अशोक गहलोत
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सेवा ही धर्म और सेवा ही कर्म के सिद्धांत पर कार्य कर रही राज्य सरकार : अशोक गहलोत

जयपुर,राजस्थान : अशोक गहलोत ने गोवंश का हमारी संस्कृति और समाज में प्राचीन काल से महत्व बताते हुए कहा है कि राज्य सरकार सेवा ही धर्म और सेवा ही कर्म के सिद्धांत पर कार्य कर रही है।
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हाइलाइट्स :

  • मुख्यमंत्री ने गौपूजन किया।

  • प्रदेश में गौशालाओं की स्थापना, सहायता और विकास में हर सम्भव सहयोग किया जा रहा है।

  • राजस्थान गोसेवा समिति के सुझावों पर भी राज्य सरकार अवश्य ही ध्यान देगी।

जयपुर,राजस्थान। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गोवंश का हमारी संस्कृति और समाज में प्राचीन काल से महत्व बताते हुए कहा है कि राज्य सरकार सेवा ही धर्म और सेवा ही कर्म के सिद्धांत पर कार्य कर रही है।

अशोक गहलोत शुक्रवार को यहां मानसरोवर में गो सेवा समिति द्वारा आयोजित गो सेवा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में गोवंश संरक्षण के लिए गोपालन विभाग बनाया और राजस्थान गोसेवा आयोग का पुनर्गठन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गौशालाओं की स्थापना, सहायता और विकास में हर सम्भव सहयोग किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सेवा ही धर्म और सेवा ही कर्म के सिद्धांत पर कार्य कर रही
है और हम कोई भी योजना और कार्यक्रम का संचालन आमजन के रचनात्मक सुझावों के आधार पर करते हैं। राजस्थान गोसेवा समिति के सुझावों पर भी राज्य सरकार अवश्य ही ध्यान देगी।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने गौपूजन किया। उन्होंने इस दौरान गौशालाओं में नंदीओं को रखे जाने तथा उन्हें 12 माह का अनुदान देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में गौशालाओं को भी 12 माह का अनुदान देने का प्रावधान किया जाएगा तथा चारागाह माफियाओं पर भी अंकुश लगाया जाएगा। अशोक गहलोत ने कहा कि 2030 तक राजस्थान को अग्रणी राज्य बनाने के लिए मिशन 2030 के तहत 3.32 करोड़ सुझावों के आधार पर विजन डॉक्यूमेंट जारी किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौशालाओं को दी जाने वाली सहायता राशि की प्रक्रिया को पारदर्शी, सुगम और पूर्णतः ऑनलाईन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि गौशालाओं को भरण-पोषण के लिए पात्रता की शर्त दो वर्ष पूर्व के पंजीयन के स्थान पर एक वर्ष का पंजीयन और न्यूनतम 200 गोवंश के स्थान पर 100 गोवंश किया गया है।

अशोक गहलोत ने कहा कि गौशालाओं को दी जाने वाली सहायता राशि की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाकर कांटा पर्ची और प्रतिमाह भौतिक सर्वेक्षण की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि सभी मान्यता प्राप्त और पंजीकृत गौशालाओं हेतु निर्धारित घरेलू दर के ऊर्जा प्रभार का 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा अनुदान के रुप में वहन करने का निर्णय किया गया।

गौशालाओं को गौवंश पालन के लिए गत साढ़े चार वर्षों में लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। चारे की बढती दरों और गौशालाओं की मांग पर भरण-पोषण हेतु सहायता राशि 6 माह से बढ़ाकर 9 माह कर दी गई। गौशालाओं में अपाहिज और अंधे गौवंश के लिए वर्षभर भरण-पोषण अनुदान दिया जा रहा है।

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