Azadi Ka Amrit Mahotsav में अनेकता में एकता की झलक साफ दिखाई देती है: राजनाथ सिंह

Azadi Ka Amrit Mahotsav: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज डीआरडीओ भवन में 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' से संबंधित रक्षा मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत की और अपने संबोधन में कही ये बातें...
Azadi Ka Amrit Mahotsav में अनेकता में एकता की झलक साफ दिखाई देती है: राजनाथ सिंह
Azadi Ka Amrit Mahotsav में अनेकता में एकता की झलक साफ दिखाई देती है: राजनाथ सिंहPriyanka Sahu -RE

Azadi Ka Amrit Mahotsav: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज डीआरडीओ भवन में 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' से संबंधित रक्षा मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत की और इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, "रक्षा मंत्रालय के द्वारा ये कार्यक्रम आज़ादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित किए गए हैं। इसमें सभी विभागों का सम्मिलित प्रयास है। देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू हो रहे इन कार्यक्रमों को देखकर लगता है कि केवल देशवासी ही नहीं, बल्कि जल, थल, नभ, पहाड़, पठार और पासेज भी हमारे साथ ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- इतने सारे कार्यक्रमों की ‘विविधता’ में भी लक्ष्यों की ‘एकता’ वाले इस महोत्सव में, ‘अनेकता में एकता’ की झलक साफ दिखाई देती है, जो भारतीय संस्कृति का प्राण है। आज जो ‘अमृत महोत्सव’ हम मना रहे हैं, उसकी भावना, या मैं कहूं स्वतंत्रता, संप्रभुता और अमरत्व की भावना, भारत के लिए कोई नई या आधुनिक भावना नहीं है। मैं कैप्टन विक्रम बतरा का ज़िक्र करना चाहूँगा, जो मृत्यु को सामने देख कर भी कहता है, ‘यह दिल माँगे मोर’।यह कौन सी भावना है।

अपने राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले इन अमर सपूतों को अपनी ओर से शीश झुकाकर नमन करता हूँ।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- अपने सामने इतिहास बनते देखना सौभाग्य की बात होती है। इतिहास का हिस्सा बनना उससे भी बड़े सौभाग्य की बात होती है। पर हमारा यह परम सौभाग्य है, कि हम आजादी के ‘अमृत-महोत्सव’ रूपी इतिहास को न केवल बनते देख रहे हैं, बल्कि इसका हिस्सा भी बन रहे हैं। पहले हमारे वीरों, क्रांतिकारियों को पहाड़ों में जाकर शरण लेनी पड़ती थी, आज हम उन्हीं पहाड़ों पर ‘Mountain expedition’ कर रहे हैं। 75 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों को islands पर भेज दिया जाता था। आज उन्हीं Islands पर सैकड़ों से अधिक तिरंगे फ़हराकर हम आज़ादी का जश्न मना रहे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संबोधन की प्रमुख बातें-

  • जब ऐतिहासिक दांडी मार्च की वर्षगांठ के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘अमृत महोत्सव‘ की शुरूआत की थी, तो उन्होंने देश के सामने एक तस्वीर खींची थी जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया था यह अमृत महोत्सव कैसे होना चाहिए।

  • यदि मैं आजादी के संघर्ष की बात करूं, तो हमारे देश की Military Tradition के साथ-साथ जो स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई हुई उसका एक ‘गौरवशाली इतिहास‘ है। हमारी सैन्य परम्परा अंग्रेजों के आने से सैंकड़ों साल पहले भी थी।

  • चाणक्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र‘ में विस्तार से सैन्य रणनीति और राज्य की सुरक्षा में सेना के महत्व की चर्चा की है। देश के लिए मर मिटने का भाव हमारे देश की सैन्य और सांस्कृतिक परम्परा है।

  • ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादापि गरीयसी‘, का विचार इस देश से निकला है। यह विचार सिन्धु के उस छोर पर दो हज़ार साल पहले भी था और 2020 में सिन्धु के इस पार गलवान में भी यह विचार भारतीय सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत था।

  • दूसरी बात Ideas at 75 की है तो हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देश में आत्मनिर्भरता का विचार पिछले 75 सालों में सबसे अधिक मजबूत हुआ है। हम कभी दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक थे। मगर आज हालात बदल गए हैं।

  • जब पिछले दिनों मैंने Indian Aircraft Carrier ‘विक्रांत‘ को समुन्दर के सीने पर सिकन्दर की तरह चलते देखा तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ‘विक्रांत‘ आज ‘आत्मनिर्भर भारत‘ का सबसे विशालकाय प्रतीक बन चुका है। इसका 76% content indigenous है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि इन 75 सालों में भारत की सेनाओं ने एक प्रोफेशनल और पराक्रमी सेना की जो पहचान बनाई है उस पर मुझे रक्षा मंत्री के रूप में गर्व होता है।

  • यह हमारी सेनाओं के लिए बहुत बड़ी उपल्बधि है कि जब भी जरूरत पड़ी है, सेनाओं ने देश को निराश नहीं किया है। टोक्यो में ओलंपिक खेल हो रहे थे और देश को एक गोल्ड मेडल की अपेक्षा थी।अंतिम क्षणों में सूबेदार नीरज चोपड़ा ने ऐसा करिश्मा किया कि भारत की झोली में गोल्ड मेडल आ गया।

  • हमारे सामने लक्ष्य होना चहिए, अगले 25 वर्षों का, यानि 2047 तक का जब देश आज़ादी का शताब्दी वर्ष मनायेगा। अगले 25 सालों में हमें किन संकल्पों पर काम करना है उन पर इस ‘अमृत महोत्सव‘ में संकल्पबद्ध तरीके से आगे बढ़ना है।

  • हम भारत को शक्तिशाली भारत बनाना चाहते हैं। ऐसा भारत जो दूसरे पर हमला नहीं करना चाहता लेकिन हर चुनौती का मुँहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।आने वाले समय में हम एक और भी मज़बूत भारत का निर्माण करेंगे।

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