हैदराबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विशिष्ट अद्वैतवाद के प्रणेता 11वीं सदी के महान संत एवं समाज सुधारक संत रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची मूर्ति 'समता की प्रतिमा' का आज यहां लोकार्पण किया।
श्री मोदी बसंत पंचमी के पर्व पर शनिवार शाम को तेलंगाना में राजधानी हैदराबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर रामनगर में श्री रामानुजाचार्य आश्रम के समीप पहुंचे। तेलंगाना की राज्यपाल श्रीमती तमिलसाई सौंदरराजन और केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी भी प्रधानमंत्री के साथ थे। श्री मोदी के यहां पहुंचने पर श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने उनकी अगवानी की और पूरे कार्यक्रम में उन्हें सहयोग किया।
स्वर्णिम धोती एवं अंगवस्त्र में संत के सदृश वेशभूषा में प्रधानमंत्री सबसे पहले यज्ञशाला पहुंचे और वहां यज्ञअग्नि प्रज्जवलन और हवन में आहुति देकर विश्वसेना पूजन किया। वहां 12 दिवसीय श्री रामानुज सहस्राब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है जिस अवसर वहां 144 यज्ञशालाएं और उनमें 1035 होमकुंड स्थापित करके द्वादश दिवसीय हवन चल रहे हैं। श्री मोदी उसके बाद वहां के कुछ दूरी पर बने 54 फुट ऊंचे आधार-भवन भद्र वेदी पहुंचे जहां 36 हाथियों पर कमलदल के ऊपर 216 फुट ऊंची स्वर्णिम प्रतिमा स्थापित है।
वहां प्रधानमंत्री ने प्रतिमा के चारों ओर घेरे में बने भगवान विष्णु की भिन्न-भिन्न भावभंगिमाओं वाले नक्काशीदार 108 मंदिर 'दिव्य देशम' का अवलोकन किया। भद्र वेदी में वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथों, एक थिएटर, एक शैक्षिक गैलरी के लिए समर्पित फर्श हैं जिसमें श्री रामानुजाचार्य के कई कार्यों के विवरण प्रस्तुत किए गए हैं।
श्री मोदी ने संत रामानुजाचार्य की छोटी प्रतिमा का पूजन करने के उपरांत एक रिमोट का बटन दबा कर समता की मूर्ति को प्रकाशमान करके लोकार्पित किया जो सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता की 'पंचधातु' से बनी है। यह दुनिया में बैठी अवस्था की सबसे ऊंची धातु की मूर्तियों में से एक है। बाद में उन्होंने श्री रामानुजाचार्य की जीवन यात्रा और शिक्षा पर थ्री-डी प्रेजेंटेशन मैपिंग भी देखी।
श्री रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर इंसान की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया। इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है।
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