देश में अब तक 28.33 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगी

देश में टीकों की कमी पर उठ रहे सवालों के बीच एक दिन में सबसे ज्यादा टीकाकरण ने साबित कर दिया कि अगर हमारे हौसले पस्त न पड़ें तो बड़ी से बड़ी समस्या को खत्म किया जा सकता है।
देश में अब तक 28.33 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगी
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देश में कोरोना के टीकों को लेकर उठ रहे संशय और खुराक की कमी पर उठाए जा रहे सवालों का जवाब मिल गया है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक वैक्सीनेशन शुरू होने के पहले दिन सारे रिकॉर्ड टूट गए। सोमवार को 85 लाख से ज्यादा लोगों को टीका लगाया गया। अब तक 85.15 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। इससे पहले पांच अप्रैल को 43 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी। रिकॉर्ड लोगों को वैक्सीन लगने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह वैक्सीनेशन खुश करने वाला है। सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन मध्य प्रदेश में हुआ है। यहां 16.70 लाख लोगों को टीका लगाया गया। यह किसी राज्य में एक दिन में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड है। कर्नाटक में 11.11 लाख और यूपी में 7.16 लाख लोगों ने वैक्सीन लगवाई। दिल्ली में यह संख्या महज 76,282 रही। देश में सोमवार को जितने लोगों को टीका लगाया गया, उससे कम आबादी वाले दुनिया में 134 देश हैं। इनमें हांगकांग, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, कुवैत, नार्वे और फिनलैंड जैसे देश शामिल हैं।

भारत में एक दिन में इजराइल और स्विटजरलैंड की आबादी के लगभग लोगों को टीका लगाया गया है। इस मामले में हमने अमेरिका को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका में अब तक एक दिन में 40 लाख लोगों को टीका लगा है। यह रिकॉर्ड चार अप्रैल को दर्ज हुआ था। ऑस्ट्रेलिया में अब तक कुल 6.87 लाख डोज लगे हैं। इससे करीब डेढ़ गुना भारत में एक दिन में ही लगा दिए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि देश में अब तक 28.33 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इनमें 23.27 करोड़ से ज्यादा को पहला व 5.05 करोड़ को दूसरा डोज लग चुका है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब 18 साल से ज्यादा उम्र के हर नागरिक को केंद्र सरकार की ओर से मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है। देश में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई थी। इससे पहले टीकाकरण को लेकर निराशाजनक खबरें अक्सर सुनने-देखने को मिलती रहती थीं। जैसे टीकों की कमी, टीका लगवाने से लोगों का बचना, टीके को लेकर लोगों में फैला डर, भ्रांतियां और अंधविश्वास, सरकारी स्तर पर अभियान को लेकर उदासीनता आदि।

इसी को देखते हुए टीकाकरण की कमान केंद्र ने अपने हाथ में ली। टीकों का संकट शुरू से ही है। फिर समय-समय पर इसका दायरा भी बढ़ाया जाता रहा। इससे हुआ यह कि टीका लगवाने वालों की तादाद बढ़ती गई, पर उसके हिसाब से टीके नहीं मिल पाए। इससे कई राज्यों में टीके लगाने का काम ठंडा पड़ गया। राज्य टीकों की मांग करते रहे। दूसरी ओर केंद्र सरकार दावा करती रही कि किस राज्य को उसने कितने टीके दिए। मगर जब सारी कवायद रंग लाती नहीं दिखी तो प्रधानमंत्री ने पूरे देश को फ्री टीका देने का ऐलान किया और जरूरत के हिसाब से टीके भी मुहैया कराएं।

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