सुप्रीम कोर्ट : उपमुख्यमंत्री शिवकुमार को राहत, सीबीआई की याचिका खारिज
हाइलाइट्स :
शिवकुमार को 74 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति मामले में अंतरिम राहत दी थी।
सीबीआई ने राहत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सीबीआई की याचिका उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेशों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार किया।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिसमें कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के कथित तौर पर अर्जित आय से अधिक संपत्ति की जांच पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि मामला उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष लंबित है। पीठ ने इस दलील का संज्ञान लिया और सीबीआई की याचिका खारिज कर दी।
श्री सिंघवी ने कहा कि सीबीआई की याचिका उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेशों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मामला उच्च न्यायालय के समक्ष निर्णय के अंतिम चरण में है।
शीर्ष अदालत की पीठ ने अपने आदेश में कहा,“चूंकि वर्तमान विशेष अनुमति याचिका पूरी तरह से एक अंतरिम आदेश से उत्पन्न हुई है, हम वर्तमान याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। संबंधित पक्षकारों के लिए उपलब्ध सभी प्रश्न उच्च न्यायालय के समक्ष निर्णय के लिए रखे गए हैं।”
इससे पहले सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा दिए गए रोक आदेश के खिलाफ एक अलग याचिका दायर की है।
गौरतलब है कि इस फरवरी 2023 में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के नटराजन की एकल पीठ ने श्री शिवकुमार को 74 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति मामले में अंतरिम राहत दी थी, जिसकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही थी।
केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने अपने आरोप में दावा किया कि कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री रहते हुए श्री शिवकुमार ने अप्रैल 2013 से अप्रैल 2018 तक आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 74.93 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की थी।
आयकर विभाग ने अगस्त 2017 में श्री शिवकुमार से जुड़े लगभग 70 परिसरों छापेमारी की थी। इसके आधार पर सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप के तहत अक्टूबर 2020 में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
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