सरदार वल्लभभाई पटेल पुण्यतिथि : सरदार पटेल के वह तीन बड़े काम, जिसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा
राज एक्सप्रेस। लौह पुरुष के नाम से मशहूर और देश के पहले गृहमंत्री रहे महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 72वीं पुण्यतिथि है। 15 दिसंबर 1950 को लंबी बीमारी के बाद दिल का दौरा पड़ने से सरदार पटेल ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार पटेल का देश की आजादी से लेकर देश के एकीकरण में बड़ा योगदान है। आज जो हम भारत का स्वरुप देख रहे हैं, उसमें सरदार पटेल की बड़ी भूमिका थी। सरदार पटेल में अपने जीवन में कैसे ऐसे काम किए, जिसके लिए यह देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।
खेड़ा सत्याग्रह :
साल 1917 में खेड़ा के किसानों की फसल अतिवृष्टि के चलते खराब हो गई थी। ऐसे में किसान लगान चुकाने में असमर्थ थे, जबकि अंग्रेज लगान माफ़ करने को तैयार नहीं थे। ऐसे में सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की अपील पर वकालत का काम छोड़ दिया और गांधीजी के नेतृत्व में खेड़ा के किसानों का आंदोलन खड़ा किया। उन्होंने किसानों को अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में अंग्रेजों ने किसानों पर अत्याचार भी किए, लेकिन आगे चलकर उन्हें भी झुकना पड़ा और लगान की वसूली बंद कर दी।
बारडोली सत्याग्रह :
जून 1928 में गुजरात की प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 22 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। ऐसे में सरदार पटेल ने एक बार फिर से किसानों को एकजुट करके सरकार के इस कदम का विरोध किया। इस बार भी सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए। हालांकि सरदार पटेल और किसानों ने अपना आंदोलन जारी रखा। इसके चलते ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा और कर वृद्धि का फैसला वापस ले लिया गया। इस आन्दोलन के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान दी थी।
देश का एकीकरण :
भारत की आजादी के समय अंग्रेजों ने देश के दो हिस्से तो कर दिए साथ ही उन्होंने कूटनीति चाल के तहत 565 देशी रियासतों को भारत में शामिल होने या ना होने का अधिकार भी दे दिया। इसके कारण त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतों ने भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया था। ऐसे में गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सही कार्रवाई करते हुए देश को एक किया।
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