लकम्‍मा देवी मंदिर
लकम्‍मा देवी मंदिरRaj Express

ये है भारत का अनोखा देवी मंदिर, जहां होती है मां की पीठ की पूजा, लोग चढ़ाते हैं चप्पल-जूतों की माला

कर्नाटक में गुलबर्गा जिले में पास लकम्‍मा देवी मंदिर में माता रानी को चप्‍पलों की माला चढ़ाने की प्रथा है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है, जिसका लोग आज तक पालन कर रहे हैं।

हाइलाइट्स :

  • लकम्‍मा देवी मंदिर में लोग देवी मां की चप्‍पल जूतों से पूजा करते हैं।

  • लोगों का मानना है कि चप्‍पल चढ़ाने के बाद मां उस भक्‍त को बुरी आत्माओं से बचाती है।

राज एक्सप्रेस। बात अगर भारत के रीति रिवाजों की करें, तो काफी अनोखे और आनंददायक होते हैं। खासतौर से दक्षिण राज्‍य कर्नाटक की बात करें, तो यहां के मंदिरों में अजीबो गरीब रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां माता की पूजा बड़े अजीबो गरीब ढंग से की जाती है। हो सकता है कि, सुनकर आपको मां का अपमान महसूस हो, लेकिन ऐसा करना यहां की प्रथा है। जिसका लोग सदियों से पालन करते आ रहे हैं।

वैसे तो अक्‍सर भक्‍तों को भगवान पर फूल और प्रसाद चढ़ाते देखा जाता है। मनोकामना पूरी होने पर भी कुछ लोग नारियल, तो कुछ मंदिरों में सोना, पैसे का दान करने के साथ सिर भी मुंडवा देते हैं। लेकिन कर्नाटक के गुलबर्गा जिले से 30 किमी दूर लकम्‍मा देवी मंदिर में भक्‍तों का मां को प्रसन्‍न करने का तरीका कुछ अलग है। यहां लोग देवी मां की चप्‍पल जूतों से पूजा करते हैं। जानते हैं ऐसा क्‍यों हैं।

पहनाते हैंं चप्‍पलों की माला

सुनकर अजीब जरूर लगेगा, लेकिन नवरात्रि के दिनों में लोग मां का आशीर्वाद लेने के लिए उनकी पूजा अर्चना करते हैं और मनोकामना मांगते हुए पेड़ पर नए जूते चप्‍पल बांधकर आते हैं। जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो मंदिर में जाकर मां के सामने माथा टेककर जूते- चप्पलों की माला पहनाते हैं। दिलचस्‍प बात तो यह है कि ऐसा करते हुए उन्‍हें बिल्‍कुल भी अफसोस नहीं होता, बल्कि वे अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर मां को धन्‍यवाद देते हैं।

क्यों है ऐसी मान्‍यता

इसके पीछे लोगों का मानना है कि नवरात्रि के दिनो में देवी मां मंदिर में आती हैं और पेड़ पर लगी चप्‍पलों को पहनकर घूमती हैं। यहां रहने वाले लोगों को तो यह भी मानना है कि चप्‍पल चढ़ाने के बाद मां उस भक्‍त को बुरी आत्माओं से बचाती है। यहां तक की उनके पैरों और घुटने का दर्द भी हमेशा के लिए ठीक हो जाता है। अगर वो चप्‍पलें सुबह तक घिस गयी तो इसका मतलब है कि देवी इन चप्‍पलों को पहनकर घूमीं थीं।

ऐसे अस्तित्व में आई परंपरा

देवता को चप्‍पल चढ़ाने की परंपरा यूं ही शुरू नहीं हुई थी। इसके पीछे भी एक कथा बड़ी प्रचलित है। पहले जमाने में मंदिरों में भैंसों की बलि दी जाती थी। बाद में सरकार द्वारा इन पर रोक लगा दी गई। इससे देवता नाराज हो गए। उन्‍हें प्रसन्‍न करने के लिए एक संत ध्‍यान में बैठ गए। इसके बाद भक्‍तों ने भैसों की बलि देने के बजाय देवता को चप्‍पल चढ़ाना शुरू कर दिया और तभी से यह प्रथा अस्तित्‍व में आई, जाे आज भी निरंतर चल रही है।

देवी की पीठ पर टेकते हैं माथा

इस मंदिर की एक और अजीब बात है कि यहां देवी मां का चेहरा नहीं दिखता। भक्‍त लोग उनके नितंब अथवा पीठ पर माथा टेकते हैं। मतलब कि यहां देवी की पीठ की पूजा की जाती है, जो भारत के किसी मंदिर में नहीं होता।

यह है कथा

यहां देवी मां के नितंबों अथवा पीठ की पूजा क्‍यों की जाती है, इसके पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि एक राक्षस ने देवी लकम्‍मा का पीछा किया था। जिससे बचने के लिए देवी मां धरती की ओर मुंह करके गिर गईं। नितंबों को छोड़कर उनका शरीर गायब हो गया। तब से, ग्रामीणों ने उनकी पीठ अथवा नितंबों की पूजा करना शुरू कर दिया।

लकम्‍मा देवी कालिका का दूसरा रूप

दिवाली के बाद पंचमी तिथि को मंदिर का नजारा देखने लायक होता है। हर साल इस दिन यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से श्रद्धालु आते हैं। सभी लोग चप्‍पल चढ़ाकर और नारियल फोड़कर लकम्‍मा देवी की पूजा करते हैं। भक्‍त लकम्‍मा देवी को देवी कालिका का रूप मानते हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com