध हुई है।

जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि कोविड काल में आर्युवेद की प्राचीन भारतीय परम्परा का महत्व और उपयोगिता एक बार फिर व्यापक स्तर पर स्वत: सिद्ध हुई है। श्री मिश्र आज राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान एवं विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान द्वारा अग्निकर्म एवं जीवनशैली जनित विकारों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गैर संक्रामक रोगों में भी आयुर्वेद के अंतर्गत और अधिक प्रमाणीकरण के साथ शोध कार्य किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद राज्यों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वृहद स्तर पर रोजगार सृजन में भी सहायक हो सकता है, दक्षिणी राज्य केरल इसका बड़ा उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद प्रकृति से जुड़ा अद्भुत चिकित्सकीय विज्ञान है, जिसमें व्यक्ति के शरीर और उससे जुड़े पर्यावरणीय घटकों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा की जाती है। उन्होंने कहा कि वेदों में आयुर्वेद से जुड़े महत्वपूर्ण उल्लेख हैं। चरक, सुश्रुत, काश्यप आदि आयुर्वेदाचार्यों के ग्रंथों से पता चलता है कि प्राचीन काल में आयुर्वेद चिकित्सा का रूप कितना विकसित था। उन्होंने कहा कि प्राचीन ग्रंथों के संदर्भों के आधार पर आयुर्वेद में नवीनतम शोध और अनुसंधान किए जाने चाहिए, इससे असाध्य रोगों और महामारियों की चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की जा सकेगी।

श्री मिश्र ने कहा कि पुरानी पीढ़ी के वैद्यों से संवाद कर उनके ज्ञान को सहेजने और प्राचीन ग्रंथों को हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए भी कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने नाड़ी परीक्षण के प्रत्यक्ष अनुभव का वर्णन करते हुए नाड़ी परीक्षण के ज्ञान के संरक्षण और शोध के लिए प्रभावी प्रयास किए जाने पर बल दिया है।

भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग के मेडिकल आंकलन एवं राष्ट्रीय बोर्ड के डॉ. रघुराम भट्ट ने संस्कृत में दिए अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भाषा आयुर्वेद की आत्मा है। आयुर्वेद के सभी प्रमुख ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही हैं । अत: विद्यार्थियों को आयुर्वेद में पारंगत होने के लिए संस्कृत भाषा में भी निपुणता हासिल करनी चाहिए।

विश्व आयुर्वेद परिेषद् के राष्ट्रीय संगठन सचिव प्रो. योगेश चन्द्र मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद के स्वर्णिम अतीत को वर्तमान संदर्भ में पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विशेषज्ञों को नवीनतम शोध और अध्ययन से इस क्षेत्र में लोगों के विश्वास को सुदृढ़ करना होगा।

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