Bengaluru के बाद अब Chennai में Water Crisis, सूखी शहर की सबसे बड़ी झील

2019 के बाद फिर एक बार तमिलनाडु की राजधानी Chennai में Water Crisis के बादल मंडरा रहे हैं। यहां की सबसे बड़ी झील- वीरानम लेक सूख चुकी है।
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Author:
Shreya N

हाइलाइट्स:

  • चेन्नई में 43 प्रतिशत जलापूर्ति वाली वीरानम झील सूखी।

  • 28 फरवरी से झील से शहर में वॉटर सप्लाई हुई बंद।

  • प्रतिमाह वॉटर टैंकर्स पर लोगों को खर्च करने पड़ रहे 10,000 रुपये।

चेन्नई, तमिलनाडु। बेंगलुरु का जल संकट अभी ठीक ही नहीं हुआ था, कि गर्मी की शुरुआत में ही दक्षिण भारत के एक और शहर से पानी की समस्या सामने आने लगी है। 2019 के बाद फिर एक बार तमिलनाडु की राजधानी Chennai में Water Crisis के बादल मंडरा रहे हैं। यहां की सबसे बड़ी झील- वीरानम लेक सूख चुकी है। इस झील से शहर के करीब 43 प्रतिशत जलापूर्ति होती है। अभी चेन्नई (Chennai) में मानसून बहुत दूर है। ऐसे में अभी से ही झील का सूख जाना आने वाले समय में चेन्नई के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। 

भूजल में भी तेजी से आ रही गिरावट

चेन्नई (Chennai) की वीरानम झील के सूखने के कारण, यहां से 28 फरवरी को ही वॉटर सप्लाई बंद कर दी गई थी। इसके बाद से शहर मुख्यतः ग्राउंड वॉटर पर ही निर्भर है। हालांकि इसमें भी अब लगातार गिरावट आ रही है। अक्टूबर में मानसून की बारिश होने तक चेन्नई की जलापूर्ति के लिए भूजल से ही काम चलाना होगा। ऐसे में शहर के सामने फिर से पानी की एक बड़ी चुनौती (Water Crisis) आ सकती है।

वॉटर टैंक पर खर्च हो रहे हजारों रुपये

वीरानम झील के सुखने के चलते, इसके आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों को पानी के टैंकरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। शहर के पश्चिम माम्बलम इलाके में रहने वाले लोगों को प्रतिमाह वॉटर टैंकर पर 10 हजार रुपये तक का खर्च उठाना पड़ रहा है। चेन्नई में रहने वाले 90 लाख लोगों की प्यास बुझाने के लिए बोर्ड पर्याप्त पानी नहीं दे पा रहा है। हर महीने जरुरत के 2,232 मिलियन लीटर्स पानी (MLD) के बदले, वर्तमान में बोर्ड 1,070 MLD पानी ही सप्लाई कर पा रहा है। ये आंकड़े 2019 के चेन्नई जल संकट (Chennai Water Crises) की ओर इशारा करते हैं।

2019 चेन्नई जल संकट

साल 2019 में चेन्नई के सामने एक बहुत बड़ा जल संकट पैदा हो गया था, जिसमें शहर में पानी ही नहीं बचा था। 19 जुन 2019 को ‘डे ज़ीरो’ घोषित कर दिया गया था। इसका मतलब होता है, कि अब शहर में बिलकुल पानी नहीं  बचा। इस समय शहर को पानी की सप्लाई करने वाले चारों मुख्य जलाशय सूख गए थे। इस जल संकट की वजह लगातार दो सालों तक कम बारिश थी। IIT मद्रास की एक स्टडी के अनुसार, इस साल चेन्नई में पानी की डिमांड और सप्लाई के बीच 525 MLD का फर्क था।

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