Rajasthan News : भाजपा आलाकमान के वह पसंदीदा चेहरे जो है मुख्यमंत्री पद के दावेदार?

Rajasthan Election 2023 : वसुंधरा राजे से इतर भाजपा में कई बड़े नेता है जो मुख्यमंत्री पद के लिए आलाकमान की पसंद हो सकते है। चलिए जानते कुछ नामों को।
Rajasthan Election 2023
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हाइलाइट्स :

  • बिना किसी मुख्यमंत्री चहरे के भाजपा ने लड़ा था चुनाव

  • वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर 2 महिला राजनेताओं का नाम

  • बड़े केंद्रीय मंत्री का नाम शामिल

राज एक्सप्रेस। आज राजस्थान में भाजपा का विधायक दल की बैठक में अपना नेता चुनने वाली है। भाजपा ने इस बार राजस्थान में 200 में से 115 सीटें जीत कर सरकार बनाने का दवा ठोका। आज राजस्थान की राजधानी जयपुर में हलचल देखने को मिल रही है क्योंकि आज राजस्थान को लगभग 9 दिन के बाद नया मुख्यमंत्री मिल सकता है। राजनितिक गलियारों में राजस्थान के नए मुख्यमंत्री को लेकर कई चेहरे सामने आ रहे है। चलिए, जानते है कुछ ऐसे ही राजस्थान भाजपा से कुछ ऐसे ही संभावित चेहरे।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत :

राजस्थान से आने वाले गजेंद्र शेखावत केंद्रीय जल शक्ति मंत्री है। वे दो बार से जोधपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर आ रहे हैं। जोधपुर जिला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ माना जाता है। शेखावत इस इलाके में बीजेपी की पकड़ मजबूत करने वाले नेता है। 2020 में कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश के लिए भी, गहलोत गुट ने शेखावत को ही जिम्मेदार ठहराया था। वर्तमान चुनाव में शेखावत की भागीदारी को देखते हुए, उन्हें भी सीएम की रेस में देखा जा रहा है। गजेंद्र सिंह शेखावत गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते है और राजस्थान में एक साफ छवि वाले नेता है जिसके लिए वह भाजपा आलाकमान की मुख्य पसंद हो सकते है।

नेता विपक्ष राजेंद्र राठौड़ :

राठौड़ वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है। राठौड़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता है। वे जनता दल के समय से पार्टी से जुड़े हुए है। 1990 से लेकर 2018 तक राजेंद्र राठौड़ एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। । इस बार उन्हें, वर्तमान सीट चूरू के बजाय तारानगर से टिकट दी गई है। यहां वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं। राठौड़ की इस पूरे इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है। उनमें राज्य के राजपूतों के अलावा, मुस्लिम और जाट वोट खींचने की क्षमता भी है। ऐसे में उन्हें राजस्थान में मुख्यमंत्री का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। हालाँकि, इस बार उन्हें चूरू की जगह तारानगर से चुनाव लड़वाया गया था जहाँ उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हार के बावजूद राजस्थान और भाजपा के भीतर उनके नाम को लेकर चर्चा तेज़ है।

सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ :

बीजेपी ने इस बार चुनावी बाजी मारने के लिए केंद्र के नेताओं को भी राज्य के चुनावी मैदान में उतार दिया था। पूर्व ओलंपिक चैंपियन और आर्मी में कर्नल रहे, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ दो बार से जयपुर ग्रामीण से लोकसभा सांसद नियुक्त होते आए हैं। इस बार बीजेपी ने उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनावों में उतारा था। केंद्र में मंत्री रहे राठौड़ को भी, बीजेपी के संभावित सीएम के तौर पर देखा जा रहा है। अपने इलाके में राठौड़ की अच्छी खासी पकड़ है। उन्हें झोटवाड़ा सीट से टिकट मिली थी जोकि जयपुर जिले में ही आता है। यह सीट कांग्रेस के अभिषेक चौधरी के पास थी लेकिन इस सीट पर उन्होंने 50 हज़ार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। ऐसे में इस इलाके में बीजेपी की अच्छी पकड़ बनाने पर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के पास भी मुख्यमंत्री बनने का मौका हो सकता है।

राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा :

राजस्थान चुनाव में मुख्य किरदार निभाने वाली जाती है मीणा जाती। मीणा जाती राजस्थान की उन पिछड़ी जातियों में से एक है जिनका पूर्वी राजस्थान में बहुत गहरा प्रभाव है। मीणा समाज का प्रभाव पूर्वी राजस्थान की कुल 64 विधानसभा सीटों में से 20 सीटों को प्रभावित करते है। भाजपा के लिए मीणा जाति से सबसे बड़े नेता है राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा। किरोड़ी लाल मीणा 5 बार विधायक और 2 बार लोक सभा सांसद रह चुके है। 2008 में उन्होंने भाजपा छोड़ अपनी नई राष्ट्रीय जनता पार्टी की स्थापना कर बीजेपी को बड़ा झटका दिया था लेकिन 10 सालों बाद 2018 में फिर भाजपा में वापसी की थी। भाजपा ने किरोड़ी को सवाई माधोपुर जिले सहित आस पास के जिलों को भाजपा के साथ जोड़ने का काम दिया था। सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आने वाली 4 विधानसभा सीटों में 3 कांग्रेस ने विजय प्राप्त की थी। कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने के लिए किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर सीट से ही टिकट दिया गया था। भाजपा ने इस बार यहाँ 4 में सीटें अपने नाम की।

सांसद दीया कुमारी :

भाजपा ने वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर जयपुर के अंतिम शासक मान सिंह द्वितीय के राजघराने से तलूक रखने वाली दिया कुमारी को भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार मान रही है। दिया कुमारी राजसमंद से संसद थी। उन्हें इस बार के चुनाव में जयपुर जिले के अंतर्गत आने वाली विद्याधर नगर विधानसभा सीट से मैदान में उतरा गया था जहाँ से उन्होंने 70 हज़ार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। 2013 में वह तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के सीएम थे, की उपस्थिति में एक रैली में भाजपा में शामिल हुईं थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें राजसमंद से मैदान में उतारा, जहां उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। सांसद चुने जाने के बाद से भाजपा खेमे में कुमारी का महत्व बढ़ रहा है। हालाँकि, विधान सभा में जीत के बाद उन्होंने सांसदी से इस्तीफा दे दिया है। पिछले कुछ वर्षों में, उन्हें पार्टी की राज्य कार्यकारिणी में महासचिव के रूप में जगह मिली है, उन्होंने कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। भाजपा में कुमारी की पदोन्नति से यह अटकलें भी तेज हो गई हैं कि उन्हें राजे की तरह सीएम पद का उम्मीदवार माना जा सकता है।

महंत योगी बालकनाथ :

हरियाणा के बाबा मस्तनाथ मठ के मठाधीश महंत योगी बालकनाथ भी इस दौड़ का हिस्सा बताए जा रहे है। बालकनाथ ने अपने गुरु और महंत योगी चांदनाथ की लोक सभा सीट अलवर से 2019 में चुनाव लड़ा और जीता था। योगी आदित्यनाथ 2.0 की तौर पर महशूर बाबा बालकनाथ राजस्थान में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा है। इसी वजह से भाजपा ने उन्हें इस बार के विधानसभा चुनाव में तिजारा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था जिसे उन्होंने बड़ी आसानी से जीत लिया। बाबा बालकनाथ का मुख्यमंत्री बनना भाजपा के लिए अगले साल में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी लाभदायक साबित हो सकता है क्योंकि मस्तनाथ मठ हरियाणा के रोहतक इलाके में स्थित जो कि पूर्व मुख्यमंत्री और गद्दावर कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विधानसभा क्षेत्र है। रोहतक लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में भी मठ का बड़ा योगदान रहता है। इसके अलावा रेवाड़ी, नारनौल, भिवानी, गुरुग्राम, फरीदाबाद में भी बाबा बालकनाथ योगी के सीएम बनने से भाजपा को बड़ा फायदा हो सकता है।

अश्विनी वैष्णव :

इस सूची का आखरी नाम सबसे चौकाने वाला साबित हो सकता है क्योंकि यह नाम केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव। यह नाम जितना चौकाने वाला आम जनता के लिए है उतना ही भारतीय राजनेताओं के लिए भी। 26 साल तक ओडिशा में आईएस की नौकरी करने वाले अश्वनी वैष्णव को 2021 बीजू जनता दल समर्थन से राज्य सभा सांसद बने और देश 39वें रेल मंत्री बने। अश्वनी वैष्णव का जन्म राजस्थान के जोधपुर के पाली जिले में हुआ था। राजस्थान में ही उन्होंने अपनी उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त की थी। मंत्री वैष्णव का नाम इस लिए भी सामने आ रहा है क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेता माना जाता है।

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